प्रो.नामवर सिंह स्मृति व्याख्यान मंगलवार को

  • जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में विस्तार व्याख्यानमाला
  • प्रो.पुरुषोत्तम अग्रवाल होंगे मुख्य वक्ता

जोधपुर,प्रो.नामवर सिंह स्मृति व्याख्यान मंगलवार को।जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर की विस्तार व्याख्यानमाला के तहत मंगलवार 5 सितम्बर को दोपहर एक बजे विश्वविद्यालय के केन्द्रीय कार्यालय स्थित बृहस्पति भवन में प्रो. नामवर सिंह स्मृति व्याख्यान का आयोजन किया जायेगा।। व्याख्यानमाला के  संयोजक, अध्यक्ष पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के अध्यक्ष प्रो.किशोरीलाल रैगर ने बताया कि इस व्याख्यानमाला के अन्तर्गत जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली के पूर्व प्रोफेसर एवं संघ लोक सेवा आयोग,नई दिल्ली के पूर्व सदस्य प्रो.पुरुषोत्तम अग्रवाल,‘विउपनिवेशी करण कुछ विचार’ विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में अपनी बात प्रस्तुत करेंगे।कार्यक्रम की अध्यक्षता जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.केएल श्रीवास्तव करेंगे।

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उल्लेखनीय है कि द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् यूरोपीय साम्राज्यवाद को चुनौती दी गई जिसके कारण एशिया, अफ्रीका और लेटिन अमेरिकी देशों ने गुलामी को उखाड़ फेंक कर स्वतंत्रता की प्रक्रिया अपनाई जिसे विउपनिवेशीकरण का नाम दिया गया। अतः भारत की स्वतन्त्रता भी विउपनिवेशीकरण का ही हिस्सा रही है। अतः आज का यह व्याख्यान अति महत्त्वपूर्ण है।विस्तार व्याख्यानमाला जैसे बौद्धिक कार्यक्रमों के जरिये प्रो. नामवर सिंह जैसे उद्भट विद्वानों को याद करना न केवल उनको सच्ची श्रद्धांजलि है अपितु विश्वविद्यालय के अकादमिक वातावरण को भी प्रोत्साहित करना है।वस्तुतःप्रो.नामवर सिंह इस विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में सन् 1970 से 1974 तक आचार्य एवं अध्यक्ष के रूप में रहे थे तथा यहाँ से वे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय,नई दिल्ली चले गए। उन्हें हिन्दी आलोचना का शिखर पुरुष कहा जाता है,जिन्होंने आलोचना के क्षेत्र में नये युग का सूत्रपात कर प्रगतिशील आलोचना को स्थापित किया।

कुलपति प्रो.केएल श्रीवास्तव की पहल से पुनः शुरू
प्रो.नामवर सिंह अनेक चर्चित पुस्तकों के लेखक रहे हैं जिनमें से ‘छायावाद’, ‘इतिहास और आलोचना’,‘कहानी : नयी कहानी’, ‘कविता के नये प्रतिमान’, ‘दूसरी परम्परा की खोज’, ‘वाद-विवाद और संवाद’ आदि प्रमुख हैं। प्रो.नामवर सिंह की विद्वत्ता एवं उनके अकादमिक योगदान को याद कर वैचारिक वातावरण तैयार करने के लिए प्रो.एलएस राठौड़ ने कुलपति रहते हुए अपने वेतन से प्रो.नामवर सिंह व्याख्यानमाला प्रारम्भ किया था। तीन व्याख्यानों में वे स्वयं उपस्थित हुए थे। लेकिन विगत कई वर्षों से यह व्याख्यान नहीं हो पाया था। कुलपति प्रो.केएल श्रीवास्तव ने व्याख्यान पुनः प्रारम्भ कर विश्वविद्यालय में अकादमिक उत्कृष्टता को नया स्वरूप प्रदान किया है।

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