अलविदा जुमे पर घरों में ही पढ़ी गई नमाज

जोधपुर, अलविदा जुमे पर आज घरों में ही नमाज अदा की गई। कोरोना की वजह से मस्जिदों में नमाज हुई मगर न के बराबर नमाजियों के साथ। आखिरी जुमे पर आज इस्लाम को मानने वालों के यहां खुशी का माहौल था। घरों में भी नमाज के दौरान कोराना गाइड लाइन का पूरा पूरा पालन किया गया। सभी ने अलसुबह उठ कर सहरी की। घरों में ही रहकर इबादत की। कल और आज हल्की बारिश होने से रोजेदारों को गर्मी से राहत मिली।

दिल खोलकर खैरात व जकात दी जा रही है। वैसे तो इस्लाम में रमजानुल मुबारक का हर दिन बड़ी ही रहमतों और बरकतों का होता है। इस पाक महीने में सवाब का दर्जा सत्तर गुना अधिक हो जाता हैै। जिसके चलते अधिक से अधिक लोग इबादतों और भलाई के कामों में मशगूल हो जाते हैं। इस महीने में ही मोमिन सुबह से शाम तक भूखे प्यासे रहकर तीस दिन तक रोजे रखकर अल्लाह की इबादत करते हैं।

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रमजान के महीने में जुमा (शुक्रवार) का बड़ा ही महत्व होता है। खास तौर पर रमजान के आखिरी जुमा को अलविदा का जुमा कहा जाता है। इस खास दिन में हर बच्चे से लेकर नौजवान और बुजुर्ग रोजा रखते हैं। घरों में भी खूब इफ्तारी बनाई जाती है जो मुहल्ले के हर छोटे और बड़े घरों के साथ ही जरूरतमंदों को तक्सीम की जाती है। अलविदा जुमा रमजान का आखिरी जुमा होता है। जिससे रोजेदारों को रमाजान के जाने का अहसास होता है। जिसके चलते रोजेदार और भी इबादत में मशगूल हो जाते हैं। आज 25वीं शब है, इस रात अधिक से अधिक इबादत की जाती है। आखिरी जुमे के साथ ही घरों में ईद की तैयारियां शुरू हो जाती हैं।

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