जोधपुर: एम्स ने दिल के दौरे के बाद आई गंभीर बीमारी से 38 वर्षीय मरीज की जान बचाई
जोधपुर(डीडीन्यूज),जोधपुर: एम्स ने दिल के दौरे के बाद आई गंभीर बीमारी से 38 वर्षीय मरीज की जान बचाई। एम्स जोधपुर के डॉक्टरों ने एक 38 साल के युवक की जान बचाने में सफलता पाई,जिसे दिल के दौरे के बाद एक दुर्लभ और जानलेवा जटिलता हो गई थी। मरीज को तेज सीने में दर्द के साथ अस्पताल लाया गया और उसे नॉन-ST टाइप हार्ट अटैक (NSTEMI) की पुष्टि के बाद कोरोनरी केयर यूनिट (CCU) में भर्ती किया गया।
इलाज के दौरान मरीज की हालत अचानक बिगड़ गई। उसे लेफ्ट वेंट्रिकुलर फ्री वॉल रप्चर नाम की गंभीर समस्या हो गई,जिसमें दिल की दीवार फट जाती है और खून दिल के चारों ओर जमा हो जाता है। इससे दिल पर दबाव पड़ता है और वह सही से काम नहीं कर पाता। मरीज को कार्डियोजेनिक शॉक हो गया,जिससे उसकी जान को खतरा हो गया।
मरीज को तुरंत वेंटिलेटर और IABP मशीन की मदद से स्थिर किया गया। डॉक्टरों की टीम ने बिना देर किए निर्णय लिया और स्थिति स्थिर होने के 30 से 45 मिनट के भीतर,रविवार के दिन ऑपरेशन शुरू कर दिया।
एम्स जोधपुर के कार्डियोथोरेसिक और वैस्कुलर सर्जरी विभाग (CTVS) की टीम ने यह आपात कालीन सर्जरी सफलता पूर्वक की। सर्जरी में दिल की फटी दीवार को पैच से ठीक किया गया और तीन बंद नसों की बायपास सर्जरी (CABG) की गई। यह जटिल सर्जरी पांच घंटे से अधिक समय तक चली।
इस सर्जरी का नेतृत्व डॉ.आलोक कुमार शर्मा (विभागाध्यक्ष,CTVS) ने किया। उनके साथ डॉ.अनुपम दास,डॉ.अनिरुद्ध माथुर और डॉ. बजरंग मौजूद थे। डॉ.राकेश कुमार ने बेहोशी और ऑपरेशन के दौरान निगरानी का कार्य संभाला और डॉ. राहुल चौधरी ने मरीज की कार्डियोलॉजी से संबंधित देखभाल की।
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सर्जरी के बाद मरीज को कई गंभीर समस्याएं हुईं,जैसे गुर्दे की तकलीफ, फेफड़ों में सूजन और दिल की थैली में तरल भराव।वह कोविड पॉजिटिव भी पाया गया और लंबे समय तक वेंटिलेटर पर रहने के कारण उसे ट्रेकियोस्टॉमी की ज़रूरत पड़ी। इलाज के दौरान उसे कुछ संक्रमण हुए,जिनका इलाज सावधानी पूर्वक किया गया। मरीज को हल्का स्ट्रोक भी आया,जिसके लिए उसे फिजियोथेरेपी और पुनर्वास दिया गया।
लगभग एक महीने तक अस्पताल में रहने के बाद,मरीज को स्वस्थ स्थिति में छुट्टी दी गई। अब वह बहुत अच्छी तरह से ठीक हो रहा है,सामान्य रूप से सांस ले रहा है और धीरे-धीरे अपनी दिनचर्या में लौट रहा है। डॉक्टरों ने उसे नियमित जांच और नियंत्रित गतिविधियों की सलाह दी है।
यह मामला दिखाता है कि समय पर इलाज,तेज़ निर्णय और टीम वर्क से कितनी बड़ी तकलीफ हो जान बचाई जा सकती है। एम्स जोधपुर की टीम ने एक बार फिर साबित किया है कि वह गंभीर हार्ट की बीमारियों से निपटने में पूरी तरह सक्षम है।
एम्स जोधपुर के कार्यकारी निदेशक डॉ.गोवर्धन दत्त पुरी ने कहा कि यह उपलब्धि AIIMS जोधपुर की मेडिकल टीम की दक्षता,समर्पण और आपसी समन्वय का उत्कृष्ट उदाहरण है। हमारी टीम ने जिस त्वरित निर्णय और निपुणता से इस जटिल स्थिति को संभाला,वह प्रशंसनीय है। उन्होंने CTVS, कार्डियोलॉजी,एनेस्थीसिया और क्रिटिकल केयर टीम को हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा यह संस्थान की क्षमता और तैयारियों को दर्शाता है।
LV फ्री वॉल रप्चर दिल के दौरे के बाद होने वाली एक बेहद खतरनाक स्थिति है।इसमें दिल की मांसपेशियों की दीवार फट जाती है और खून दिल की थैली में भरने लगता है। इससे दिल पर दबाव बढ़ता है और वह धड़कना बंद कर सकता है। इस स्थिति को कार्डियक टैम्पोनाड कहा जाता है।
इसका तुरंत इलाज न किया जाए, तो यह जानलेवा हो सकती है। लेकिन समय पर पहचाना जाए और तुरंत सर्जरी की जाए,तो मरीज की जान बचाई जा सकती है,जैसा इस केस में एम्स जोधपुर ने सफलता पूर्वक किया।