युवा कांग्रेस सहायता सेवा केन्द्र की एक वर्च्यूअल बैठक आयोजित हुुुई 

जोधपुर, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के जन्म दिवस पर सोमवार को युवा कांग्रेस कोविड-19 सहायता सेवा केंद्र ने प्लाज्मा दान किया एवं अस्पतालो में भर्ती जरुरत मंदो के भोजन की व्यवस्था करने का संकल्प लिया।

युवा कांग्रेस सहायता सेवा केंद्र के प्रवक्ता इलियास मोहम्मद ने बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के जन्म दिवस पर यूथ कांग्रेस कोरोना सहायता सेवा केंद्र के प्रभारी एवं युवा कांग्रेस देहात जिला अध्यक्ष रामनिवास बुधनगर ने प्लाज्मा डोनेट किया।

Plasma donation done on Chief Minister's birthday

संयोजक पुनित जाँगु की अध्यक्षता में ज़ूम एप्प पर आयोजित एक वर्च्यूअल बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के जन्म दिवस पर सर्वसम्मति से तय किया गया कि हॉस्पिटल में भर्ती जरुरतमंद कोरोना मरीजों और उनके परिजनों को आज से भोजन की व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए सभी सरकारी हॉस्पिटल के प्रबंधन को सूचित किया जायेगा ताकि कोई व्यक्ति धन, संसाधन के अभाव में भोजन से वंचित ना रहे।

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बैठक में सबसे पहले जोधपुर जिला प्रशासन को सहायता सेवा केन्द्र द्वारा उठाये गये मुद्दों पर उचित निर्णय लेने पर आभार जताया गया। यह भी कहा गया कि अभी भी बहुत कुछ ऐसा है जो कि प्रशासन उचित प्रबंधन से सुधार सकता है जिन पर विस्तार से बिन्दुवार चर्चा की गई। तत्पश्चात सहायता सेवा केंद्र द्वारा अब तक किए गए कार्यों की समीक्षा की व कार्य में आ रही समस्या पर चर्चा की। आने वाली चुनौतियों में सभी को हौंसला बनाये रखने को कहा।

बैठक में राज्य सरकार के ब्लड बैंक से निजी हॉस्पिटल में प्लाज़्मा देने के शुल्क का विषय उठाया गया। चर्चा में पाया गया कि निजी ब्लड बैंक राजकीय शुल्क से बहुत कम शुल्क में प्लाज़्मा दे रहे हैं। ऐसे में राजकीय ब्लड बैंक का शुल्क न्यायोचित प्रतीत नहीं होता है। जोधपुर में ही पारस ब्लड बैंक ₹9,500/- व रोटरी ब्लड बैंक ₹11,500/- में प्लाज़्मा उपलब्ध करवा रहा है। जबकि राजकीय ब्लड बैंक इसके लिए ₹16,500/- वसूल रहे हैं। ये कतई न्यायोचित नहीं है। निजी हाॅस्पिटल में वैसे ही आम- आदमी मजबूरी में जाता है ऐसे में उस पर प्लाज़्मा के भारी-भरकम शुल्क का बोझ लाद देना सही नहीं है।

बैठक में तय किया गया कि राज्य सरकार से माँग की जायेगी कि राजकीय ब्लड बैंक में प्लाज़्मा शुल्क तर्कसंगत किया जाये ताकि आम आदमी का शोषण नहीं हो। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि कई परिवारों में सभी लोग संक्रमित हो चुके हैं ऐसे में वो दवा लाने या डॉक्टर को दिखाने में भी सक्षम नहीं हैं। ऐसी स्थिति में प्रशासन के साथ-साथ सहायता सेवा केन्द्र की ओर से एक सदस्य उनकी आधारभूत ज़रूरतों को पूरा करने के लिए कार्य करेगा एवं निगरानी रखेगा।
चर्चा में होम आईसोलेशन मरीज़ों के लिए ऑक्सीजन प्राप्त करने में आ रही दिक्कत को देखते हुए एक स्पष्ट नीति बनाने पर ज़ोर दिया गया। सीधे डॉक्टर की पर्ची पर गैस सिलेन्डर देने से काला बाज़ारी बढ़ने का डर बन गया है। ऐसे में केन्द्रीकृत व्यवस्था बनाये जाने जहाँ डॉक्टर अपनी पर्ची भेजे और वहीं से ज़रूरतमंद लोगों को चिन्हित कर ऑक्सीजन सप्लायर को उचित निर्देश जारी किए जाएं। ताकि ज़रूरतमंद मरीज़ की जान को खतरा न बने।

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सालावास, बालसमंद और रेज़ीडेंसी हॉस्पिटल में सैंपलिंग और वैक्सीनेशन की आ रही दिक्कतों पर चर्चा करते हुए तय किया गया कि उच्च अधिकारियों को इन समस्याओं की ओर ध्यान दिलाया जायेगा ताकि कल से आमजन को परेशानी नहीं हो।
मज़दूर जिन्हें कमठे या फैक्ट्री में काम करने के लिए आना-जाना होता है वो अशिक्षा अथवा अज्ञानता के कारण प्रशासन के नियमों की जानकारी के अभाव में पुलिस की प्रताड़ना का शिकार हो जाते हैं। ऐसे में तय किया गया कि पुलिस अधिकारियों को इसके लिए एक उचित व्यवस्था बनाने हेतु कहा जाये। कम से कम मजदूर की व्यथा को समझा जाए और उससे किसी प्रकार का दुर्व्यवहार ना किया जाए।

बैठक में हकीम मारवाड़, पुखराज दिवराया, हर्षिता राठौड़, महीपाल गहलोत, अकमुद्दीन खान, सूर्यप्रकाश सांखला, संजय ढाका, पारस सांखला, मनीष विश्नोई, दयाराम नायल, माधुराम कड़वासरा, सावर परिहार, अब्दुल कलाम आदि ने अपने-अपने विचार रखे।