जोधपुर, एम्स जोधपुर में पहली बार स्टीरियोटैक्टिक मस्तिष्क बायोप्सी की गई। न्यूरोसर्जरी विभाग में 71 वर्षीय महिला के इलाज के लिए स्टीरियोटैक्टिक फ्रेम लगाकर बायोप्सी की गई। विभाग के एडिशनल प्रोफेसर सत्यनारायणन भास्कर ने बताया कि 71 वर्षीय जोधपुर निवासी महिला के व्यवहार में हो रहे परिवर्तन के चलते वह ओपीडी में आईं थीं। उनके बांये हाथ और पांव में कमजोरी की शिकायत थीं। इसके चलते मरीज की सीटी स्केन और एमआरआई कराई गई। बाद में पता चला कि मरीज के सिर में दाईं ओर गहरा ट्यूमर है। इसके लिए मरीज की लोकल एनीस्थिसिया द्वारा लेक्सेल स्टीरियोटैक्टिक फ्रेम की मदद से सफलतापूर्वक बायोप्सी की।

मरीज की अभी 8 से 10 दिन में रिपोर्ट आने के बाद क्रोमोथैरेपी या रेडियोथैरेपी की जाएगी। डॉ.भास्कर ने बताया कि स्टीरयोटैक्टिक फ्रेम की मदद से बायोप्सी करने के लिए विशेषज्ञों की टीम बनाई थी। इसमें न्यूरो सर्जरी और रेडियोलॉजी विभाग के डॉक्टर शामिल थे। इसमें डॉ. भास्कर और डॉ. मोहित अग्रवाल न्यूरोसर्जरी से और रेडियोलॉजी विभाग के डॉ. सर्वेश तिवारी ने प्रोसिजर किया। रिपोर्ट आने के बाद महिला का एम्स ऑन्कोलॉजी विभाग में इलाज किया जाएगा। न्यूरोसर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. दीपक कुमार झा ने बताया कि पश्चिमी राजस्थान में अब तक किसी भी चिकित्सा संस्थान में इस तरह के प्रोसिजर करने की सुविधा नहीं है। एम्स डायरेक्टर डॉ. संजीव मिश्रा के नेतृत्व में मस्तिष्क के भीतरी गहरे ट्यूमर के इलाज के लिए इस तरह का प्रोसिजर बहुत ही मददगार है। आने वाले समय में न्यूरोसर्जरी विभाग में होने वाले पार्किंसंस, डिस्टोनिया रोगों के लिए भी यह उपयोगी होगा।