निर्यातकों की समस्याओं से अवगत कराया।

जोधपुर, अध्यक्ष एनके. जैन के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को कस्टम के संयुक्त आयुक्त बिजेंद्र कुमार मीणा से मुलाकात कर उन्हें निर्यातकों की समस्याओं से अवगत कराया। अध्यक्ष एनके जैन ने संयुक्त आयुक्त को बताया कि कृषि जिंसों के निर्यात से पहले पादप स्वच्छता प्रमाणपत्र की आवश्यकता होती है। जोधपुर में सभी इनलैंड कंटेनर डिपो से सभी कृषि जिंसों की निकासी के लिए जोधपुर कस्टम द्वारा प्री शिपमेंट पादप स्वच्छता प्रमाणपत्र की आवश्यकता होती है। हालांकि मुंद्रा, मुंबई और अन्य प्रमुख बंदरगाहों में इसकी आवश्यकता नहीं होती है। इसके साथ ही पादप स्वच्छता प्रमाणपत्र के लिए ई-संचित की आवश्यकता नहीं है और न ही सिंगल विंडो क्लीयरेंस की आवश्यकता है। पादप स्वच्छता प्रमाणपत्र प्राप्त करने के परिणामस्वरूप निर्यात शिपमेंट में काफी देरी होती है और लागत में भी वृद्धि जो जाती है। स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के लिए देश भर में एक समान व्यवस्था होनी चाहिए। जोधपुर में चमड़े के कम्पोजिट,चमड़े के फर्नीचर और गौण के लिए वाइल्ड लाइफ एनओसी की आवश्यकता भारत में कही नहीं है, जबकि जोधपुर में सीमा शुल्क विभाग द्वारा निर्यातकों से चमड़े के लेख युक्त शिपमेंट के लिए वाइल्ड लाइफ एनओसी के लिए पूछ रहा है। निर्यातकों को एनओसी की प्रक्रिया से मुक्त कर राहत प्रदान कि जाए। उन्होने संयुक्त आयुक्त को सेल्फ सीलिंग अनुमति जारी करने में हो रही देरी के बारे में अवगत कराया और कहा कि सेल्फ सीलिंग अनुमति में कम से कम 3-4 सप्ताह का समय लग रहा है, इसे घटाकर 10 दिन किया जाए। इसके अतिरिक्त उद्यमियों ने निर्यातकों को पर्याप्त कंटेनर की उपलब्धता को सुचारू करने और रोटरी चैराहे से न्यू पावर हाउस होते हुए बासनी जाने वाली सड़क पर स्थित कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के रेलवे कंटेनर डिपा को सालावास में स्थानांतरित करने का निवेदन किया। इससे यह इण्डस्ट्रीयल फ्रंट कोरिडोर के बहुत नजदीक आ जायेगा और शहर के प्रदूषण में भी कमी आयेगी। इस अवसर पर कस्टम के संयुक्त आयुक्त बिजेंद्र कुमार मीणा ने उद्यमियों की समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए इनका शीघ्र निराकरण का भरोसा दिलाया।
प्रतिनिधिमंडल में जेआईए निवर्तमान अध्यक्ष अशोक बाहेती, सह सचिव अनुराग लोहिया, कोषाध्यक्ष सोनू भार्गव, कार्यकारिणी सदस्य डाॅ. भरत दिनेश और मृदुल सालेचा आदि शामिल थे।