प्रेम की पहली सीढ़ी ‘कशिश’ होती है- चारण

जोधपुर,प्रख्यात साहित्यकार अर्जुनदेव चारण का कहना है कि प्रेम तर्क-वितर्क नही जानता,वह सिर्फ सघन भावों और अनुभूतियों का पिटारा लिये मन ही मन खुश और दुःखी होता है। अर्जुनदेव चरण यहां एक होटल में नर्सिंग ऑफिसर सीमा जोशी मूथा के काव्यसंग्रह ‘कशिश’ के विमोचन के अवसर पर आयोजित समारोह में बतौर अध्यक्ष संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि प्रगति गुप्ता ने कहा कि प्रेम हमें आस-पास की दुनियां में उतरने में मदद करता है।

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मुख्य वक्ता माधव राठौड़ ने कोरोना के बाद मनुष्य में व्याप्त अकेलेपन को भरने का सशक्त माध्यम कविता को माना। पत्रवाचक के रूप में आशा पाराशर ने कहा कि किताबें चोरी होनी चाहिए ताकि उसका पढ़ने में उपयोग हो सके। प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत स्वाति जैसलमेरिया ने जबकि कार्यक्रम का संचालन निशा व्यास मिश्रा ने किया। अंत में राकेश मूथा ने कशिश पर प्रकाश डाला। डां.तृप्ति काव्यांशी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर वीरेन्द्र दत्त मूथा, श्रीगोपाल व्यास,डाॅ.पद्मजा शर्मा,हरि प्रकाश राठी,मनीषा डागा,ऋचा शरद अग्रवाल,लीला कृपलानी, चांदकौर जोशी,एनडी निम्बावत,गोपाल जोशी, गजेन्द्र जयपाल, रविन्द्र गुप्ता व नटवर भार्गव इत्यादि उपस्थित थे।

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