आहरण वितरण अधिकारी की शक्तियों से वंचित नहीं करने के अंतरिम आदेश
जोधपुर,आहरण वितरण अधिकारी की शक्तियों से वंचित नहीं करने के अंतरिम आदेश। राजस्थान उच्च न्यायालय ने सीएमएचओ जैसलमेर डॉ.बाबूलाल बुनकर को सीएमएचओ पद की आहरण वितरण अधिकारी की शक्तियों से वंचित नहीं करने के अंतरिम आदेश पारित किए हैं। इस संबंध में चिकित्सा विभाग के निदेशक (जन स्वास्थ्य) डॉ रवि प्रकाश माथुर को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। मामले में अगली सुनवाई 01 मई को नियत की गई है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने पैरवी की।
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राज्य के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने स्थानान्तरण आदेश दिनांक 22 फरवरी 2024 से चिकित्सकों की सीनियोरिटी/वरीयता को ध्यान में रखे बगैर थोक में राज्य के कुल 171 चिकित्सक को एक ही आदेश से स्थानान्तरण किये गए लेकिन जूनियर चिकित्सकों को ज़िला स्तरीय पदों पर कार्यरत नियमानुसार पदोन्नत वरिष्ठ चिकित्सकों के स्थान पर पदस्थापित कर दिया गया। जिस पर वर्ष 1991 के नियुक्त चिकित्सक और वर्तमान में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी,जैसलमेर डॉ बाबूलाल बुनकर ने हाइकोर्ट जोधपुर में पहली रिट याचिका पेश कर उससे 20 साल जूनियर वर्ष 2011 के नियुक्त चिकित्सक को सीएमएचओ, जैसलमेर पद पर नियुक्त कर देने के आदेश को चुनोती दी।जो रिट याचिका आदेश दिनाँक 01 मार्च से स्वीकार कर याची को वर्तमान पद सीएमएच ओ,जैसलमेर के पद पर पुन: जॉइन करवाने के आदेश दिए।।
उक्त न्यायालय आदेश की पालना में आदेश जारी कर याची को सीएमएचओ,जैसलमेर के कार्यालयाध्यक्ष पद पर 14 मार्च को पदस्थापित कर दिया गया लेकिन उक्त आदेश के आठ दिन बाद ही चिकित्सा विभाग के निदेशक (जन स्वास्थ्य) ने 22 मार्च 2024 के आदेश से पूर्व स्थानान्तरण आदेशों से लगाये गए चिकित्सकों को ही कार्यालयाध्यक्ष बनाये जाने के निर्देश दिए। जिसे याची ने पुन: द्वितीय रिट याचिका अधिवक्ता यशपाल खिलेरी के मार्फ़त पेश कर चुनोती दी। याची के अधिवक्ता ने बताया कि याची नियमानुसार प्रमुख मुख्य चिकित्सा अधिकारी पद पर वर्ष 2017 में पदोन्नत हो चुका है जबकि वर्ष 2011 में नियुक्त जूनियर चिकित्सक अभी भी केवल वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी/एसएमओ पद पर ही नियुक्त होने से वहसीएमएचओ के पद पर नियुक्त होने योग्य तक नहीं है। बावजूद इसके चिकित्सा विभाग ने पदोन्नति के विभागीय पदानुक्रम को दरकिनार कर मनमाफिक आदेश जारी किए हैं तथा जूनियर चिकित्सक डॉ पालीवाल के पास एक वर्ष से भी कम का वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी पद पर अनुभव होने के बावजूद याची के पद सीएमएचओ पर पदोन्नति देने का प्रयास किया गया है जो विधि विरुद्ध है।
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रिट याचिका की प्रथम सुनवाई पर कैविएट में आई राज्य सरकार एवं जूनियर चिकित्सक को सुनने के पश्चात हाइकोर्ट न्यायाधीश अरुण मोंगा साब की एकलपीठ ने नोटिस जारी करते हुए याचिकाकर्ता व जूनियर चिकित्सक की पोस्टिंग पर यथास्थिति रखने तथा याचिकाकर्ता को सीएमएचओ पद की आहरण वितरण अधिकारी की शक्तियों से वंचित नहीं करने का अंतरिम आदेश देते हुए राज्य सरकार सहित चिकित्सा विभाग के निदेशक (जन स्वास्थ्य) डॉ रवि प्रकाश माथुर को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया। अगली सुनवाई 01 मई को नियत की।
नियम की स्थिति
1963 के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा नियमानुसार छह वर्ष तक चिकित्सा अधिकारी के पद पर कार्यरत चिकित्सक ही वरिष्ठ चिकित्साधिकारी/खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारी के पद पर पदोन्नति के हकदार होते हैं। जो जिले में अवस्थित खंड के इंचार्ज खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारी पद पर नियुक्ति के हकदार होते हैं तथा छह वर्ष तक वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी के पद पर नियमित कार्यरत चिकित्सक ही सीएमएचओ के पद पर पदोन्नति और पदस्थापना के हकदार होते हैं।
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