“उमादे” को जयपुर साहित्य सम्मान पुरस्कार

“उमादे” को जयपुर साहित्य सम्मान पुरस्कार

जोधपुर,डॉ.फतेह सिंह भाटी जोधपुर की कृति “उमादे” को जयपुर साहित्य सम्मान पुरस्कार के लिए नामित किया गया है। जयपुर साहित्य संगीति के संयोजक अरविंद कुमारसंभव ने बताया कि प्रारंभिक शॉर्टलिस्टिंग के बाद भारत भर से आई 115 पुस्तकों को स्वीकार किया गया। उनमें से बेहद पारदर्शिता और समयबद्धता के साथ लिए गए निर्णय में निर्णायक मंडल ने ‘उपन्यास विधा’ में भारतीय ज्ञानपीठ- वाणी प्रकाशन से प्रकाशित डॉ.फतेह सिंह भाटी, जोधपुर की कृति “उमादे” को जयपुर साहित्य सम्मान पुरस्कार के लिए नामित किया है। यह पुरस्कार 15 जनवरी 2023 को जयपुर में भव्य कार्यक्रम में दिया जाएगा।

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लेखक डॉ.भाटी ने बताया कि यह तो इतिहास की उस प्रख्यात लोकनायिका “उमादे” की आशीष है, मेरा कुछ भी नहीं। उमादे की ही लोकप्रियता है कि महज़ तीन महीने में ही पुस्तक का दूसरा संस्करण लाना पड़ा। संभवतया जनवरी 2022 में प्रकाशित इस पुस्तक का तीसरा संस्करण भी हम इसी वर्ष में देखेंगे। मैं तो इस कृति के माध्यम से उनके मन को लिखकर लोक को समर्पित कर धन्य हुआ हूं कि नियति ने यह अवसर मुझे दिया।

पुस्तक के बारे में बताते हुए लेखक डॉ.फतेह सिंह भाटी ने कहा कि उपन्यास “उमादे” कहने को तो 16वीं शताब्दी में तत्कालीन जैसलगिर (वर्तमान जैसलमेर) की राजकुमारी जिसका विवाह तत्कालीन मारवाड़ (जोधपुर) के राव मालदेव से होता है की ऐतिहासिक कहानी है। इस कहानी में प्रेम,प्रतीक्षा और विरह तो है ही,उस समय का लोक,समाज, राजनीति,छल-कपट की झलक भी है।

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तत्कालीन जैसलगिर की भू-राजनीतिक स्थिति और अंतरराष्ट्रीय व्यापार का केन्द्र होने का भी वर्णन है लेकिन मूल बात मानव मन की पीड़ा और उसका प्रकटीकरण है। उपन्यास की नायिका उमादे जिस तरह से स्त्री के मान-सम्मान,उसकी अस्मिता,दांपत्य की मर्यादा के लिए अपने पति यानी उस समय के उत्तर भारत के सर्वाधिक शक्तिशाली राजा मालदेव का सामना करती है,उन्हें चुनौती देती है,वह आज जब हम स्त्री सशक्तिकरण और फेमिनिज्म की बात करते हैं तब बेहद महत्त्वपूर्ण और प्रासंगिक हो जाता है। वह न सिर्फ़ स्त्री या पत्नी की प्रतिष्ठा की बात करती है बल्कि अपने पिता युवराज लूणकरण से विद्वतापूर्ण बातचीत में उन्हें यह भी याद दिलाती है कि पिता का सम्मान अच्छी बात है,वह किया जाना चाहिए लेकिन पिता और राष्ट्र के बीच चुनाव की दुविधा हो तो व्यक्ति को देश के लाखों नागरिकों के सम्मान,सुख और अस्तित्व के बारे में पहले सोचना चाहिए।

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