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राजस्थान के पहले अंतर्राष्ट्रीय थियेटर महोत्सव का आगाज़

  • मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किया उद्घाटन
  • ब्रोशर का लोकार्पण एवं रंगमंच फोटोग्राफी प्रदर्शनी का भी हुआ उद्घाटन
  • पहले दिन नाटक ‘भूमि’ का हुआ मंचन

जोधपुर,राजस्थान का पहला अन्तराष्ट्रीय थियेटर महोत्सव शनिवार शाम जोधपुर में शुरू हुआ। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस अंतरराष्ट्रीय रंगमंच महोत्सव की विधिवत शुरूआत की। मुख्यमंत्री गहलोत तथा कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ.बीडी कल्ला एवं प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड वर्चुअल रूप से उद्घाटन समारोह में शामिल हुए। डॉ.एसएन मेडिकल कॉलेज सभागार में आयोजित उद्घाटन समारोह में राजस्थान राज्य मेला प्राधिकरण के उपाध्यक्ष रमेश बोराणा एवं अकादमी की अध्यक्ष बिनाका जेश मालू उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने समारोह के ब्रोशर का लोकार्पण किया एवं रंगमंच फोटोग्राफी प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर अपने उद्बोधन में राजस्थान संगीत नाटक अकादमी जोधपुर की अध्यक्ष बिनाका जेश को अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव जोधपुर में करने के लिए साधुवाद दिया।

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‘भूमि’ नाटक का मंचन

उद्घाटन सत्र के पश्चात नाट्य प्रस्तुति का दौर शुरू हुआ। इसमें समागम रंगमंडल जबलपुर की ओर से आशीष पाठक द्वारा लिखित एवं राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की स्नातक स्वाति दुबे द्वारा निर्देशित नाटक ‘भूमि’ की प्रस्तुति हुई।

कथानक के अनुसार नाटक ‘भूमि’ महाभारत के वन पर्व की पृष्टभूमि पर अर्जुन चित्रांगदा की कथा पर आधारित है। अर्जुन-चित्रांगदा की कथा प्रचलित होते हुए भी बहुश्रुत नहीं है। कथा प्रभंजन से शुरू होकर अंत में अर्जुन चित्रांगदा के जीवन से होते हुए ऐसे प्रश्न पर जाकर खड़ी हो जाती है जहाँ चरित्र मिथक होते हुए भी आधुनिक स्त्री पुरुष हो जाते हैं और उनके प्रश्न हो जाते हैं, जहाँ चित्रांगदा संपूर्ण नारी जाति का प्रतिनिधित्व करती है, तो अर्जुन सम्पूर्ण नर जाति का।

रोचकताओं से भरी नाट्य प्रस्तुति में संदेश दिया गया है कि भू-स्वामी बनने की चाह हर मनुष्य में होती है। वो जीवन भर इस प्रयास में रहता है। और जब ये चाह लालच में बदल जाती है तब महाभारत भी उसे पूरा नहीं कर पाती। इतने युद्धों से होकर भी मनुष्य आज भी भूमि के वर्चस्व के लिए लड़ रहा है,पर स्त्री कोई भूमि नहीं। ऐसा क्या है कि आदमी ने इतिहास से कुछ नहीं सीखा,यही खोज हमें मिथकों तक ले जाती है। ‘भूमि’ की भूमि भी यही है जिस पर जाना पहचाना लेकिन असफल प्रेम गीत है,जिसका निर्णय आने वाली पीढ़ी पर छोड़ दिया है, जिसका प्रतिनिधित्व बब्रुवाहन करता है।

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प्रस्तुति के दौरान नाटक में मंच पर पात्रों ने अपने अभिनय को बेहद प्रभावशीलता के साथ जीया। इनमें चित्रांगदा की भूमिका में स्वाति दुबे, अर्जुन-हर्षित सिंह,बब्रुवाहन-वन्दिता सेठी/उत्सव हंडे,प्रभंजन-शिवाकर सप्रे,महारानी-मानसी रावत,गुरुमाता/ महागुरु-आयुषी राव,पार्वती- शिवांजलि गजभिये,शिव-उत्सव हंडे, चित्रवाहन-अर्पित खटीक,वसुंधरा- ज्योत्सना कटारिया,मैतेयी-आयुषी राव,लोहान-उत्सव हंडे,गाम्बा-वन्दित सेठी और उलूपी की भूमिका का बखूबी निर्वाह मानसी रावत ने किया।
कोरस में सहागिता निभायी उत्सव हंडे,शिवकर सप्रे,वन्दित सेठी,अर्पित खटीक,सितांशु पाल,नमन सेन, मानसी रावत,शिवांजलि गजभिये, आयुषी राव,साक्षी गुप्ता ने।

नाटक में मंच परे जिनकी अहम भूमिका रही,उनमें संगीत निर्देशन एवं लेखक-आशीष पाठक,निर्देशक- स्वाति दुबे,प्रकाश परिकल्पना-स्वाति दुबे,प्रकाश संचालन-आशीष पाठक, वेशभूषा-स्वाति दुबे,सेट परिकल्पना- स्वाति दुबे,आशीष पाठक,मेकअप- स्वाति दुबे,गीत संरचना-संजय उपाध्याय,कविता-सोम ठाकुर प्रमुख हैं। इसी प्रकार संगीत गायन/वादन- ज्योत्सना कटारिया,शिवांजलि गजभिये,शिवम बावरिया,नमन सेन, सितांशु पाल,साक्षी गुप्ता,अर्पित खटीक अन्य की सहभागिता रही। संगीत संचालन गोविन्द तिवारी ने किया। इसी प्रकार थांग-था (मणिपुरी मार्शल आर्ट) प्रशिक्षण-चिंगथम रणजीत खुमान और कल्लरिपयत्तु प्रशिक्षण एवं युद्ध परिकल्पना- गुरुकल अमित सुदर्शन की रही।

रविवार को दिन में रंग संवाद संगोष्ठी

अन्तराष्ट्रीय थियेटर महोत्सव रविवार 19 मार्च को प्रातः 11.30 से मध्याह्न 1 बजे तक होटल घूमर में रंग संवाद संगोष्ठी होगी, जहां रंगमंच से जुड़े कलाकार और विद्वजन विभिन्न कला विधाओं और रंगमंच से जुड़े विषयों पर चर्चा करेंगे।

रविवार को दो नाटकों का मंचन

शाम 7 बजे डॉ.एसएन मेडिकल कॉलेज सभागार में दुबई के नाटक ‘धी’ का मंचन होगा। इसकी निर्देशिक महुआ कृष्णदेव हैं। इसके बाद रात 8ः15 बजे उज़्बेकिस्तान के नाटक ‘टू किल ऑर नॉट टू किल’ का मंचन होगा।

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