अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस पर शहर में निकला भव्य जुलूस

जोधपुर,अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर इस वर्ष एचएमएसएआई सीटीयूआरसीटीसी आईटीओ सहित केंद्रीय एवं प्रदेश स्तरीय ट्रेड यूनियन संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से केंद्रीय श्रमिक संगठन के बैनर तले जुलूस निकाला गया।जुलूस में शिरकत करनेके लिए विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत श्रमिक कर्मचारियों के संगठन नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे एंप्लाइज यूनियन कार्यालय पर एकत्रित हुए। झंडारोहण नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे एंप्लाइज यूनियन के मंडल अध्यक्ष महेंद्र व्यास ने किया। तत्पश्चात शहीद स्मारक पर पुष्पांजलि के साथ जुलूस आरंभ हुआ। इससे पूर्व केंद्रीय श्रम संगठनों का एक दल जालौरी गेट स्थित स्वर्गीय राधाकृष्णन बोहरा तात स्मारक पहुंचा और उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। यह जुलूस रेलवे स्टेशन, सहकार भवन, एमजीएच रोड, चांदसा तकिया मार्केट के सामने से पुरी तिराहा व राजीव गांधी सर्किल होता हुआ पुनः यूनियन कार्यालय पर समपन्न हुआ,जहां पर एक सभा का आयोजन किया गया। सभा को केंद्रीय श्रमिक संगठन के संयोजक मनोज कुमार परिहार व आरयू के मंडल अध्यक्ष महेंद्र व्यास एआईसीटी आशु के गोपी किशोर,नदीम खान,दिलीप सिंह, वहीदुद्दीन,रमेश नाथ, हबीबुर्रहमान, सीआईटी यूके मुकेश सक्सेना, महिपाल चारण, राम राम डूडी, मुकेश व्यास, उत्तम सिंह, हरि सिंह,राजेंद्र सिंह,जितेंद्र कुमार पारीक, अब्दुल सलीम, बजरंग सिंह राठौड़, खान मजदूर सुरक्षा अभियान के राणा सेनगुप्ता, प्रदीप लखानी, नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे एंप्लाइज यूनियन कार्यशाला के मदन लाल गुर्जर,शंभू सिंह मेड़तिया ने संबोधित किया।

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वक्ताओं ने मई दिवस के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सन 1886 में पूंजीवादी शक्तियों की अधीनता के विरोध मे तथा 8 घंटे काम और यूनियन बनाने की अधिकार की मांगों के लिए अमेरिका के शिकागो शहर परिसर के पास एंजेल और अगस्त स्पाइस के साथ हजारों मजदूरों ने अपना बलिदान दिया। काम के घंटे आठ व यूनियन बनाने के अधिकार श्रमिकों के लिए प्राप्त किए। वर्तमान समय में पूंजीपति वर्ग और उनकी सरकारें मजदूर वर्ग के इन्हीं अधिकारों को छीनने में जुटे हुए हैं। उन्होंने ने कहा कि मजदूर दिवस मनाने का उद्देश्य तभी सफल हो सकता है जब हर मजदूर को रोजी- रोटी मिलने लगे और उनके काम के 8 घंटे का अधिकार सुरक्षित रहे लेकिन आज जिस तरीके से केंद्र सरकार द्वारा श्रम कानूनों में श्रमिक विरोधी संशोधन कर काम के घंटे बढ़ा कर पूंजीपति वर्ग को श्रमिकों के खुले शोषण की छूट दी जा रही है उससे स्पष्ट है कि यह सरकार पूंजीपति वर्ग की सरकार है। ठेकेदारी प्रथा,बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, सामाजिक सुरक्षा का भाव,अपर्याप्त न्यूनतम वेतन,श्रम कानूनों के अनुपालन का भाव आदि जैसे चुनौतियां मजदूर वर्ग के समक्ष मौजूद हैं, जिसने श्रमिक, कर्मचारी समस्याओं को और ज्यादा गहरा कर दिया है। इन परिस्थितियों के चलते सरकार को चाहिए कि श्रमिक एवं कर्मचारी वर्ग तथा विशेष रूप से असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों हेतु सार्वजनिक एवं निजी संस्थानों में रोजगार सुनिश्चित किया जाए।

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वक्ताओं ने कहा अब समय आ गया है जब सरकारें अपनी पूंजीवादी नीतियों का परित्याग करें और सर्वहारा वर्ग के हितों को ध्यान में रखते हुए ही कार्य करें। आमसभा में सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र में काम के घंटे आठ के अधिकार को सुनिश्चित करने, विनाशकारी आर्थिक नीतियों तथा निजीकरण पर रोक लगाने, सार्वजनिक उपक्रमों पर हमले बंद करने हैं। श्रम कानूनों में श्रमिक विरोधी संशोधनों को वापस लेने ठेकेदारी प्रथा पर रोक लगाने न्यूनतम वेतन रुपए 40 हजार प्रतिमाह करने केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग बंद करने सहित श्रमिक समस्याओं के निवारण की मांग की गई। इसके लिए एक था वह संघर्ष की राह पर चलकर दुनिया के मजदूरों एक हो का नारा बुलंद कर सांप्रदायिक शक्तियों को परास्त करने का आह्वान किया गया। शिकागो के अमर शहीदों को लाल सलाम इंकलाब जिंदाबाद सन अट्ठारह सौ छियासी बोलो मत बोलो मत आदि गगनभेदी नारों के साथ इस अभूतपूर्व जुलूस में लाल झंडे के बैनर तले व लाल टोपी पहने श्रमिक कर्मचारी चल रहे थे। जोश खरोश एवं अनुशासन ने जुलूस को बेहद प्रभावी बना दिया ऐसा लग रहा था मानो सड़कों पर लाल सैलाब उमड़ पड़ा हो।

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