वो अभी मूर्तियों में भगवान ढूंढ रहे हैं, हम‌ देह के ढांचे में इंसान ढूंढ रहे हैं…

कवि मित्र समूह की मासिक काव्य गोष्ठी संपन्न

जोधपुर, वो अभी मूर्तियों में भगवान ढूंढ रहे है,हम‌ देह के ढांचे में‌ इंसान ढूंढ रहे हैं.. जैसी विचारणीय प्रश्न उठाती कविताओं के साथ कवि मित्र समूह की काव्य गोष्ठीअनेक प्रश्न छोड़ती हुई संपन्न हुई। संस्था के सचिव अशफ़ाक अहमद फौज़दार ने बताया कि इस बार कवि मित्र समूह अनौपचारिक गोष्ठी सूंथला स्थित डी आईजी फ़िरोज़ खान काॅलोनी में रखी गई। जिसमें संस्था के अध्यक्ष शैलेन्द्र सुधर्मा सहित,कमलेश तिवारी, दशरथ सोलंकी,श्याम गुप्ता,प्रमोद वैष्णव नितेश व्यास सहित अशफ़ाक फ़ौज़दार ने अपनी रचनाएं सुना कर अचानक शुरु हुई गुलाबी ठंड का मज़ा दुगुना कर दिया।

ग़ौरतलब है कि कविमित्र समूह हर महीने एक अनौपचारिक काव्य गोष्ठी का आयोजन करता है,जिसमें शहर के कई उदीयमान और स्थापित कवि अपनी रचनाएं सुनाते हैं। गोष्ठी की शुरुआत अशफ़ाक अहमद की रचना दुनियां वालों राहे इश्क में दुश्वारी क्या। इश्क का पत्थर हल्का या भारी क्या.. से हुई। उसके बाद सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए श्याम गुप्ता’शांत ने विदेश में बसे बेटे को पिता के पत्र के रुप में,बेटा जब तू मेरी बगिया में आया,मै समझा मुट्ठी में मेरे चांद उतर आया..से माहौल को एकदम‌ गंभीर कर दिया। उसके बाद प्रमोद वैष्णव ने एक मौका मिलता है दुनिया में सभी को,तुमने धोखे में गंवा दिया,हमने यक़ीन करने में.. सुनाकर गोष्ठी को थोड़ी और गति दी।नीतेश व्यास ने ओ पखेरु पंख खोलो कुछ तो बोलो और सब कुछ नहीं होता तत्काल..सुनाई।

दशरथ सोलंकी ने हर तत्व प्रेम का तत्व है, हर कण है प्रेम और मेरी गँवाड़ी का नीम मुस्कराता था,जब मैं शहर से गांव जाता था.. सुनाकर गांव की याद दिला दी। कमलेश तिवारी ने सुबह की सैर,स्टेडियम ग्राउंड आनंद लेता मैं चलता जाता और मेरे साथ समान गति से चलता एक बच्चा.. सुना कर मजबूर बचपन को चित्रित किया। अंत में शैलेन्द्र सुधर्मा ने अपने अध्यक्षीय उदबोधन के साथ ही ‘जो दिया जाता है वही अपना होता है,जो पास पड़ा रहता है वो खो जाता है और वो मूर्तियों में..जैसी रचनाएं सुना गोष्ठी को समापन की ओर बढ़ाया। अंत में सभी कवियों का प्रमोद वैष्णव ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

दूरदृष्टिन्यूज़ की एप्लिकेशन अभी डाउनलोड करें – http://play.google.com/store/apps/details?id=com.digital.doordrishtinews