आईआईटी जोधपुर व रेखी फाउंडेशन ने मिलकर शुरू की हैप्पीनेस ऑफ़ विज्ञान की पहल
- भावनात्मक स्वास्थ्य,शोध और प्रसन्नचित्त शिक्षा को मुख्यधारा के शैक्षणिक जीवन में एकीकृत करने के लिए एक परिवर्तनकारी साझेदारी
जोधपुर(डीडीन्यूज),आईआईटी जोधपुर व रेखी फाउंडेशन ने मिलकर शुरू की हैप्पीनेस ऑफ़ विज्ञान की पहल। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जोधपुर ने रेखी फाउंडेशन फॉर हैप्पीनेस के साथ मिलकर साइंस ऑफ हैप्पीनेस पहल की शुरूआत की है। जो शैक्षणिक जीवन के मूल में स्वास्थ्य और भावनात्मक लचीलापन को शामिल करने का एक महत्वाकांक्षी प्रयास है। भाप्रौसं.जोधपुर के स्कूल ऑफ लिबरल आर्ट्स (एसओएलए) द्वारा संचालित इस पहल का उद्देश्य शिक्षा,शोध और बाहरी पहुँच कार्यक्रमों के माध्यम से प्रसन्नता के विज्ञान पर केंद्रित एक समग्र पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देना है।
इस पहल को औपचारिक रूप से मई 2025 में डॉ.सतिंदर सिंह रेखी, रेखी फाउंडेशन फॉर हैप्पीनेस के संस्थापक और भाप्रौसं जोधपुर के संसाधन और पूर्व छात्र मामलों के अधिष्ठाता प्रोफेसर कौशल देसाई जी द्वारा एक समझौता ज्ञापन (एमओयू)पर हस्ताक्षर करके शुरू किया गया था। प्रो.अंकिता शर्मा द्वारा समन्वित,यह कार्यक्रम पाठ्यक्रम में खुशी के अध्ययन को एकीकृत करने,भलाई में वैज्ञानिक जांच को प्रोत्साहित करने और परिसर समुदाय से परे विस्तार करने वाले आउटरीच प्रयासों को शुरू करने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की कल्पना करता है।
इस सहयोग के हिस्से के रूप में, भाप्रौसं जोधपुर एक अत्याधुनिक व्यवहार विज्ञान प्रयोगशाला भी स्थापित करेगा,जो छात्रों और शोधकर्ताओं को अनुभवजन्य और व्यावहारिक तरीकों के माध्यम से खुशी के विज्ञान का पता लगाने के लिए उपकरण और स्थान प्रदान करेगा। प्रयोगशाला सिद्धांत और व्यवहार के बीच एक सेतु का काम करेगी,जिससे मानव व्यवहार, सकारात्मक मनोविज्ञान और भावनात्मक स्वास्थ्य में डेटा- संचालित अध्ययन सक्षम होंगे। इस अवसर पर बोलते हुए,भाप्रौसं. जोधपुर के निदेशक प्रो.अविनाश कुमार अग्रवाल ने कहा भाप्रौसं जोधपुर में हम न केवल प्रतिभाशाली दिमागों को बल्कि संतुलित और लचीले व्यक्तियों को पोषित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
रेखी फाउंडेशन फॉर हैप्पीनेस के साथ यह सहयोग भावनात्मक कल्याण को शैक्षणिक यात्रा में एकीकृत करने की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम है। खुशी के विज्ञान को अपनाकर,हमारा लक्ष्य अपने छात्रों को परिसर के भीतर और बाहर दोनों जगह सार्थक, उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने के लिए उपकरणों से लैस करना है। इस भावना को दोहराते हुए डॉ. सतिंदर सिंह रेखी ने कहा हम सभी जानते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य महत्वपूर्ण है,लेकिन इसके साथ अभी भी कुछ कलंक जुड़ा हुआ है, जो हमें मदद लेने से रोकता है। हम विज्ञान के साथ मिलकर छात्रों को खुश रहने के लिए रणनीतियाँ सिखाने और उपकरण प्रदान करने का प्रयास करते हैं। मेरा मानना है कि खुश रहने वाले लोग दूसरों की तुलना में अधिक सफल होते हैं। यह पहल छात्रों को बेहतर प्रदर्शन करने और भविष्य में अपनी पूरी क्षमता हासिल करने में मदद करेगी।
इस पहल के माध्यम से भाप्रौसं जोधपुर शैक्षणिक उत्कृष्टता को भावनात्मक बुद्धिमत्ता के साथ संतुलित करके शिक्षा को फिर से परिभाषित करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। साइंस ऑफ़ हैप्पीनेस पहल छात्रों और व्यापक समुदाय को ज्ञान, मानसिकता और उपकरणों के साथ सशक्त बनाने की दिशा में एक साहसिक कदम है,ताकि वे खुशहाली और मानवीय जुड़ाव पर आधारित जीवन जी सकें।
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इस पहल के माध्यम से भाप्रौसं जोधपुर शैक्षणिक उत्कृष्टता को भावनात्मक बुद्धिमत्ता के साथ संतुलित करके शिक्षा को फिर से परिभाषित करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। साइंस ऑफ़ हैप्पीनेस पहल छात्रों और व्यापक समुदाय को ज्ञान, मानसिकता और उपकरणों के साथ सशक्त बनाने की दिशा में एक साहसिक कदम है,ताकि वे खुशहाली और मानवीय जुड़ाव पर आधारित जीवन जी सकें।