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देश के सभी धार्मिक स्‍थलों का पुर्नद्धार होना महत्‍वपूर्ण-शेखावत

केन्‍द्रीय जलशक्ति मंत्री ने श्रीकोटेश्‍वर धाम प्राण प्रतिष्‍ठा महोत्‍सव में लिया भाग

सिवाना,केन्‍द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्‍द्र सिंह शेखावत ने शुक्रवार को श्री कोटेश्‍वर धाम प्राण प्रतिष्‍ठा महोत्‍सव में कहा कि जिस तरह भारत परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, ऐसे वक्‍त में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्‍व में देश के सभी धार्मिक स्‍थलों का पुर्नद्धवार होना महत्‍वपूर्ण है। उन्‍होंने कहा कि काशी से ही नहीं, बल्कि भगवान जगन्‍नाथ का परिसर,सोमनाथ के मंदिर का पुर्नद्धार और उज्‍जैन में महाकाल का भी नया परिसर बना है।

केन्‍द्रीय मंत्री ने कहा कि देश में जिस तरह धार्मिक स्‍थलों का पुर्नद्धार हो रहा है,पहले इसकी चर्चा तक करना मुश्किल होता था। उन्होंने कहा कि जिस विषय को लेकर सैकड़ों साल तक हम संघर्ष करते रहे कि अयोध्‍या में भगवान श्रीराम का मंदिर बनना चाहिए,जहां भगवान श्रीराम का जन्‍म हुआ। उन्‍होंने कहा कि भगवान श्रीराम के उस जन्‍म स्‍थल पर मंदिर बने, इसके लिए लाखों लोगों ने कुर्बानी दी। सभी जाति धर्म के लोगों ने उसके लिए अपना जीवन समर्पित किया।

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शेखावत ने कहा कि यह बहुत ही सौभाग्‍य का समय है कि जहां एक तरफ हम कोटेश्‍वर महादेव के मंदिर का पुर्नद्धार कर रहे हैं, वहीं अयोध्‍या में भगवान श्रीराम के मंदिर का निर्माण भी हो रहा है। केन्‍द्रीय मंत्री ने कहा कि मोदी के नेतृत्‍व में 2024 के मार्च महीने तक अयोध्‍या में रामलला के दर्शन प्राप्‍त करने का सौभाग्‍य हम सभी को मिलेगा।

पीपलून की पहाडियों का इतिहास में विशेष महत्‍व

केन्‍द्रीय मंत्री ने कहा कि पीपलून की पहाडियों का हमारे इतिहास में विशेष महत्‍व है और इन पहाडियों का सनातन की विभिन्‍न शाखाओं को मानने वाले लोगों पर कर्ज है।उन्होंने कहा कि इन पहाडियों में वीर दुर्गादास ने संघर्ष नहीं किया होता और उन्‍हें संरक्षण नहीं दिया होता तो इस धरती से हिंदू धर्म हमेशा-हमेशा के लिए तब ही समाप्‍त हो गया होता,लेकिन ऐसे वीरों के संघर्ष के चलते ही आज सनातन धर्म दुनिया का मार्ग प्रशस्‍त कर रहा है।

गुरुकुल बनाने में हर संभव दिया जाएगा योगदान

शेखावत ने यहां बनाए जाने वाले गुरुकुल के निर्माण में सहयोग करने का आश्‍वासन भी दिया। यहां गुरुकुल बनाने की जो संकल्‍पना की गई है,वह अपने-आप में बहुत ही महत्‍वपूर्ण है। गुरुकुल की परंपरा ही थी,जिसने आदिकाल में भारत को विश्‍वगुरु का दर्जा दिलाया था और पीढ़ी परंपरा से निरंतर आगे बढ़ते हुए धर्म की ध्‍वजा को अक्षुण्‍य रखने के लिए भगवाधरियों की पीढियां तैयार कीं। उन्होंने स्‍वामीजी का आभार व्‍यक्‍त करते हुए कहा कि इस गुरुकुल के निर्माण में हर शख्‍स अपनी क्षमता के अनुसार योगदान करेगा। जिस तरह यह दौर हिन्‍दुओं,भारत के लिए महत्‍वपूर्ण है,उस परिपेक्ष्‍य में यह स्‍थान धर्म के प्रसार का बहुत बड़ा केन्‍द्र बनेगा।

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