किसी भी संस्थान की पहचान भवनों से नहीं, विद्यार्थियों से होती है-मिश्र

किसी भी संस्थान की पहचान भवनों से नहीं, विद्यार्थियों से होती है-मिश्र

  • जेएनीवीयू 18वां दीक्षान्त समारोह
  • स्वर कोकिला लता मंगेश्कर को डी-लिट् की मानद उपाधि से नवाजा

जोधपुर, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय का 18वां दीक्षान्त समारोह इंजीनियरिंग कॉलेज के ऑडिटोरियम में सम्पन्न हुआ। दीक्षान्त समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलाधिपति कलराज मिश्र ने कहा कि किसी भी संस्थान की पहचान भवनों से नहीं होती अपितु उसकी पहचान उसके उन विद्यार्थियों से होती है जिन्होंने जीवन में महत्त्वपूर्ण आयाम स्थापित किये। ‘अप्पदीपो भव’ की व्याख्या करते हुए राज्यपाल ने कहा कि छात्र अपने जीवन को भी प्रकाशित करें तथा समाज जीवन को भी प्रकाशित करें। संज्ञान तथा विज्ञान का समन्वय जीवन में अतिआवश्यक है। ज्ञान से क्या ग्रहण किया जा रहा है? यह विशेष ध्यातव्य है।

नई शिक्षा नीति में प्राचीन भारतीय संस्कृति तथा जीवन कौशल को अपनाना हमारा कर्त्तव्य है। स्वामी विवेकानन्द ने कहा था कि शिक्षा वह है जिससे मनुष्य की मानसिक शक्तियों का विकास हो। नई शिक्षा नीति के अनुसार पाठ्यक्रमों को अद्यतन करने का उन्होंने आह्वान किया। राज्यपाल कलराज मिश्र ने यह भी कहा कि परम्परागत शिक्षा के साथ-साथ रोजगारपरक शिक्षा छात्रों को प्रदान की जाए। नवाचार के साथ स्वावलम्बन की छात्र-जीवन में अत्यधिक आवश्यकता है। शिक्षक समुदाय को सूचना प्रौद्योगिकी का भी ज्ञान प्राप्त करना अपेक्षित है।

किसी भी संस्थान की पहचान भवनों से नहीं, विद्यार्थियों से होती है-मिश्र

मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा- समय के साथ-साथ शिक्षा का महत्त्व बढ़ता जा रहा है। जोधपुर शिक्षा के एक महत्त्वपूर्ण केन्द्र के रूप में उभर रहा है। कुलपतियों की श्रृंखला में मुख्यमंत्री ने प्रो. वीवी जॉन की शैक्षणिक दूरदर्शिता को रेखांकित किया। विश्वविद्यालय केवल नियुक्तियों के ही साधन नहीं हैं अपितु मानव संसाधन की उत्कृष्टता के साधक हैं। शिक्षा ने राजस्थान को पिछड़े राज्य से निकालकर अग्रगण्य बना दिया है। 200 छात्रों को विदेश भेजने की भी सरकार की योजना को प्रारम्भ किया जा रहा है। दीक्षान्त उद्बोधन पद्म भूषण डीआर मेहता प्रख्यात अर्थशास्त्री ने प्रदान किया।

विशिष्ट अतिथि राजेन्द्र सिंह यादव राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने कहा कि राज्य सरकार ने एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज को विश्वविद्यालय बनाया है। देश के नवनिर्माण में छात्रों की युवा शक्ति नई योजनाओं को बनाकर कार्य करे। समस्त छात्र अपनी उपाधि की सार्थकता को सिद्ध करें।

परिस्पन्द पत्रिका का लोकार्पण

विश्वविद्यालय की पत्रिका ‘परिस्पन्द’ का कुलाधिपति तथा मुख्यमंत्री के द्वारा लोकार्पण किया गया। परिस्पन्द का प्रकाशन विश्वविद्यालय की स्थापना के 60 वर्ष के उपलक्ष्य में किया गया। इस पत्रिका में विश्वविद्यालय की स्थापना से लेकर अद्यावधि पर्यंन्त विकास को रेखांकित किया गया है।

कुलाधिपति ने दिलाई शपथ

दीक्षान्त समारोह के प्रारम्भ में कुलाधिपति कलराज मिश्र ने संविधान की प्रस्तावना एवं अनुच्छेद 51क में वर्णित मूल कर्त्तव्यों का पठन कर शपथ दिलाई। विश्वविद्यालय के संक्षिप्त वृत्तचित्र से विश्वविद्यालय का गौरवपूर्ण परिचय प्रस्तुत किया गया।

कुलपति प्रो. पीसी त्रिवेदी ने अपने उद्बोधन में कहा कि विश्वविद्यालय का हृ्दय तो उसके विद्यार्थी ही हैं जिनके माध्यम से राष्ट्र का निर्माण होता है। छात्रों को प्रदान की गई उपाधियां तथा स्वर्ण पदक अभियान्त्रिकी, कला, विधि, वाणिज्य तथा विज्ञान संकाय के अधिष्ठाताओं ने अपने संकायों की डीलिट्, डीएससी, स्नातकोत्तर, स्नातक आदि उपाधियों के लिए कुलाधिपति के समक्ष निवेदन प्रस्तुत किया। कुलाधिपति ने सभी विद्यार्थियों की उपाधियों और स्वर्णपदक का अनुमोदन किया।

इनको प्रदान की गई मानद उपाधियां

विज्ञान के क्षेत्र में एमएस स्वामीनाथन को डीएससी की मानद उपाधि प्रदान की गई। हरित क्रान्ति के अग्रदूत प्रो. स्वामीनाथन को अनेक पुरस्कारों तथा उपलब्धियों की प्राप्ति हो चुकी है।
कला क्षेत्र में सुर कोकिला लता मंगेशकर को डीलिट् की उपाधि प्रदान की गई। इन दोनों श्रेष्ठ व्यक्तित्वों को मानद उपाधि प्रदान करते हुए विश्वविद्यालय स्वयं को गौरवान्वित अनुभव करता है। कार्यक्रम की आयोजन प्रमुख प्रो. संगीता लूंकड़ ने पूरे कार्यक्रम का सफल संयोजन किया। दीक्षान्त समारोह का संचालन डॉ. राजश्री राणावत, डॉ. ललित पंवार तथा डॉ. हितेन्द्र गोयल ने किया।

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