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फ़स्ल जो हमने उगाई,आदमी बोन्ज़ाई है-दिनेश सिन्दल

कविमित्र समूह की मासिक काव्यगोष्ठी सम्पन्न

जोधपुर,चारों ओर बरसात की भीनी- भीनी ख़ुश्बू और उसमें गीतकार दिनेश सिन्दल के तरन्नुम में उभरते स्वर- फ़स्ल जो हमने उगाई,आदमी बोन्ज़ाई है..,से माहौल को जो ऊँचाईयां बख़्शी कि कविमित्र समूह की मासिक काव्य गोष्ठी में हर इक रचनाकार के चेहरे पर सावन उभर आया। कविमित्र के संयोजक प्रमोद वैष्णव ने बताया कि धनक सभागार में आयोजित शहर के उदीयमान और स्थापित शब्दशिल्पियों की सामूहिक गोष्ठी में अपने सधे हुए शब्द सागर से दिनेश सिंन्दल ने- पास तेरे रही हर ख़ुशी की ग़ज़ल,चांद के पास बस चांदनी की ग़ज़ल….के साथ चुनिन्दा रचनाएं सुनाई,रचनाकार प्रमोद सिंघल ने वक़्त की वहशत से,मेरे चंद काग़ज़ जब फाड़े होंगे,मेरी उदासी का मिसरा…, रचना सुनाई।

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एनडी निम्बावत ने पाकर तुझे अब मुझको जन्नत की तमन्ना क्यों होगी,अनमोल नगीना पाया है, दौलत की तमन्ना क्यों होगी….,नये प्रकार का गीत प्रस्तुत किया तो प्रमोद वैष्णव ने बहुत दिनों बाद ख़ूबसूरत लगी,एक शाम ना जाने क्यूं…, किताब में पन्नों जैसा है मेरा तुम्हारा रिश्ता….तथा कह देने और ख़ामोश रहने के बीच अटके हैं रिश्ते…कविताएं सुनाकर माहौल में रचनात्मकता के भाव उत्पन्न किये। कवयित्री पूर्णिमा जायसवाल ने मैं कहती हूँ दिन है ये और तू कहता है रात,इसीलिये तो बन नहीं पाई तेरी मेरी बात..सुनाई,राजस्थानी रचनाकार वाजिद हसन क़ाज़ी ने छोड़ सब पम्पाळ भायला रैवण दै….सुनाई।

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महावीर सिंह दिवाकर ने हमने भी किस दुश्वारी से मोह लगा रक्खा है, रेशम होकर चिंगारी से मोह लगा रक्खा है..,दीपा परिहार दीप्ती ने हम यंहा और बसर क्या करते,आप के बिन भी इधर क्या करते..,जहां से दूर अलग एक ज़मीं बना लेंगे,तुम्हारा साथ मिलेगा वहीं बना लेंगे..,हाल है क्यूं ख़राब महफ़िल के,हम ना समझे आदाब महफिल के..,वरिष्ठ कवि श्याम गुप्ता शांत ने व्यंग्य कविता मैं चमचा हूँ अफसर का..तथा घावों भरे दिल को कोई सहलाता नहीं है, हम सफर भी बेबस है,लुभाता नहीं है… सुनाई, जबकि मोहनदास रूक्मैय ने वो भोली सी सूरत क्या दिख गयी उस मोड़ पर.. सुनाई इसी कड़ी में असरार साहिल ने उसने नज़र को पेश किया जाम की तरह, तब मेरी शाम हुई शाम की तरह..तथा बुज़ुर्ग कवि अशफाक़ अहमद फौजदार ने ख़ुश्बू से लबरेज़ ग़ज़लों को दिल से लगा कर देखो, तुम मीरो ग़ालिब की ग़ज़लों को सुनाकर देखो….पढी,इससे पूर्व नकुल दवे, सत्यनारायण सोनगरा,किरण व्यास तथा वीणा पारीक ने भी अपनी रचनाएं सुनाकर दाद पायी। कार्यक्रम का संचालन पूर्णिमा जायसवाल ने किया तथा अशफ़ाक़ अहमद फौजदार ने धन्यवाद ज्ञापन की रस्म अदा की।

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