मन की शांति पाने का पहला मंत्र है सही एवं सुंदर सोच: संत चन्द्रप्रभ

मन की शांति पाने का पहला मंत्र है सही एवं सुंदर सोच: संत चन्द्रप्रभ

जोधपुर, संत चन्द्रप्रभ ने कहा कि मन को शांत रखने के लिए सोच को सकारात्मक रखें। नकारात्मक सोच नरक का जाल बुनती है और सकारात्मक सोच स्वर्ग के महल बनाती है। नकारात्मकता के न से ही नरक बनता है और सकारात्मकता के स से ही स्वर्ग।

उन्होंने कहा कि जीवन में सहजता अपनाएँ। सहजता मन की शांति का मंत्र है। जो सहज मिले, उसे दूध की तरह स्वीकार कीजिए,जिसमें व्यर्थ की खींचतान और माथाफोड़ी हो, उसे खून समझकर त्याग दीजिए। हम व्यर्थ की लालसाओं में न उलझें। आवश्यकताएँ तो फकीर की भी पूरी हो जाया करती हैं, पर लालसाएँ तो सम्राटों की भी अधूरी रह जाती हैं।

उन्होंने कहा कि मिज़ाज को हमेशा ठंडा रखिए। अगर कभी कुछ नुकसान हो भी जाए तो यह सोचकर टेंशन फ्री हो जाइए कि की फर्क पैंदा, हो गया सो हो गया। अन्यथा आप राई जितनी बात का भी पहाड़ जितना टेंशन पाल बैठेंगे। दिमाग में लोड न लेने की प्रेरणा देते हुए उन्होंने कहा कि हाथ में काम उतना ही लीजिए, जितना करने की क्षमता हो। आखिर थाली में उतना ही तो भोजन परोसना चाहिए, जितना हम खा सकते हों। संत चन्द्रप्रभ कायलाना रोड स्थित संबोधि धाम में आयोजित आर्ट ऑफ पीसफुल माइंड सत्संग एवं साधना के अवसर पर श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि माफी को महत्व दीजिए। खुद से गलती हो गई तो माफी माँग लीजिए और दूसरे से गलती हो गई तो माफ कर दीजिए। भला जब सॉरी कहने से प्रेम के पुल बन सकते हैं तो लम्बे समय तक द्वेष की दीवारों से सिर क्यों टकराया जाए? फालतू की माथाफोड़ी में हाथ मत डालिए। किसी के काम में तभी दखल दीजिए, जब आपसे पूछा जाए। अनावश्यक टोका-टोकी, टीका-टिप्पणी आपके दुश्मन बढ़ाएगी और जिसके दुश्मन जितने ज़्यादा, सिरदर्द उसका उतना ही ज़्यादा। उन्होंने कहा कि समझौतावादी नज़रिया अपनाइए।
शांति मंत्र देते हुए उन्होंने कहा कि ईश्वर पर भरोसा रखिए। भाग्य अगर हमारे 99 द्वार बंद कर देगा, तब भी ईश्वर हमारे लिए कोई-न-कोई एक द्वार अवश्य खोल देगा।

रोज जोर से दस ठहाके लगाएं

अंतिम मंत्र में उन्होंने कहा कि हर रोज जोर के 10 ठहाके लगाइए, 5 मिनट नृत्य कीजिए और 20 मिनट ध्यान। ठहाके लगाने से अवसाद दूर होगा, नृत्य करने से तन-मन में लय और संगीत पैदा होगा तथा ध्यान करने से मन आध्यात्मिक शांति, शक्ति और शुद्धि की तरफ गति करेगा। इस अवसर पर डॉ. मुनि शांतिप्रिय सागर ने साधकों को ओंकार मंत्र ध्यान का अभ्यास करवाया।

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