खाता से अवैध निकासी के 3.60 लाख रुपए ग्राहक को अदा करेगी बैंक

खाता से अवैध निकासी के 3.60 लाख रुपए ग्राहक को अदा करेगी बैंक

  • जिला उपभोक्ता संरक्षण आयोग द्वितीय का निर्णय
  • आनलाइन फ्राड के मामले में ग्राहक की लाइबिलिटी शून्य
  • धन की ट्रस्टी होकर निकासी पर जवाबदेह है बैंक

जोधपुर, ग्राहक द्वारा खाता में जमा कराई गई राशि की बैंक ना केवल ट्रस्टी है, बल्कि खाता से अवैध निकासी के मामले में बैंक का यह दायित्व है कि वह मामले की विस्तृत जांच करवाकर वास्तविकता का पता लगाये। एटीएम के जरिए अवैध निकासी की शिकायत के मामले में बैंक द्वारा जांच के बिना ही ग्राहक को जिम्मेदार ठहराने पर उपभोक्ता संरक्षण आयोग द्वितीय ने ना केवल एसबीआई की कार्यप्रणाली की आलोचना की है बल्कि निकासी राशि 3.60 लाख रुपए मय क्षतिपूर्ति ग्राहक को वापस लौटाने का भी आदेश दिया है।

मामले के अनुसार मगरा पूंजला निवासी गोविन्दलाल द्वारा उपभोक्ता संरक्षण आयोग द्वितीय में परिवाद प्रस्तुत कर बताया कि भारतीय स्टेट बैंक हाईकोर्ट शाखा में उसके खाता में से 4 से 9 फरवरी, 2019 के दौरान प्रतिदिन 40 हजार की राशि एटीएम के जरिए विड्राल की गई है, जबकि उसके द्वारा एटीएम कार्ड का उपयोग ही नहीं किया गया है। विपक्षी बैंक द्वारा जबाव प्रस्तुत कर यह कथन किया गया कि एटीएम कार्ड व पिन नंबर परिवादी के पास होने से अन्य व्यक्ति द्वारा निकासी संभव नहीं है तथा कार्ड व पिन की सुरक्षा के लिए खाताधारक ही जिम्मेदार है।

आयोग के अध्यक्ष डॉ श्याम सुन्दर लाटा, सदस्य डॉ अनुराधा व्यास,आनंद सिंह सोलंकी की बैंच ने सुनवाई के दौरान यह पाया कि परिवादी द्वारा अवैध निकासी के बाबत तुरंत बैंक शाखा को सूचित किया गया बल्कि बैंक अधिकारियों के निर्देशानुसार पुलिस थाना उदयमंदिर में प्रथम सूचना रिपोर्ट भी दर्ज करा दी गई। इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होने पर परिवादी द्वारा बैंकिंग लोकपाल,जयपुर को भी परिवाद प्रस्तुत किया गया,जिन्होंने मई 2019 में बैंक को इस मामले की विस्तृत जांच करवाने का आदेश दिया गया था किन्तु इस के बावजूद बैंक द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई।

आयोग ने अपने निर्णय में कहा है कि खाते से तृतीय पक्ष द्वारा अवैध आहरण के मामले में ग्राहक की जीरो लाइबिलिटी होती है। विपक्षी बैंक ने परिवादी को सीसी टीवी कैमरे के फुटेज भी उपलब्ध नहीं करवाये हैं। आयोग ने बैंक की कार्यप्रणाली की आलोचना करते हुए कहा कि बैंकिंग लोकपाल के आदेश के बावजूद ढाई वर्ष तक कोई जांच किए बिना मात्र परिवादी द्वारा ही राशि निकासी का कोरा कथन कर बैंक ने अपने कर्तव्य से पल्ला झाड़ने का प्रयास किया है, जो उचित नहीं है। आयोग ने विपक्षी बैंक की सेवा में कमी मानते हुए खाते से निकाली गई राशि 3.60 लाख रुपए परिवादी को लौटाने के अलावा शारीरिक व मानसिक क्षतिपूर्ति राशि दस हजार रुपए व परिवाद खर्च पांच हजार रुपए अदा करने हेतु विपक्षी बैंक को आदेश दिया है।

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