स्त्री मन की जूनूनी परतें उधेड़ता नाटक पगला घोड़ा का दमदार मंचन

29वां ओमशिवपुरी नाट्य समारोह

जोधपुर,सुप्रसिद्ध नाटककार पद्मश्री बादल सरकार की युगीन कृति पगला घोड़ा देश के क्लासिक नाटकों की श्रेणी में अपना प्रमुख स्थान रखता है। जिसका सफल प्रदर्शन मंगलवार की शाम राजस्थान संगीत नाटक अकादमी के 29 वें ओमशिवपुरी नाट्य समारोह अंतर्गत प्रदेश के वरिष्ठ नाट्यधर्मी साबिर खान के निर्देशन में जयपुर की सार्थक नाट्य समिति द्वारा दर्शकों से खचाखच भरे टाऊन हाल में किया गया। प्रेम के अदम्य साहस व जुनून के वैश्विक प्रतीक रूप में स्त्री में बसा पागल घोड़ा जिसकी लगाम पुरुष के हाथ में होती है जो इसे रौंदते हुए निकल जाता है। गाँव का निर्जन श्मशान, कुत्ते के रोने की आवाज, धू-धू करती चिता और शव को जलाने के लिए आए चार व्यक्ति, इन्हें लेकर नाटक प्रारंभ होता है।

 स्त्री मन की जूनूनी परतें उधेड़ता नाटक पगला घोड़ा का दमदार मंचन

हठात एक पांचवां व्यक्ति भी उपस्थित हो जाता है, जलती हुई चिता से उठकर आई लड़की,जिसने किसी का प्रेम न पाने की व्यथा को सहने में असमर्थ होकर आत्महत्या कर ली थी और जिसके शव को जलाने के लिए मोहल्ले के ये चार व्यक्ति उदारतापूर्वक राजी हो गए थे। आत्महत्या करने वाली लड़की के जीवन की घटनाओं की चर्चा करते हुए एक-एक करके चारों अपने अतीत की घटनाओं की ओर उन्मुख होते हैं, उन लड़कियों के,उप घटनाओं के बारे में सोचने को बाध्य होते हैं जो उनके जीवन में आई थीं और जिनका दुःखद अवसान उनके ही अन्याय- अविचार के कारण हुआ था। किन्तु पगला घोड़ा में नाटककार का उद्देश्य न तो शमशान की विभत्सता के चित्रण द्वारा विभित्स रस की सृष्टि करना है और न ही अपराध-बोध का चित्रण। स्वंय बादल बाबू के शब्दों में यह ‘मधुर प्रेम कहानी’ है। जलती चिता से उठकर आई लड़की अपने अशरीरी अस्तित्व को छोड़ मूर्त हो उठती है और न केवल स्वयं उपस्थित होती है वरन उन छतों को कुरेद-कुरेद कर उन्हें उन क्षणों को पुनः जीने के लिए प्रेरित करती है,जो उनके प्रेम- प्रसंगों में महत्त्वपूर्ण रहे हैं।

अंत में गिलास में मिलाए हुए विष को गिरते हुए कार्तिक का यह कथन कि ‘जीवित रहने से सब-कुछ संभव हो सकता है’ नाटककार की जीवन के प्रति आस्था को पुष्ट करता है। कार्तिक की भूमिका में आरिफ खान,सतु बाबू-महिपाल, शशि-पंकज चौहान,हिमाद्रि-भुपेन्द्र सिंह व लड़की के रूप में युथिका ने अपने सधे हुए अभिनय से पात्रों को जीवंत किया। मंच पार्श्व में प्रोडेक्शन डिजाइन-शेहरीन खान,म्यूजिक- उल्हास पुरोहित,गायन-गरिमा पारिक, बेकग्राउण्ड इफेक्ट-सचिन,कॉस्ट्यूम- रोशन आरा, लाईट-राजीव मिश्रा,सेट- शेहरीन, बकर, स्टेज मैनेजर-सहल खान, प्रोडेक्शन मैनेजर-उज्वल मिश्रा का था। अंत में निर्देशक साबिर खान को अकादमी की ओर से स्मृति चिन्ह व बुके भेंट कर अभिनन्दन किया गया । समारोह के पांचवे और अंतिम दिन जयपुर के रवि चतुर्वेदी निर्देशित नाटक “वो कौन था” मंचित किया जाएगा।

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