जोधपुर: एम्स में तीन दिवसीय क्षेत्रीय पैलिएटिव केयर प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित

जोधपुर(डीडीन्यूज),जोधपुर: एम्स में तीन दिवसीय क्षेत्रीय पैलिएटिव केयर प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान जोधपुर ने राजस्थान सरकार और भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सहयोग से तीन दिवसीय “Compassion in Practice” प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया। यह आयोजन राष्ट्रीय पैलिएटिव केयर कार्यक्रम (NPPC) के अंतर्गत किया गया, जिसका उद्देश्य जीवन-सीमा से जूझ रहे मरीजों को करुणामय,गुणवत्ता पूर्ण और समग्र देखभाल देने के लिए चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित करना था।

कार्यक्रम का शुभारंभ एम्स जोधपुर के कार्यकारी निदेशक डॉ.जीडी पुरी, डॉ.उमेश सुरंगी (NPPC & NPHCE),डॉ.कीर्ति सहारण (नेशनल प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर, NPPC),डॉ.गीता जोशी (अध्यक्ष, IAPC),कर्नल यशवंत जोशी,डॉ. मनोज कमल एवं डॉ.भारत पालीवाल द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ हुआ।

इस प्रशिक्षण में लद्दाख,गुजरात, हरियाणा,दमन और दीव,पंजाब, चंडीगढ़,हिमाचल और राजस्थान से आए कुल 42 चिकित्सकों ने भाग लिया। कार्यशाला का समन्वय राजस्थान की राज्य नोडल अधिकारी डॉ.निर्मला शर्मा के निर्देशन में हुआ। इस कार्यशाला में घरेलू देखभाल,अस्पताल आधारित देखभाल,दर्द प्रबंधन,संवाद कौशल, एंड-ऑफ-लाइफ केयर एवं पारिवारिक सहयोग जैसे विषयों को शामिल किया गया।

पहले दिन किस मरीज को पेलिएटिव केयर में रेफर किया जाए विषय पर विशेषज्ञों डॉ.पुनीत पारीक,डॉ.धर्माराम पूनिया और डॉ. प्रमोद ने विचार साझा किए। इस सत्र का संचालन डॉ.गीता जोशी ने किया। दूसरे दिन घरेलू और अस्पताल आधारित देखभाल के बीच की दूरी को कैसे पाटा जाए विषय पर डॉ.भारत पालीवाल के नेतृत्व में पैनल चर्चा आयोजित हुई, जिसमें डॉ.ललित के.रेगर,डॉ.सीमा पर्तानी,डॉ.दीपक गर्ग,डॉ.जगदीश कुमावत,डॉ.गीता सिंगारिया,डॉ.चंदा खत्री और सिस्टर हनीफे ने भाग लिया।

कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ. मनोज कमल ने बताया कि यह कार्यशाला केवल प्रशिक्षण का माध्यम नहीं,बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं में मानवीय स्पर्श को समाहित करने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम न केवल स्वास्थ्य कर्मियों की दक्षता बढ़ाते हैं,बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को और अधिक संवेदनशील और प्रभावी बनाते हैं।

राज्य नोडल अधिकारी डॉ.निर्मला शर्मा ने कहा कि यह कार्यशाला स्वास्थ्य सेवा को चिकित्सा से आगे बढ़ाकर करुणा और सम्मान आधारित देखभाल की ओर ले जाने वाला एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने पेलिएटिव केयर को जन-जन तक पहुंचाने की आवश्यकता पर बल दिया।

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डॉ.उमेश सुरांगी ने कहा कि कार्यशाला का उद्देश्य विभिन्न राज्यों से आए प्रतिभागियों को पेलिएटिव केयर की गहराई से समझ और व्यावहारिक प्रशिक्षण देना था, जिससे सभी स्तरों,प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक पर मरीजों को संवेदनशील और समग्र देखभाल मिल सके। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण में दर्द प्रबंधन,संवाद कौशल,मनो-सामाजिक सहयोग और एंड-ऑफ-लाइफ केयर जैसे विषयों पर विशेष ध्यान दिया गया, जो राष्ट्रीय पैलिएटिव केयर कार्यक्रम (NPPC) के उद्देश्यों के अनुरूप है।