बाल संरक्षण संकल्प यात्रा पहुंची खेजड़ला

  • परित्यक्ता पेन्शन नियमों में शिथिलता के चलते अब मिलेगा सुशीला को लाभ
  • -योजनाओं से वंचितों को मिला सम्बल
  • -रैली निकालकर बच्चों ने मांगे अपने अधिकार
  • -संगोष्ठी का हुआ आयोजन
  • -बाल संरक्षण इकाई का गठन
  • -सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में 10 लाभार्थियों के आवेदन तैयार

जोधपुर,राज्य सरकार की ओर से चलाए जा रही बाल संरक्षण संकल्प यात्रा शनिवार को जोधपुर जिले की बिलाड़ा पंचायत समिति क्षेत्र के खेजड़ला पहुंची। इस दौरान ग्रामीणों की समस्याओं की सुध लेते हुए उनके विकास से जुड़ी योजनाओं और कार्यक्रमों की जानकारी दी गई तथा इनके लाभ पाने की प्रक्रिया से संबंधित विस्तृत समझाईश की गई।

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आहत को राहत के लिए ख़ासे प्रयास जारी

इस दौरान यात्रा से जुड़े हुए बाल मित्रों को ग्राम भ्रमण के दौरान तलाक का एक मामला सामने आया। घर-घर दस्तक के दौरान ग्राम खेजड़ला की सुशीला ने बाल मित्रों से अपना दर्द साझा करते हुए बताया कि 2011 में उसकी शादी पीपाड़ निवासी राम निवास के साथ हुई थी। छह साल बाद बडे भाई की शादी में पैसों की लेन-देन को लेकर पति और भाई में लड़ाई- झगड़ा होने के कारण उसे घर से निकाल दिया। एक दो बार प्रयास भी किया लेकिन वो नहीं माने।

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सुशीला ने बताया कि उसके सात वर्ष का एक बेटा है जिसके लिए प्राईवेट स्कूल में पढ़ाकर बच्चे को पालती है। सुशीला का कोर्ट से तलाक का फैसला नहीं हुआ है और इसके कारण न तो परित्यक्ता पेंशन का लाभ मिल रहा है और न ही बेटे को पालनहार का लाभ। बाल मित्रों ने उसे नये नियमों की जानकारी दी, जिनमें तीन वर्ष से अधिक समय से अलग रहने पर परित्यक्ता पेंशन का प्रावधान है। बाल मित्रों ने मौके पर ही लिए सरपंच से मिलकर उप खण्ड अधिकारी के यहां आवेदन कराने की प्रकिया प्रारम्भ की और पेंशन तथा पालनहार योजना के लाभों को मिलने की राह आसान की।

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रैली निकालकर बच्चों ने मांगे अपने अधिकार

बाल संरक्षण संकल्प यात्रा में बच्चों का जुड़ाव अब व्यापक स्तर पर दिखने लगा है। खेजड़ला के राजकीय विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चे अवकाश के बावजूद यात्रा रथ के गांव में पहुंचते ही एकत्रित होना शुरू हो गये। यात्रा दल द्वारा किये जा रहे नवाचारों के साथ सात संकल्पों पर आधारित बाल संरक्षण के मुद्दों पर रैली निकाल कर अभी-पढेंगे,सभी-पढेंगें,बाल विवाह कैसी नादानी-जीवन भर आँखों में पानी,पक्षी का अधिकार है उड़ना-बच्चों का अधिकार है पढ़ना जैसे नारों से माहौल गुंजायमान कर दिया।

खेल-खेल में शिक्षा

यूनिसेफ द्वारा तैयार किया गया शिक्षाप्रद सांप-सीढ़ी खेल के माध्यम से जन्म से लेकर 18 वर्ष तक के जीवन चक्र के विभिन्न पहलुओं पर रोचक शैली से बच्चों का ज्ञानवर्धन किया गया। बच्चे इस खेल से उत्साहित दिखे। यात्रा के सात संकल्पों पर शपथ भी दिलाई गई।

संगोष्ठी हुई, बाल संरक्षण इकाई का गठन

पंचायत भवन में यात्रा दल के साथ पंचायत सदस्यों की संगोष्ठी में बाल मित्र पंचायत बनाने के लिए साधारण सभा की बैठकों में बच्चों की समस्याओं के समाधान के लिए उपाय किये जाने के लिए राज्य सरकार के निर्देशों के अनुसार सरपंच भूपेन्द्र देवड़ा की अध्यक्षता में ग्राम पंचायत स्तरीय बाल संरक्षण इकाई का पुनर्गठन कर दो बाल प्रतिनिधियों को सम्मिलित किया गया, जिसके सदस्य सचिव ग्राम विकास अधिकारी व वार्ड पंच,आशा, आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ता, विद्यालय के प्रधानाचार्य को सदस्य बनाया गया। यह इकाई माह में दो बार बैठक आयोजन कर बच्चों से जुड़ी समस्याओं का निराकरण करेगी।

हाथों-हाथ आवेदन कराए गए ऑनलाईन

ग्राम भ्रमण कार्यक्रम के दौरान सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लाभार्थियों से संबंधित 10 आवेदन आनलाईन कराने की प्रक्रिया प्रारम्भ की गई। इस दौरान सरपंच भूपेन्द्र देवड़ा, ग्राम विकास अधिकारी अणदा राम चौधरी, प्रधानाचार्य भंवरा राम, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता कुरशेदा बानू, सरोज,पुष्पा देवी,सुगना,आशा सहयोगिनी पुष्पा देवी,वार्डपंच जोहर राम,सुखाराम,शैतान सिंह, भेराराम, महावीर के साथ यात्रा समन्वयक कैलाश सैनी-सीताराम गुर्जर, सोना बैरवा, सफिस्ता खान, ओम सोउ, धर्मेन्द्र आदि ने ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं एवं कार्यक्रमों की जानकारी दी और इनका लाभ पाने का आह्वान किया।

परित्यक्ता पेंशन में सरकार ने दी शिथिलता

परित्यक्ताओं से संबंधित समस्याओं के बारे में जानकारी दी गई कि राज्य के ग्रामीण अंचलों में विवाह विच्छेद भी कई प्रकार से होता है। कोर्ट में जाकर तलाक लेने की प्रक्रिया कम लोग ही अपनाते हैं। अधिकांश मामलों में समाज द्वारा फैसला लिया जाता है, जिसे स्थानीय भाषा में झगड़ा चुकाना बोलते हैं। बाल विवाह के अधिकांश मामलों में भी झगड़ा चुकाकर फैसला किया जाता है। इन्ही जटिलताओं को देखते हुए राज्य सरकार ने परित्यक्ता पेंशन के मामलों में शिथिलता दी है जिसकी जानकारी बहुत ही कम लोगों को है। बाल मित्रों ने इस नई जानकारी को ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को बताने तथा ऐसी महिलाओं को परित्यक्ता पेंशन से लाभान्वित करने में मददगार की भूमिका अपनाने का आह्वान किया।

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