जोधपुर, संत ललितप्रभ सागर महाराज ने कहा कि यह न सोचें कि कितने दिन जिए, बल्कि यह सोचें कि कैसे जिएं। खुशियों भरा एक लम्हा भी खज़़ाने जैसा लगता है, पर गम भरा एक साल भी अंधेरी गुफा में भटकने जैसा लगता है। जि़दगी जीने का मकसद खास होना चाहिए, अपने आप पर हमें विश्वास होना चाहिए। जीवन में खुशियों की कमी नहीं है, बस उन्हें मनाने का सही अंदाज़ होना चाहिए। संत प्रवर रातानाडा स्थित अजीत कॉलोनी में आयोजित धर्मसभा में श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सन 2020 कोरोना के नाम रहा, पर हम संकल्प लें कि सन 2021 करुणा के नाम समर्पित करेंगे ताकि फिर कभी दुनिया को कोरोना जैसा रोग न भोगना पड़े। अगर चीन ने जीवों पर की होती करुणा, तो नहीं भोगना पड़ता दुनिया को कोरोना। हम सादा, सात्विक, सदाचारी और शाकाहार युक्त जीवन जिएं, ऊंचे विचारों के मालिक बनें और तनाव मुक्त रहें। यही जिंदगी की असली कमाई है बाकी तो सब कैलेंडर की तारीखें हैं। उन्होंने कहा कि हर समय इतने व्यस्त रहिए कि चिंता करने की फुर्सत ही न मिले। विश्वास रखिए जो चोंच देता है वह चुग्गा अवश्य देता है। आप प्रसन्न रहेंगे, तो आप अपने लोगों को भी प्रसन्न करने में कामयाब हो जाएंगे। उदास रहेंगे तो सारा माहौल गमगीन होने लग जाएगा। उन्होंने कहा कि हार और जीत का सम्बन्ध हमारी सोच पर है, मान लिया तो हार होगी और ठान लिया तो जीत। कोई आपके खिलाफ दो टेढ़े शब्द बोले तो बुरा न मानें, क्योंकि पत्थर उक्सर उसी पेड़ पर मारे जाते हैं, जिस पर मीठे फल लदे होते हैं।आप जब भी बोलें, धीमें और धैर्य से बोलें, आपकी वाणी औरों के दिलों में प्यार और जिज्ञासा का झरना बहाएगी। शीशा और रिश्ता दोनों एक जैसे होते हैं। पत्थर मारने से शीशा टूटता है और टेढ़ा बोलने से रिश्ता। अदब से बोलिए और सम्हलकर चलिए, शीशा और रिश्ता दोनों सुरक्षित रहेंगे। इससे पूर्व संत ललितप्रभ और डॉक्टर मनी शांतिप्रिय सागर महाराज के रातानाडा पहुंचने पर श्रद्धालुओं द्वारा स्वागत अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम में कुंठुनाथ जैन मंदिर के अध्यक्ष राजरूप मेहता, राजेंद्र जैन, तनुज गांधी, अशोक दफ्तरी, योगिता और विहार सेवा ग्रुप के सदस्य मौजूद थे।