माँ की व्यथा ने किया भावुक, पुलकित ने दिखाया समाज कोआईना
केलवाद में नवरात्रि महोत्सव बना कुरूति उन्मूलन मंच
पाली,संस्कृति महिला मंडल,केलवाद द्वारा आयोजित नवरात्रि महोत्सव में गरबा रास के पश्चात मंचित नाटक ‘माँ की व्यथा’ ने उपस्थित सभी लोगों को भावुक कर दिया। नाटक की मुख्य पात्र ‘माँ’ के किरदार में पुलकित सिंह ने समाज के सामने सच्चाई का आईना लाकर खड़ा कर दिया। कोरोना काल के दौरान कैसे उसके बेटे-बहु ने उसे धक्के मार कर अपने घर से बाहर निकाल दिया। माँ के किरदार ने बताया कि वर्तमान में नई पीढ़ी को उन्मुक्त टेक्नोलॉजी ने ग्रस्त कर लिया है। जहां हमारे देश में मातृ-पितृ भक्त श्रवण कुमार,राम जैसे आदर्श स्थापित किया करते थे वहीं आज की पीढ़ी उन्मादी संगीत में डूबी अपने आप में मस्त है,व्यस्त है। उन्हें अपने बुजुर्ग माता-पिता की आवाज भी अब बुरी लगती है, उनके आनंद को अवरुद्ध करती है। इस स्थिति से बचने के लिए वे अपने कानों को ईयर फोन से ढके रहते हैं,आग भरी झल्लाहट और कर्कश आवाज़ से बचने के लिए बुजुर्ग माताएं अपने बच्चों को आवाज़ देने से पहले कई बार सोचती हैं।
आज ‘मां’ आहत है, संस्कृति आहत है,क्या सोच रहे हैं हम, हमारी संतानें इस कल्चर से बची रह जाएगी? आज हमें संस्कार और चरित्र की नहीं बल्कि सुंदर चेहरा दिखाने की चिंता है। चेहरे की सुंदरता तो क्षणिक है किंतु सुशील और स्नेहिल स्वभाव हर किसी को अपना बना लेता है। इसलिए हमें घर के बच्चों को अपने माता-पिता का सम्मान करना सिखाना होगा। लीक से हटकर सामाजिक जागरूकता व मानवीय मूल्यों को स्थापित करता है यह कार्यक्रम है जो छोटे से गांव केलवाद में आयोजित किया जा रहा है। कार्यक्रम का सम्पूर्ण नाट्य निर्देशन पुलकित सिंह द्वारा किया जा रहा है। नाट्य लेखन व परिकल्पना ओमप्रकाश राव द्वारा की गई। नाट्य मंचन में बाल मंडली के सदस्य डाभक,लिपाक्षी,कोमल, परिधि,रविंद्र,सुशांत,दिव्या,गुंजन, खुश्बू सहित ग्रामीण परिवेश के कई बच्चे अलग-अलग भूमिका में प्रस्तुतिकरण देते हैं। कार्यक्रम का संचालन समाजसेवी महिला शारदा राव द्वारा किया जा रहा है।
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