जोधपुर: डिजिटल के दौर में विश्व स्तर पर प्रभावशाली भाषा हिंदी-प्रो शुक्ला

निफ्ट में हिंदी कार्यशाला का आयोजन

जोधपुर(डीडीन्यूज),जोधपुर: डिजिटल के दौर में विश्व स्तर पर प्रभावशाली भाषा हिंदी-प्रो शुक्ला।युवाओं को अंर्तमन से हिंदी को समझने का प्रयास करना चाहिए। भारतीय विचार और संस्‍कृति का वाहक होने का श्रेय हिन्‍दी भाषा को ही जाता है। हिंदी आम आदमी की भाषा के रूप में देश की एकता का सूत्र है। ऐसे ही हिंदी विभिन्न भाषाओं के उपयोगी और प्रचलित शब्दों को अपने में समाहित करके सही मायनों में भारत की संपर्क भाषा होने की भूमिका निभा रही है। यह कहना था प्रोफेसर गोविंद सहाय शुक्ला का,वे राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान में सोमवार को आयोजित हिंदी कार्यशाला में हिंदी भाषा हमारा गौरव व मौलिक अभिव्यक्ति विषय पर बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे।

शुक्ला ने कहा कि आज हिंदी हमारा गौरव है,आत्मसम्मान है और सूचना प्रौद्योगिकी के इस दौर में हिन्‍दी का इस्‍तेमाल लगातार बढ़ रहा है। आज डिजिटल के दौर में हिंदी विश्व स्तर पर एक प्रभावशाली भाषा बनकर उभरी है। सोशल मीडिया और संचार माध्यमों में हिंदी का प्रयोग निरंतर बढ़ रहा है। आज हिंदी बहुआयामी भाषा है,यह बात इसके प्रयोग क्षेत्र के विस्तार का देखते ही समझ आती है लेकिन सरकारी कार्यों सहित जन- जन को हिंदी को दिल से अपनाने की जरूरत है।

शुक्ला ने वि‍ज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में भी हिंदी में काम को बढ़ावा देने की बात कहते हुए कहा कि देश की प्रगति में ग्रामीण जनसंख्‍या सहित सबकी भागीदारी सुनिश्चित हो सके। इसके लिए यह अनिवार्य है कि हिन्‍दी और अन्‍य भारतीय भाषाओं में तकनीकी ज्ञान से संबंधित साहित्‍य का भी सरल अनुवाद किया जाए। शुक्ला ने हिंदी भाषा का सभी संस्थानों में ज्यादा प्रयोग करने पर जोर देते हुए कहा कि हिंदी में अनंत ज्ञान छुपा है,लेकिन हमारी मौलिक भाषा को प्रतिस्थापित करने पर ही इसका लाभ लिया जा सकता है। इसलिए हम सभी को व्यवहार में हिंदी को अपनाकर उसके प्रति अनुराग पैदा करना होगा।

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इस मौके पर निफ्ट के निदेशक प्रो. जीएचएस प्रसाद ने संस्थान में सौ फीसदी कार्यों में हिंदी को अपनाने के लिए सभी कर्मचारियों को प्रेरित किया और कहा कि विश्व तथा देश के पटल पर हिंदी भाषी लोगों को सम्मान की दृष्टि से देखने के लिए युवाओं में हिंदी व्याकरण के प्रति अनुराग पैदा करना होगा। इसके लिए हिंदी भाषा का प्रचार प्रसार को बढावा देने की जरूरत है।कार्यशाला में सभी संकाय सदस्य और कर्मचारी मौजूद थे।