- अतिवृष्टि एवं बाढ़ प्रभावितों के
- मृतक आश्रित को 5 लाख तथा
- घायल को 2 लाख रूपए की आर्थिक सहायता
जयपुर, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश के विभिन्न जिलों में अतिवृष्टि एवं बाढ़ से हुई जनहानि के मामलों में प्रभावितों को राहत देने के लिए निर्णय लेते हुए मृतक के आश्रित को मुख्यमंत्री सहायता कोष से 1 लाख रूपए की अतिरिक्त आर्थिक सहायता तथा प्रत्येक घायल को 2 लाख रूपए की आर्थिक सहायता तत्काल प्रदान करने के निर्देश दिए हैं। यह सहायता एसडीआरएफ नार्म्स के तहत दी जा रही सहायता के अतिरिक्त होगी। वर्तमान में एसडीआरएफ नाॅम्र्स के तहत मृतक के आश्रित को 4 लाख रूपए की ही सहायता देय है, जबकि घायलों को इसके तहत देय सहायता काफी कम है।
घायलों को एसडीआरएफ नाॅम्र्स में दी जाने वाली सहायता राशि से 2 लाख रूपये के बीच की अन्तर राशि का भुगतान मुख्यमंत्री सहायता कोष से किया जाएगा। गहलोत शनिवार को ओपन वीसी के जरिए आपदा प्रबंधन एवं सहायता विभाग की बैठक में राज्य के कोटा एवं भरतपुर संभाग के कई जिलों में भारी वर्षा से उपजी स्थिति, राहत एवं बचाव कार्यों की समीक्षा कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने इन जिलों के संभागीय आयुक्त, आईजी, जिला कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षकों से राहत कार्यों का फीडबैक लिया।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार प्रभावित लोगों के साथ खड़ी है। संकट की इस घड़ी में जिन परिवारों ने अपनों को खोया है उनकी हरसंभव मदद की जाएगी। फसलों को हुए नुकसान के आकलन के लिए विशेष गिरदावरी के आदेश दे दिए गए हैं ताकि प्रभावितों को मुआवजा दिलाने की कार्यवाही की जा सके। गहलोत ने निर्देश दिए कि जिला कलेक्टर जल्द से जल्द विशेष गिरदावरी रिपोर्ट भिजवाएं ताकि इसे मेमोरेंडम के रूप में भारत सरकार को भिजवाया जा सके। पशुओं, मकानों एवं सार्वजनिक संपत्ति को हुई क्षति का सर्वे कर अविलंब रिपोर्ट भिजवाने के निर्देश भी संबंधित अधिकारियों को दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि अधिकारी बाढ़ग्रस्त एवं अतिवृष्टि प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर स्थिति का जायजा लें तथा पीड़ित परिवारों को तत्काल सहायता उपलब्ध कराएं। बारिश के कारण जिन लोगों के मकान क्षतिग्रस्त हो गए हैं, उन्हें अस्थाई आवासों में शिफ्ट किया जाए। ऐसे लोगों के भोजन आदि की माकूल व्यवस्थाएं सुनिश्चित करें। उन्होंने बांधों से पानी छोड़ने से पूर्व प्रभावित क्षेत्रों में स्थानीय प्रशासन एवं आमजन को समय पर सूचित करने के भी निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि मौसम विभाग की चेतावनी के अनुसार जिन जिलों एवं क्षेत्रों में भारी बारिश की आशंका है, वहां लोगों को सतर्क करने के साथ ही बचाव के पुख्ता इंतजाम किए जाएं। लोगों को डूब एवं भराव वाले स्थानों के साथ ही खतरे वाले पिकनिक स्थलों पर जाने से रोका जाए। जिन बांधों एवं जलाशयों के आसपास के क्षेत्र में खतरे की आशंका हो, वहां लोगों को अन्यत्र स्थानों पर शिफ्ट किया जाए। स्थानीय प्रशासन जलाशयों के जलस्तर की निरन्तर निगरानी करे। आवश्यकता पड़ने पर सेना एवं एनडीआरएफ की टीमों की तुरन्त मदद ली जाए।
