एमजीएच में पहला लेप्रोस्कोपिक बेरीआट्रिक सर्जरी सफल
महात्मा गाँधी हॉस्पिटल के गेस्ट्रो सर्जरी विभाग में शुरू हुई मोटापा कम करने की सर्जरी
जोधपुर,एमजीएच में पहला लेप्रोस्कोपिक बेरीआट्रिक सर्जरी सफल। शहर के महात्मा गाँधी अस्पताल में अब किसी भी बड़े निजी हॉस्पिटल की तरह मोटापा कम करने के लिए बेरीआट्रिक सर्जरी की शुरुआत की गई है। हॉस्पिटल अधीक्षक डॉक्टर फ़तेह सिंह भाटी ने बताया की इस प्रकार के ऑपरेशन के लिए गेस्ट्रो सर्जरी विभाग में सभी आवशयक उपकरण उपलब्ध करवाए गए हैं ताकि मरीज़ों को इस सुविधा का लाभ मिल सके।
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सामान्यतया इस ऑपरेशन के लिए मरीज़ बड़े शहरों में लाखों रुपए लगाकर यह सर्जरी करवाते हैं। महात्मा गाँधी हॉस्पिटल में यह ऑपरेशन विभिन्न सरकारी योजनाओं में निशुल्क किया जा रहा हैं।
बेरीआट्रिक सर्जरी है मेटाबोलिक सर्जरी
गेस्ट्रोसर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर दिनेश चौधरी के अनुसार बेरीआट्रिक सर्जरी केवल मोटापा कम करने का ऑपरेशन नही हो के मेटाबोलिक सर्जरी है जिसमें मोटापा कम करने के साथ ही मोटापे से जुड़ी समस्याओं जैसे की डाइअबीटीज़,हायपर्टेन्शन,जोड़ों में दर्द,विभिन्न प्रकार के ह्रदय रोग,फ़ैटी लिवर आदि से या तो पूर्ण रूप से निजात मिल जाती हे अथवा उपयोग में आने वाली दवाइयाँ बहुत कम हो जाती हैं।
कब की जाती हे यह सर्जरी
डॉक्टर चौधरी के अनुसार जब मरीज़ का बीएमआई 40 से ज़्यादा हो अथवा बीएमआई 35 से ज़्यादा हो और उसे मोटापे से जुड़ी कोई समस्या जैसे हाइपरटेन्शन,डाइबीटीज़,जोड़ों में दर्द,हृदय रोग अथवा फ़ैटी लिवर हो तभी ऑपरेशन किया जाता है।
कौन से ऑपरेशन होते हैं बेरीआट्रिक सर्जरी में
स्लीव गेस्ट्रेक्टोमी,मिनी गेस्ट्रिक बाईपास, रूएनवाय गेस्ट्रिक बाईपास ये सभी ऑपरेशन की सुविधा उपलब्ध रहेगी।
पहला ऑपरेशन हुआ सफल
महात्मा गाँधी हॉस्पिटल में पहला बेरीयट्रिक ऑपरेशन गेस्ट्रो सर्जरी विभाग में लेप्रोस्कोपिक स्लीव गेस्ट्रेक्टोमी किया गया।
जोधपुर के रहने वाली मरीज़ का वजन 120 किलो ग्राम व बीएमआई 40 था, मरीज़ डाइबीटीज़ ओर हायपर्टेन्शन से भी पीड़ित थी। मरीज़ की सारी जाँचें करवाने के बाद ऑपरेशन की सलाह दी गई। मरीज़ की लेप्रोस्कोपिक स्लीव गेस्ट्रेक्टोमी की गई जिसमें आमाशय का 80 प्रतिशत भाग स्टेप्लर विधि से काटकर निकाल लिया गया।ऑपरेशन 3-डी विधि से किया गया, दूरबीन से ऑपरेशन करने से मरीज़ के पेट में केवल 4 टाँके आए।
4 घंटे चला आपरेशन
मरीज़ को पित्ते की थैली में पथरी की शिकायत थी तो बेरीआट्रिक सर्जरी के साथ पित्त की थैली भी निकाली गई।
क्या है स्लीव गेस्ट्रेक्टोमी ऑपरेशन और ऑपरेशन से केसे कम होता है वजन?
इस ऑपरेशन में मरीज़ के आमाशय के 75-85 प्रतिशत भाग को निकाल दिया जाता जिससे मरीज़ के आमाशय का आकर छोटा होने से मरीज़ एक बार में 50-100 ग्राम खाना ही खा पाता है।इसके साथ ही आमाशय का फ़ंड्ज़ भाग ग्रहेलीन नामक हार्मोन स्त्रावित करता है जो मस्तिष्क में भूख की संवेदना को प्रारम्भ करता है,उस फ़ंडस भाग को निकालने से रक्त में ग्रहेलिन की मात्रा कम होने से भूख कम लगती है। इससे ऑपरेशन के 1-3 महीने में अतिरिक्त वजन कम हो जाता है।
अब मरीज़ एकदम स्वस्थ है, मरीज़ का वजन 10 किलो ग्राम कम हुआ है डॉक्टर चौधरी के अनुसार अगले 1-2 महीने में वजन 30-40 किलो ग्राम कम होकर सामान्य हो जाएगा। डाइबीटीज़ और हायपर्टेन्शन में भी बहुत फ़ायदा होगा।
निश्चेतना विभागाध्यक्ष सरिता जनवेज़ा ने बताया कि बारियाट्रिक सर्जरी,निश्चेतना की दृष्टि से एक जटिल सर्जरी है जिसमें मरीज़ का वजन ज़्यादा होने के साथ साथ वह कई बार उच्च रक्त चाप,डायबिटीज जैसी अन्य बीमारियों से भी ग्रसित हो सकता है। ऐसे मरीज़ को निश्चेतना के योग्य बनाना एवं ऑपरेशन के दौरान मरीज़ का श्वास, रक्त चाप,शुगर नियंत्रित करना एक चुनौती पूर्ण कार्य है। ऐसे मरीज़ को सर्जरी के बाद गहन चिकित्सा यूनिट में रखा जाता है। गहन चिकित्सा इकाई प्रभारी डॉक्टर शिखा के निर्देशन में मरीज़ की देखभाल की गई।
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ऑपरेशन करने वाली टीम
डॉ दिनेश चौधरी,डॉ सोमेंद्र,डॉ लवकुश,डॉ विजय,डॉ डूंगर सिंह,डॉ विशाल,डॉ सुनीता तथा नर्सिंग ऑफ़िसर नग़ाराम ने सहयोग किया। निश्चेतना टीम में विभागाध्यक्ष डॉ सरिता जनवेजा तथा डॉ प्रमिला सोनी,डॉ अभिलाषा,डॉ अनिषा,रेसिडेंट डॉ नरेंद्र व डॉ ऐश्वर्य शामिल थे।
इस सफलता के लिए प्राचार्य व नियंत्रक डॉक्टर भारती सारस्वत तथा अस्पताल अधीक्षक फ़तेह सिंह भाटी ने टीम को बधाई दी।