इस बार वोट बैंक की राजनीति नहीं चलेगी-एम. सादिक खान

जोधपुर,भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष एम सदिक खान ने प्रदेश के मुख्यमंत्री गहलोत पर जमकर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती बसुंधरा सरकार ने अल्पसंख्यक वर्ग से दो नेताओं को केबिनेट मंत्री एवं छः बोर्ड में चैयरमेन की जिम्मेदारी सौंपी थी। वर्तमान प्रदेश की कांग्रेस सरकार अल्पसंख्यक वर्ग को ही अपना वोट बैंक मानती है तो फिर सत्ता में आने के बाद अल्पसंख्यक वर्ग के नेताओं को केबिनेट में महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी क्यों नहीं सौंपी गई? उन्होंने गहलोत सरकार को चुनौति दी है कि इस बार वोट बैंक की राजनीति नहीं चलेगी। वोट हमारा राज तुम्हारा नहीं चलेगा। खान सर्किट हाउस में पत्रकार वार्ता को सम्बोधित कर रहे थे उन्होंने कहा गहलोत सरकार ने गत दो वर्षों में अल्प संख्यक वर्ग की अनदेखी की है, उन्होंने इस संबंध में कुछ उदाहरण भी देकर बताया कि अल्पसंख्यक छात्रों की छात्रवृत्ति बन्द कर दी है, जिससें उनके शिक्षण कार्य पर विपरित असर पड़ रहा है। जिस कारण कई छात्र-छात्राएं अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ चुके हैं। अल्पसंख्यक छात्रों के लिए हायर एजूकेशन बन्द कर दिये गये हैं, जिससे छात्र देश एवं विदेश में जाकर अपने एजूकेशन को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। राजस्थान वक्फ बोर्ड ने अपनी अनेकों सम्पत्तियों में से कुल 69 सम्पत्तियों को चिन्ह्ति किया है, जिसमें से 4 का किराया आ रहा है। जबकि सरकार को चाहिए कि सभी वक्फ सम्पत्तियों को चिन्ह्ति कर तुरन्त किराया निर्धारण करें। राज्य सरकार द्वारा सभी प्रकार की छात्रवृत्तियां पूर्णतया बन्द है। निःशुल्क कोचिंग की व्यवस्था भी गत 2 वर्षों में बन्द कर दी गई है उन्हें पुनः चालू करें।
उन्होंने बताया कि केन्द्र के द्वारा राज्य सरकार को जो धन भेजा गया, राज्य सरकार उसे अपने नाम से बांट रही है। उसमें से पोस्ट मैट्रिक में 51949 छात्रों को 3872 लाख रूपये मैरिट कम मीन्स में 6749 छात्रों को 1854 लाख रूपये दिये गये, बिजनेस लोन 483 लाख रूपये व हायर एजुकेशन लोन 268 छात्रों को 354 लाख रूपये दिये गये। इन सब का राज्य सरकार से कोई लेना देना नहीं है। उर्दू भाषा को तृतीय भाषा के रूप में मान्यता समाप्त क्यों किया जा रहा है। गत दो वर्षाें में अल्पसंख्यकों से जुड़े निगम व बोर्डाें का गठन नहीं किया गया। जबकि हज जैसे मुकद्दस सफर के फार्म भरना भी चालू हो चुके हैं।
सरकार ने अपने मंत्रीमण्डल में अल्पसंख्यकों को कम महत्व का विभाग दे रखा है, वो भी एक अल्पसंख्यक मामलात विभाग अन्य विभाग में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी क्यों नही सौपी। जबकि अल्पसंख्यक वर्ग को कांग्रेस अपना सबसे बड़ा वोट बैंक मानती है। वर्तमान कोरोनाकाल में प्रदेश की सरकार ने सभी शिक्षण संस्थाओं में आॅनलाईन शिक्षण की व्यवस्था की गई है। जबकि मदरसों को आॅनलाइर्न व्यवस्था से वंचित रखा गया। जिससे 2.5 लाख अल्पसंख्यक बच्चों का भविष्य अंधकार में डूबने के कगार पर है। अभी तक मदरसा पैरा टीचर्स का नियमन नहीं किया गया है।
हाल ही में 6 निगमों जयपुर, जोधपुर एवं कोटा में हुए चुनाव में भारी तादाद में अल्पसंख्यक पार्षद विजय होने के बावजूद मुस्लिम समाज को दरकिनार किया, मेयर पद से वंचित कर दिया, लेकिन इस बार कांग्रेस को आगामी विधानसभा चुनाव में अल्पसंख्यक वर्ग से एक वोट भी नहीं मिलेगा, गहलोत सरकार की सत्ता जाने की उलटी गिनती शुरू हो गई है। भाजपा अपने विजय लक्ष्य की और चल पड़ी है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धारा 29 बिंदु एफ के मुताबिक बालक को उसकी मातृभाषा में ही शिक्षा दी जाए। जबकि कांग्रेस सरकार ने प्राइमरी स्तर के स्कूलों में अतिरिक्त विषय के रूप में चल रही उर्दू भाषा को गुपचुप में खत्म कर दिया। कांग्रेस सरकार में ही 2019 तक प्राइमरी स्तर में उर्दू की किताबें भी आई, पढ़ाई भी हुई और इम्तिहान भी हुए जबकि 2021 के लिए प्राइमरी स्तर की उर्दू की किताबें उपलब्ध ही नहीं करवाई गई। जानकारी लेने पर बताया गया की उर्दू की किताबें सिर्फ मदरसों में दी जाएगी। इस तरह कांग्रेस सरकार में गुपचुप तरीके से प्राइमरी स्तर पर उर्दू खत्म की जा रही है। उर्दू माध्यम के स्कूलों में हाल ही हुए तबादलों में गैर उर्दू के शिक्षक लगा दिए गए। राजकीय प्राथमिक विद्यालय मौलाना और राजकीय प्राथमिक विद्यालय कमानीगरान में उर्दू की बजाए दूसरे विषयों पिछले दिनों उर्दू शिक्षकों के आंदोलन और भारी विरोध को देखते हुए शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने मुस्लिम विधायकों और वक्फ बोर्ड के चैयरमेन को साथ लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उसमें बताया गया कक्षा छठी से आठवीं तक अगर 10 बच्चे उर्दू पढ़ने के इच्छुक होंगे तो वहां उर्दू अध्यापक लगाया जाएगा। जबकि यह आदेश तो पहले से जारी है, लेकिन प्राइमरी स्तर पर उर्दू को लेकर कोई फैसला नहीं लिया गया।

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