उन्होंने कहा कि वर्षा के कारण जिन पुलों एवं सड़कों के क्षतिग्रस्त होने सेे आवागमन बाधित हुआ है उन्हें जल्द से जल्द दुरूस्त करा कर आवागमन सुचारू किया जाए। सार्वजनिक निर्माण विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रदेशभर में क्षतिग्रस्त सड़कों की प्राथमिकता के साथ मरम्मत की जाए। प्रभावित जिलों में खराबे की स्थिति एवं राहत कार्यों की निगरानी के लिए राज्य सरकार ने प्रभारी मंत्रियों को दौरा करने के निर्देश दिए थे।
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उनके फीडबैक तथा स्थानीय जन प्रतिनिधियों के सुझावों के आधार पर सरकार जल्द से जल्द सहायता उपलब्ध कराएगी। उन्होंने मध्यप्रदेश के सूंडा गांव के 200 लोगों को रेस्क्यू करने के लिए बारां जिला प्रशासन द्वारा किए गए प्रयासों को सराहा। उन्होेंने निर्देश दिए कि इन लोगों के अस्थाई आवास एवं भोजन की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। कोटा के पुलिस महानिरीक्षक रविदत्त गौड़ ने बताया कि पार्वती नदी में अत्यधिक जल प्रवाह के कारण मध्यप्रदेश के गुना जिले का यह गांव पानी से घिर गया था और मध्यप्रदेश के अधिकारियों ने इन्हें बचाने के लिए सहयोग का आग्रह किया था। इस पर तत्परता से कार्रवाई कर लोगों को बचाया गया।
बैठक के दौरान उद्योग मंत्री परसादीलाल मीणा, कृषि मंत्री लालचंद कटारिया, गोपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया, आपदा प्रबंधन एवं सहायता राज्यमंत्री राजेन्द्र सिंह यादव, श्रम राज्यमंत्री टीकाराम जूली एवं कृषि राज्य मंत्री भजनलाल जाटव ने कहा कि भारी बरसात से फसलों को व्यापक नुकसान पहुंचा है। सभी जिलों में प्रशासन ने आपसी समन्वय एवं तत्परता से कार्रवाई कर इस आपदा को रोकने एवं लोगों को राहत पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। उन्होंने विभिन्न जिलों में राहत एवं बचाव कार्यों, नुकसान की स्थिति, मुआवजे आदि के बारे में भी मुख्यमंत्री को जानकारी दी।
प्रमुख सचिव आपदा प्रबंधन एवं सहायता आनंद कुमार ने अतिवृष्टि एवं बाढ़ बचाव कार्यों पर विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने बताया कि हाडौती के कोटा, बारां, बूंदी एवं झालावाड़ जिलों में अधिक बरसात तथा जलाशयों में पानी की अत्यधिक आवक के कारण नदियों में छोड़े गए पानी से भरतपुर संभाग के धौलपुर जिले में बाढ़ के हालात उत्पन्न हुए। सभी स्थानों पर बाढ़ बचाव के लिए पुख्ता व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई हैं। उन्होंने बताया कि रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए संभाग मुख्यालय वाले सभी जिला कलेक्टरों को 20-20 लाख रूपए तथा शेष जिलों को 10-10 लाख रूपए रिवाॅल्विंग फण्ड के रूप में दिए गए हैं।
आकाशीय बिजली से मृतकों व घायलों के परिवारों को अनुग्रह सहायता के भुगतान के लिए संबंधित जिलों को 2 करोड़ 30 लाख रूपए आवंटित कर सहायता राशि का भुगतान कर दिया गया है।
इस अवसर पर मुख्य सचिव निरजंन आर्य सहित संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। कोटा एवं भरतपुर के संभागीय आयुक्त, पुलिस महानिरीक्षक, कोटा संभाग के सभी जिला कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक तथा भरतपुर संभाग के धौलपुर जिले के कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक भी वीसी से जुड़े।
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