टनकपुर-बागेश्वर रेल का सपना जल्द होगा पूरा, फाइनल लोकेशन सर्वे जारी

  • नोएडा की इरकान इंफ्रास्टक्चर लिमिटेड कर रही है फाइनल सर्वे
  • टनकपुर-बागेश्वर रेल लाइन लगभग 154.58 किलोमीटर का होगा
  • रेल मार्ग का 80 प्रतिशत भाग टनल में बनेगा
  • केंद्र सरकार ने दी मंजूरी
  • सर्वे के लिए 28.95 करोड़ रुपए का बजट जारी
  • रेल मार्ग बनने पर एक शताब्दी पुरानी मांग होगी पूरी

देहरादून, उत्तराखंड के लिए खुश खबरी है कि सब कुछ समय पर और ठीक ठाक चला तो जल्द ही बागेश्वर में रेल का सफर शुरू होने का सपना पूरा होने जा रहा है। जिसके लिए रेल मंत्रालय ने टनकपुर-बागेश्वर ब्रॉडगेज रेल लाइन का फाइनल सर्वे का कार्य शुरू कर दिया है। इसका कार्य की जिम्मेदारी नोएडा की संस्था इरकान इंफ्रास्टक्चर लिमिटेड को दी गई है। इस सर्वे टीम ने यहां बनने वाले रेलवे स्टेशनों की लोकेशन देखी और रेल मार्ग के प्रस्तावित नक्शे प्रदर्शित कर सर्वे कर की शुरुआत कर दी है।टनकपुर-बागेश्वर रेल परियोजना में लगभग 154.58 किलोमीटर लंबे रेल मार्ग का 80 प्रतिशत भाग टनल में बनेगा जिसका लोकेशन सर्वे शुरू किया जा रहा है। टनकपुर-बागेश्वर रेल मार्ग को केंद्र सरकार द्वारा 3 माह पूर्व ही मंजूरी दी गई थी। इस रेल मार्ग के फाइनल लोकेशन सर्वे के लिए 28.95 करोड़ रुपए का बजट भी जारी कर दिया है।

टनकपुर-बागेश्वर रेल का सपना जल्द होगा पूरा, फाइनल लोकेशन सर्वे जारी

इस रेल मार्ग को लेकर उत्तराखंड के मुख्य मंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से मिले थे। इस रेल परियोजना से चंपावत,पिथोड़ागढ़ व बागेश्वर जिले में विकास के नए अवसर बढ़ेंगे। इस रेल लाइन के बनने से पहाड़ के दुर्गम क्षेत्र भी विकास की मुख्य धारा से जुड़ सकेंगे। इस रेल लाइन के लिए इरकान इंफ्रास्टक्चर लिमिटेड ने पीडब्लूडी के सहयोग से टनकपुर में सर्वे कार्य शुरू हो गया। कम्पनी के जूलॉजिकल व एलाइटमेंट्स इंजीनियरों का टनकपुर में सर्वे कार्य चल रहा है। यह रेल लाइन शारदा नदी के किनारे होते हुए बागेश्वर तक जाएगी। रेल लाइन में पूर्णागिरि के ठुलीगाड़ इलाके में 80 प्रतिशत टनल बनाए जाएंगे उल्लेखनीय है कि इस रेल लाइन के बनने से इस इलाके में रेल मार्ग के एक शताब्दी पुरानी मांग पूरी होगी।

अंग्रेजों के समय सन 1911-12 में पहली बार इस रेल लाइन का सर्वे शुरू किया गया था जो पूरा नही हो पाया। इसके बाद वर्ष 2006-07 में रेल मंत्रालय ने इस लाइन का सर्वे कराया था,वर्ष 2015-16 में केंद्र सरकार ने इस परियोजना को राष्ट्रीय महत्व की परियोजना का दर्जा दिया था। वर्ष 2019-20 में अंतिम सर्वे के बाद अब अंतिम लोकेशन सर्वे किया जा रहा है। सब कुछ ठीक ठाक रहा तो वह दिन दूर नही जब पहाड़ों में रेल का सफर किया जाएगा।

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