आरक्षित 18 पदों को सामान्य वर्ग से भरने पर लगाई रिट याचिका पर सुनवाई
आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी भर्ती
जोधपुर,आरक्षित 18 पदों को सामान्य वर्ग से भरने पर लगाई रिट याचिका पर सुनवाई। राजस्थान हाईकोर्ट में आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी भर्ती- 2023 में नि:शक्तजन/दिव्यांगों के लिए आरक्षित 32 पदों में से 18 पदों को सामान्य वर्ग से भर देने पर रिट याचिका लगाई गई है। बाएं हाथ से विकलांग (ओए) होने एवं दिव्यांग प्रमाण पत्र पेश कर देने के बावजूद विशेष योग्यजन वर्ग में नियुक्ति नहीं देने का मामला है। केंद्रीय सरकार के अधिनियम 2016 एवं राजस्थान राज्य के विशेष योग्यजन कानून 2018 के मुताबिक अगर किसी वर्ष में दिव्यांगों के लिये आरक्षित पद किसी भी कारण से रिक्त रह जाते है तो इन्हें आगामी भर्ती वर्ष में अग्रेषित करने का भी प्रावधान है, लेकिन आयुर्वेद विभाग,राजस्थान सरकार द्वारा नही की जा रही हैं राजस्थान दिव्यांगजन अधिकार नियम 2018 के नियमों की अक्षरश: पालना करने को कहा गया। अधिवक्ता यशपाल खि़लेरी ने याची डॉक्टर रविन्द्र कुमार की ओर से पैरवी की।
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हाइकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश अरुण भंसाली ने नियुक्ति आदेश जारी करने की स्थिति में याची के वर्ग में एक पद रिक्त रखने के दिए अंतरिम आदेश जारी किए। मामले की अगली सुनवाई 06 अक्टूबर मुकर्रर की गई। बिदासर,जि़ला चुरू निवासी डॉ रविन्द्र कुमार नायक की ओर से एडवोकेट यशपाल खि़लेरी एवं विनीता ने रिट याचिका दायर कर बताया कि याची बाएं हाथ में 40 प्रतिशत से अधिक लोकोमोटर्स डिसेबिलिटी से पीडि़त होकर वन हाथ (वन आर्म) श्रेणी से नि:शक्तजन हैं। दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के तहत कुल 4 प्रतिशत क्षैतिज रूप से आरक्षण का प्रावधान किया हुआ है जो विज्ञापित पद के कार्य दायित्वों के अनुरूप नि:शक्तजन की उपयुक्त श्रेणी को देय होता है।। उक्तनुसार आयुर्वेद विभाग ने आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी के कुल 787 विज्ञापित पदों में से 32 पदों के लिए दिव्यांगजन की ओएल,ओए, बीएल,एलसी,डीडब्लू, एएवी,एसएलडी,एमडी श्रेणी को ही पात्र विशेष योग्यजन चिन्हित किया गया।
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आयुर्वेद विश्व विद्यालय,करवड़ और आयुर्वेद विभाग,अजमेर द्वारा उक्त आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी भर्ती- 2023 में दस्तावेज सत्यापन काउंसलिंग के पश्चात अंतरिम वरीयता सूची जारी की, जिसमे दिव्यांगजन के लिए आरक्षित 32 पदों के विरुद्ध केवल 14 दिव्यांगजन को ही अस्थायी चयनित किया और शेष 18 पदों पर योग्य दिव्यांग अभ्यर्थी नहीं मिलने का कहकर सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को अस्थायी चयनित कर लिया गया। क़ानूनन,यदि दिव्यांजन अभ्यर्थी उपलब्ध नहीं हो तो धारा 34 के अनुसार आरक्षित पदों को आगामी भर्ती वर्ष में अग्रेषित करने का प्रावधान है जिसका उल्लेख विज्ञप्ति में भी किया गया है। बावजूद इसके, याची के योग्य व उपलब्ध होने के बाद भी उसे चयनित नही करना गेरकानूनी और अवैध हैं। आयुर्वेद विभाग द्वारा राज्य सरकार के बनाये क़ानून को ही नही मानने का कृत्य अचंभित करने वाला और दिव्यांगजन अभ्यर्थियों के प्रति उसके असंवेदनशीलता को दर्शाता है। आपत्तियां प्रस्तुत करते समय भर्ती एजेंसी आयुर्वेद विश्वविद्यालय,जोधपुर द्वारा याची को मौखिक बताया गया कि यदि उसके बाया हाथ पूरा ही नही होता तो ही वह एकल भुजा ओए श्रेणी में पात्र हैं, जो जवाब भी स्पष्ठत: विधि विरुद्ध और असवैधानिक है।
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याची के अधिवक्ता खि़लेरी ने कोर्ट का ध्यान इस ओर भी दिलाया कि याचिका पेश होने के पश्चात आयुर्वेद विभाग द्वारा तुरत फुरत में जल्दबाजी में बिना अंतिम कटऑफ जारी किए, 23 सिंतबर को अंतिम अस्थायी चयन सूची भी जारी कर दी है, जिसमे भी दिव्यांगजन पदों के विरुद्ध सामान्य अभ्यर्थियों को पुन: चयनित कर लिया गया है और परिवेदना प्राप्त होने के बावजूद भी कोई सुधार नहीं किया, तथा अब आयुर्वेद विभाग,अजमेर तुरतफुरत में इनका पदस्थापन आदेश जारी करने की तैयारी में है।। रिकॉर्ड पर आए तथ्यों का परिशीलन कर एवं याची के तर्कों से सहमत होते हुए न्यायाधीश अरुण भंसाली ने याचिका की आगामी सुनवाई 06 अक्टूबर नियत करते हुए याची के अधिकारों को सुरक्षित रखते हुए,अंतरिम आदेश पारित किया कि आगामी तिथि तक, नियुक्ति आदेश जारी होने की स्थिति में याची के वर्ग में आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी का एक पद रिक्त रखा जाए।
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