उत्तराखंड के पहाड़ों से देशभर को मिलेगी पहाड़ी अंजीर ‘बेडू’ की मिठास
बेडू को मिलेगा जीआई टैग
जोधपुर(डीडीन्यूज),उत्तराखंड के पहाड़ों से देशभर को मिलेगी पहाड़ी अंजीर ‘बेडू’ की मिठास। वर्षों से देश में गूंज रहे उत्तराखंड के लोकगीत बेड़ू पाको बारह मासा…अब इस गीत में उल्लेखित उत्तराखंड के पहाड़ी फल बेड़ू को पहचान मिलने जा रही है।
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में पाए जाने वाला पारंपरिक फल बेडू,जिसे आम बोलचाल में पहाड़ी अंजीर भी कहा जाता है,अब अपनी अलग और विशिष्ट पहचान बनाने जा रहा है। प्राकृतिक रूप से स्वास्थ्यवर्धक और स्वादिष्ट यह फल अब भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication -जीआई) टैग की ओर अग्रसर है,जो इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में नई ऊंचाइयां प्रदान करेगा।
महिलाओं की मेहनत से बदली तस्वीर
पौड़ी गढ़वाल जनपद के विकास खण्ड पौड़ी में ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना के अंतर्गत कार्यरत स्वयं सहायता समूह की महिलाएं,अब बेडू से जैम और चटनी जैसे स्वादिष्ट उत्पाद तैयार कर बाजार में उतार रही हैं। इन उत्पादों को ग्राहकों से अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है,जिससे इसकी डिमांड में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।
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ग्राम पंचायत स्तर पर स्थापित बेडू यूनिट में महिलाओं से 50 रुपए प्रति किलो की दर से फल खरीदा जा रहा है। इसके बाद फल का पल्प निकालकर जैम,चटनी और अन्य स्वादिष्ट उत्पाद तैयार किए जाते हैं। यह पहल न केवल पर्वतीय फलों के व्यावसायीकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही है,बल्कि महिलाओं की आर्थिक आत्मनिर्भरता का भी मजबूत आधार बन रही है।
पहले जंगल में सड़ता था बेडू,अब बन रहा आय का जरिया
स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं ने बताया कि पहले बेडू का उपयोग बहुत कम होता था और यह जंगलों में सड़ जाता था लेकिन अब यह उनके जीवन में आर्थिक संबल बनकर उभरा है। इस साल 26 क्विंटल से अधिक बेडू को ग्रामीणों से खरीदा गया है,जिससे उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं।
बाजार में बढ़ रही मांग
जिला परियोजना प्रबंधक ग्रामोत्थान (रीप) पौड़ी के कुलदीप सिंह बिष्ट ने बताया कि बेडू से बने उत्पादों की बाजार में विशेष मांग है। इस कारण से इस वर्ष उत्पादन के लक्ष्य को और बढ़ाया गया है। विभिन्न स्वायत्त सहकारी समितियों को बेडू संग्रहण का जिम्मा सौंपा गया है,ताकि अधिक मात्रा में फल एकत्र कर उत्पाद तैयार किए जा सकें।
बेडू को मिलेगा जीआई टैग
बेडू को अब जीआई टैग मिलने से यह सुनिश्चित हो जाएगा कि बेडू से बने उत्पाद केवल उत्तराखंड के उस भौगोलिक क्षेत्र से ही जुड़े रहेंगे,जहां यह प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होता है।
क्या है जीआई टैग
Vision IAS के अनुसार,जीआई टैग एक बौद्धिक संपदा अधिकार है,जो किसी उत्पाद की गुणवत्ता, विशेषता और प्रतिष्ठा को उसकी भौगोलिक उत्पत्ति से जोड़ता है।
जीआई टैग के लाभ
उत्पादों को कानूनी संरक्षण प्राप्त होता है,प्रामाणिकता बनी रहती है-बाजार में मांग और मूल्य में वृद्धि होती है,नकली उत्पादों पर रोक लगती है।
क्या है बेडू फल
बेडू उत्तराखंड का एक पहाड़ी प्रसिद्ध जंगली फल है,जिसे पर्वतीय अंजीर भी कहा जाता है। हिमालय भूभाग में पाए जाने वाला यह फल अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। बेडू का वैज्ञानिक नाम Ficus palmata है। इसे हिमाचल प्रदेश में फागो के नाम से भी जाना जाता है।बेडू की 800 प्रजातियां दुनियां भर में पाई जाती हैं।
बेडू की मुख्य बातें
बेडू एक छोटे आकार का हिमालयी जंगली फल है जिसका छिलका लाल-भूरा- बैंगनी रंग का होता है।यह फल हिमालय की तलहटी के ठंडे,समशीतोष्ण जलवायु में जंगल में होता है।
बेडू के औषधीय गुण और उपयोग
बेडू को औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। बेडू में विटामिन सी,प्रोटीन, वसा,फाइबर,सोडियम,फास्फोरस, कैल्शियम और लोहा जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। कब्ज,तंत्रिका विकार और जिगर की परेशानियों से राहत दिलाता है। त्वचा रोगों और घाव के संक्रमण को ठीक करने में मदद करता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं,जो तंत्रिका तंत्र,फेफड़ों और यकृत से जुड़ी बीमारियों में उपयोगी हैं। यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में भी मदद करता है। पाचन को बेहतर बनाने के लिए पहाड़ों में इसका सेवन किया जाता है।
देश के अन्य जीआई टैग उत्पादों के कुछ उदाहरण
दार्जिलिंग चाय,बासमती चावल, कांचीपुरम सिल्क,नागपुर ऑरेंज, अब जल्द ही इस सूची में उत्तराखंड का बेडू भी शामिल होने वाला है,जो पर्वतीय फलों को वैश्विक मान्यता दिलाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। यह प्रयास उत्तराखंड की महिलाओं के स्वावलंबन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा देने वाला साबित हो रहा है।