42 वर्षीय महिला के पेट से निकली अब तक की सबसे बड़ी गांठ

  • 35 × 22 × 16 सेमी का हेपटोबिलियरी सिस्टम का लिंफेंजियोमा सिस्ट
  • यह एक दुर्लभ मामला है

जोधपुर(डीडीन्यूज),42 वर्षीय महिला के पेट से निकली अब तक की सबसे बड़ी गांठ। मथुरा दास माथुर अस्पताल में चिकित्सा क्षेत्र में एक असाधारण मामला सामने आया है,जहां डॉक्टरों ने 42 वर्षीय महिला के पेट से 35× 22× 16 सेमी आकार का विशाल एक्स्ट्रा हेपेटिक हेपटोबिलियरी लिंफेंजियोमा सिस्ट को सफलता पूर्वक निकाल दिया। यह अब तक के सबसे बड़े दर्ज मामलों में से एक माना जा रहा है।

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यह है मामला
मथुरा दास अस्पताल में 42 वर्षीय महिला लंबे समय से पेट में भारीपन, दर्द,कब्ज़ और पीलिया जैसी समस्याओं के साथ सर्जिकल आउटडोर में आई जहाँ यूनिट प्रभारी एवं आचार्य डॉ.दिनेश दत्त शर्मा ने भर्ती किया। जब जांच की गई तो अल्ट्रा साउंड और सीटी स्कैन में उनके हेपटोबिलियरी सिस्टम से जुड़े हुए एक असामान्य रूप से बड़े सिस्ट की पहचान हुई।

इस स्थिति में तत्काल सर्जरी की जरूरत थी,क्योंकि सिस्ट का इतना बड़ा आकार पाचन तंत्र और आसपास के अंगों पर दबाव डाल रहा था। इस सिस्ट ने महिला के पूरे पेट को भर दिया था,जो लीवर के ऊपरी हिस्से और ज़िफ़िस्टर्नम से शुरू होकर नीचे पेल्विस तक फैल गई थीं जिसकी वजह से आंतो में रुकावट भी हो रही थी।

जटिल लेकिन सफल सर्जरी
मथुरा दास माथुर अस्पताल के वरिष्ठ सर्जनों की टीम ने इस जटिल सर्जरी को अंजाम दिया,जिसमें सिस्ट को पूरी तरह से निकाल दिया गया। सर्जरी के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि यह लिंफेंजियोमा सिस्ट हेपटोबिलियरी सिस्टम से उत्पन्न हुआ थी और इसने आसपास के अंगों को प्रभावित किया था। यह सिस्ट पित्ताशय, लिवर,कॉमन बाईल डक्ट,डुओडिनम एवं आमाशय के बीच चिपकी हुई थी जिनका सुरक्षित अलग करना बहुत ही जटिल था,पर इसको अंजाम दिया मथुरा दास माथुर अस्पताल के दक्ष सर्जन की टीम ने। मरीज की हालत अब स्थिर है और वह तेजी से स्वस्थ हो रही हैं।

हेपटोबिलियरी सिस्टम लिंफेंजियोमा सिस्ट क्या होता है?
डॉ. दिनेश दत्त शर्मा ने बताया की हेपेटोबिलियरी लिम्फांजियोमा एक दुर्लभ सौम्य (नॉन-कैंसरस) ट्यूमर है जो लसीका वाहिकाओं (लिम्फेटिक वेसल्स) से उत्पन्न होता है और यकृत (लिवर) तथा पित्त प्रणाली (बिलियरी सिस्टम) को प्रभावित करता है।इसका आकार 35×22×16 सेंटीमीटर होना अत्यंत असामान्य है और यदि यह यकृत के बाहर (एक्सट्राहेपेटिक) बढ़कर श्रोणि (पेल्विस) तक पहुंच जाए तो यह और भी दुर्लभ होता है।

सर्जरी करने वाली टीम के वरिष्ठ सर्जन डॉ.दिनेश दत्त शर्मा ने बताया कि इतने बड़े हेपटोबिलियरी सिस्टम की लिंफेंजियोमा सिस्ट का मिलना और उसे सफलतापूर्वक निकाल पाना एक दुर्लभ उपलब्धि है। यदि समय पर सर्जरी नहीं की जाती तो यह मरीज के लिए घातक हो सकता था। यह मामला हमें बताता है कि पेट दर्द जैसी समस्याओं को हल्के में नहीं लेना चाहिए और समय पर विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए।

सारांश
इस दुर्लभ सर्जरी ने चिकित्सा जगत में एक नई मिसाल कायम की है। इस तरह के मामलों में समय पर निदान और सर्जरी ही जीवन बचाने का एकमात्र तरीका है। मरीज अब स्वस्थ हो रही हैं और डॉक्टरों की टीम उनके पूर्ण स्वस्थ होने की उम्मीद कर रही है। ऑपरेशन करने वाली टीम में डॉ.दिनेश दत्त शर्मा के साथ डॉ.महेंद्र चौधरी,डॉ.हेमंत कुमार,डॉ.अक्षय के साथ बेहोशी की टीम में डॉ.चंदा खत्री,डॉ.गायत्री तंवर,डॉ.आभाष छाबड़ा,डॉ.अजीज एवं नर्सिंग टीम के रेखा पंवार,हरीश धायल एवं आरती ने सहयोग किया।

मथुरा दास माथुर अस्पताल अधीक्षक डॉ. विकास राजपुरोहित ने बताया की मरीज का यह ऑपरेशन माँ योजना में निःशुल्क हुआ है और हमारी पूरी टीम मरीजों के जटिल से जटिल ऑपरेशन के लिए हमेशा प्रयासरत है। डॉ.विकास राजपुरोहित एवं डॉ.एसएन मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ.बीएस जोधा ने ऑपरेशन करने वाली टीम को बधाई दी है।