धनतेरस को भी जारी रहा बाल संरक्षण यात्रा का सफर
- कलाउना गांव में ज्योति जलाकर सात संकल्पों पर लिया सामूहिक संकल्प
- ग्राम पंचायत स्तरीय बाल संरक्षण कमेटी का गठन
जोधपुर,दीपावली पूर्व धनतेरस के दिन जोधपुर जिले की बिलाड़ा पंचायत समिति के अन्तर्गत ग्राम पंचायत कलाउना में राज्य सरकार की ओर से चलाए जा रहे बाल संरक्षण संकल्प यात्रा का सफर जारी रहा।
ग्राम पंचायत पहुंचने पर अवकाश के बावजूद सरपंच पवन कंवर, पंचायत सदस्य, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता,वार्ड पंच, ग्रामीण और बच्चों ने यात्रा का भावभीना स्वागत किया।
गांव में राजीव गांधी केन्द्र में बाल अधिकारों को लेकर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यात्रा समन्वयक कैलाश सैनी ने बच्चों के जन्म से लेकर 18 वर्ष तक की आयु तक सरकार द्वारा दिये गये अधिकारों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बेटी होने के कारण भ्रूण हत्या नहीं होनी चाहिए। जो मां के गर्भ में आया है उसे धरती पर आने का पूरा अधिकार है। उसे अच्छा पोषण आहार मिले, शिक्षा की समुचित व्यवस्था हो तथा विकास के अवसर प्राप्त हों, यह सुनिश्चित किया जाना ग्राम पंचायत से लेकर स्कूल और माता-पिता तक की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि मित्रवत वातावरण में हिंसा मुक्त शिक्षा मिले,इसके लिए बाल मित्र पंचायत के लिए सात संकल्पों पर कार्य किया जाना निर्धारित करें।
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कैन्डल जलाकर सात संकल्पों की प्रतिज्ञा ली
इस अवसर पर सभी लोगों ने धनतेरस के दिन कैन्डल जलाकर सात संकल्प अपनाने का संकल्प लिया। सरपंच की अध्यक्षता में ग्राम पंचायत स्तरीय बाल संरक्षण इकाई का गठन कर ग्राम विकास अधिकारी को सदस्य सचिव बनाया गया जबकि दो छात्रों अशोक गौड़ व सुमन चौधरी को बाल प्रतिनिधि के रूप में सम्मिलित किया गया।
भाईयों के लिए त्याग करने वाली बहन के कष्ट हरने की पहल
ग्राम भ्रमण कार्यक्रम के दौरान पंचायत सदस्यों के साथ यात्रा के बाल मित्रों ने घर-घर दस्तक देकर एक दर्जन से अधिक योजनाओं के आवेदन तैयार कराये। बाल मित्रों को ग्रामीणों ने अपनी व्यथा कथा से अवगत कराते हुए सरकारी योजनाओं से जोड़ने का आग्रह किया।
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इस दौरान 20 वर्ष की देवी ने बाल मित्र सोना बैरवा से अपना दर्द साझा करते हुए बताया कि जब वह 15 वर्ष की थी तो भाई के शादी के लिए आटा-साटा में जोधपुर में विष्णु के साथ ब्याह दी गई,जो शराब बेचने का कार्य करते थे। रोजाना कलह के कारण मारपीट कर घर से निकाल दिया। कुछ महीनों बाद फिर दूसरे भाई के लिए पाली के गवाराम से आटा-साटा में शादी हुई मगर उसकी भाभी शारदा को भाई प्रदीप पसंद नही था जिससे लडाई-झगडे़ होने लगे।
एक दिन भाभी घर से निकल कर पीहर चली गई जिसके चलते ससुराल वालों ने उसे भी मारपीट कर घर से निकाल दिया। उसकी 5 वर्ष की बेटी तन्नू है जो पहली कक्षा में पढ़ती है। गांव में ही छोटी सी किराणा का दुकान चला कर जीवन बसर कर रही है। सारी कहानी सुनकर बाल मित्रों ने सरपंच के साथ मिलकर परित्यक्ता पेंशन का आवेदन तैयार कराया ताकि बेटी को पालनहार योजना से जोड़ा जा सके।
भ्रमण के दौरान सामाजिक सुरक्षा के वंचित पात्रों के 8 आवेदन आनलाईन कराने की कवायद की गई। सरपंच पवन कंवर,ग्राम विकास अधिकारी अशोक कुमार,पीईईओे गिरधारी सिंह, उप सरपंच गुडिया,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ममता गौड़,पटवारी महेन्द्र चौधरी के साथ यात्रा समन्वयक सीताराम गुर्जर,सोना बैरवा,ओम सोऊ,सफिस्ता खान,धर्मेन्द्र यादव आदि ने भी ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं की जानकारी देते हुए इनके लाभों को प्राप्त करने के बारे में समझाया।
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