जोधपुर,कविमित्र समूह द्वारा रविवार को एक राज्यस्तरीय त्रिभाषी ऑनलाइन काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी का प्रारंभ मकबूल शायर अशफाक अहमद फौजदार ने ग़ज़ल ‘हो जाय दुनिया में अमनो अमान/मेरी तुझसे सिर्फ यही है इक दुआ’ सुना कर किया। दशरथ सोलंकी ने ‘कविता का ककहरा भी गांव में है/सम्बन्धों का स्नेह-संसार भी गांव में है’ कविता से गांव की स्मृतियों को जिंदा किया।
युवा कवयित्री शिवानी पुरोहित ने प्रेम की बात करते हुए कहा ‘हमने बुने थे कुछ किस्से/रची थी कुछ कहानियां/डायरी के पन्नों के बीच/गुलाब की पंखुड़ी की तरह’, वहीं बीकानेर की वरिष्ठ कवियत्री मोनिका गौड़ ने ज्यामितीय आकारों के माध्यम से स्त्री के मन की बात ‘रिश्तों के कोणों से खुद को बचाती/बेलती है गोल रोटियां/पनीर के वर्गाकार टुकड़ों में तलाशती खुद को’ सुना कर वाहवाही बटोरी।
ओसियां से युवा कवि चंद्रभान विश्नोई ने मायड़ भाषा में रचना पेश की ‘मिनख लिख्या व्हेला प्रेम-गीतड़ला/पण कांई ए सब प्रीत ने पूरी बखानै’। रंगकर्मी प्रमोद वैष्णव ने दार्शनिक अंदाज में जिंदगी को लेकर सवाल उठाये’ तन्हा करती रही जिंदगी/न जाने कितने हिस्सों में बंटती रही जिंदगी’। मुख्य अतिथि डॉ. फतेह सिंह भाटी को उनके शेरों’मुझे जादू पर यकीन नहीं था/उनकी आंखें देखने से पहले’ पर जमकर दाद मिली।
ये भी पढ़े :- पुत्र होने की खुशी में आयोजित रक्तदान शिविर में 40 युनिट रक्तदान
रेणुका श्रीवास्तव ने’अब भी दिखाई देती है चांद-घर में’,अमृतसर से रोशनी ने ‘अपने मन को बेदर्दी से कत्ल कर के भी/हर पल मुस्कुराती रहती है वो’,और ज्योति तिवारी ने’प्रेम निशब्द है,अनमोल है’ अलग अलग मनोभावों की कविताएं सुना कर खूब मनोरंजन किया।उदयपुर से वरिष्ठ कवि और गोष्ठी अध्यक्ष शैलेन्द्र ढड्ढा ने’ ईशावास्य मिदं का मंत्र गूंजें चहुं ओर/तत्वमसि श्वेतकेतु की हो सुहानी भोर’ कविता के माध्यम से आशा का संदेश दिया।
रंगकर्मी कमलेश तिवारी ने ‘पथ तू है/पथिक भी तू/मीत भी तू/गीत भी तू’ गीत द्वारा अद्वैत के अनुभव को साकार किया। अंत में कवयित्री मधुर परिहार ने अपने गीतों’अंतर्मन का दीप प्रज्वलित/मुझको राह दिखाता है’सुना कर मन मोह लिया। कार्यक्रम का संचालन प्रमोद वैष्णव ने किया और धन्यवाद ज्ञापन संस्था के उपाध्यक्ष अशफाक अहमद फौजदार ने किया।