आपदा प्रबंधन व सांस्कृतिक धरोहर पर कार्यशाला का उद्घाटन

जोधपुर,आपदा प्रबंधन व सांस्कृतिक धरोहर पर कार्यशाला का उद्घाटन। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान,गृह मंत्रालय,भारत सरकार जोधपुर के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, (सांस्कृतिक मंत्रालय)और मेहरांगढ़ म्यूज़ियम ट्रस्ट द्वारा ‘आपदा प्रबंधन व सांस्कृतिक धरोहर’विषयक कार्यशाला का आयोजन 17 -18 जनवरी, को मेहरांगढ़ के चोकेलाव में किया जा रहा है।

कार्यशाला का उद्घाटन मुख्य अतिथि पूर्व सांसद गजसिंह ने दीप प्रज्ज्वलन से किया। इस अवसर पर राजेंद्र रतनू ,अतिरिक्त निदेशक एनआइडीएम,एमएचए,कमल किशोर,सदस्य,एनडीएमए और प्रो शांतनु चौधरी निदेशक आईआईटी जोधपुर भी उपस्तिथ थे। गुरुवार को विभिन्न सत्रों में आपदा प्रबंधन के विषय पर अलग-अलग आयामों पर चर्चा होगी।

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इस कार्यशाला का उद्देश्य आपदा जोखिम प्रतिरोधन (न्यूनीकरण) (DRR) और सांस्कृतिक धरोहर संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण और समृद्धिपूर्ण पहल करना है,जो आपातकालीन सहायता और सांस्कृतिक धरोहर के रिश्तों को साझा करता है। एक ऐसी दुनिया में जो प्राकृतिक और मानव-उत्प्रेरित आपदाओं के बढ़ते विस्तार का सामना कर रही है,यह आपदा जोखिम प्रतिरोधन (न्यूनीकरण) प्रथाओं और सांस्कृतिक धरोहर के बहुपेशिय विश्व के बीच के घनिष्ठ रिश्तों को प्रकाशित करने का प्रयास करता है। सांस्कृतिक धरोहर के केंद्र में यह समग्र समाज की पहचान के स्पष्ट और अस्पष्ट पहलुओं को अंगीकृत करती है। ये तत्व समुदायों के ऐतिहासिक कथन को परिभाषित करते हैं, साथ ही वैश्विक विविधता की समृद्धि में योगदान करते हैं। कार्यक्रम में सांस्कृतिक धरोहर की आपातकालीनता को पहचानते हुए, इसकी अनमोल संपत्तियों के जोखिम को कम करने और सुनिश्चित करने की तत्परता को बताने का प्रयास किया गया है।

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मुख्य अतिथि गज सिंह ने कहा कि हमें सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने के लिए पहले भाषाओं को सहेजने की आवश्यकता है। अगर हम भाषाओं को सहेज लेते हैं तो संस्कृति को सहजने में सरलता रहती है। इस तरह की कार्यशाला से आपदा से खत्म हो रही सांस्कृतिक धरोहर को किस तरह से बचाया जा सकता है, इसमें एक महत्वपूर्ण कदम होगा। अतिरिक्त निदेशक रतनू ने कहा कि इस कार्य शाला के माध्यम से हम उन सभी पहलुओं पर चर्चा करें जो खत्म हो रही सांस्कृतिक धरोहर को बचाने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है। आईआईटी जोधपुर के निदेशक प्रोफेसर शांतनु चौधरी ने कहा कि टेक्नोलॉजी के माध्यम से हमारी धरोहर को बचाया जा सकता है। इसके ऊपर भी हमें ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि टेक्नोलॉजी विलुप्त होती धरोहर को सहेज कर रखने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है।

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