Pledge taken on World Suicide Prevention Day

विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर ली शपथ

डॉ एसएन मेडिकल कॉलेज व महात्मा गाधी अस्पताल में विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के मनाया

जोधपुर,विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर ली शपथ। मानसिक रोग विभाग,डॉ.एसएन मेडिकल कॉलेज द्वारा मंगलवार 10 सितम्बर को प्रातः मनोविकार विभाग के सेमीनार हॉल में “आत्महत्या रोकथाम’ विषय पर सूचनापूरक एवं ज्ञानवर्धक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

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कार्यक्रम में मेडिकल कॉलेज के छात्र/छात्रांए,नर्सिंग कर्मचारी,मरीज व उनके परिजन को जन जागृती एवं आत्महत्या के लक्षणों की पहचान एवं उसके रोकथाम हेतु जागरूकता के लिये मनोविकार विभाग के वरिष्ठ मनोचिकित्सक द्वारा जानकारी प्रदान की गयी। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ संजय गहलोत,वरिष्ठ आचार्य एवं विभागाध्यक्ष मानसिक रोग विभाग ने कहा कि आत्महत्या या खुदकुशी का संबंध प्रायः व्यक्ति की मनोदशा से संबंधित होती हैं। आत्महत्या या कहें स्वयं जानबूझ कर अपनी मृत्यु को अंजाम देने की प्रवृति आज वैश्विक स्तर पर बडी चुनौती है। यह घटना जीवन के हर क्षेत्र,हर आयु वर्ग और हर समुदाय को स्पर्श करती है।

मुख्यतः आत्महत्या के विचारों वाले व्यक्ति डिप्रेशन से ग्रसित होते हैं उनके लिये प्रायः तीन प्रकार की चिकित्सकीय सहायता होती है। 1 साइको थैरेपी/संवाद थेरीपी इसमे रोगी को किसी मनोचिकित्सक से कांउसलिंग तथा सीबीटी (कॉग्नेटिव बिहेवियर थैरेपी) दी जाती है। 2 दवाईयां आजकल काफी मात्रा में अलग-अलग प्रकार की एंटी डिप्रेशेंट ड्रग्स उपलब्ध है जो किसी मानसिक रोग विशेषज्ञ से ही लें। 3 जीवन शैली में बदलाव। आत्महत्या के विचारों से युक्त रोगी की जीवन शैली में बदलाव लाना भी एक प्रकार से उसकी सहायता करना होता है। जिसमे नींद की पर्याप्तता, व्यायाम तथा मदिरा पान से दूर रखकर उसकी जीवन शैली में बदलाव किया जा सकता है।

आत्महत्या से मौतें कम करने के लिये कई प्रकार के कदम उठाने की आवश्यकता है
आमजन में मानसिक रोगों एवं आत्महत्या के कारण व बचाव के तरीकों मे जागरूकता पैदा करना ताकि किसी भी व्यक्ति द्वारा आत्म हत्या जैसी बात करने पर या किसी भी प्रकार का मानसिक रोग का लक्षण लगने पर उन्हे तुंरत अस्पताल में भर्ती करवाएं या शीघ्र विशेषज्ञों द्वारा उचित उपचार करावें। जिन लोगों का मानसिक रोग का ईलाज चल रहा है,उनके परिजन सतर्क रहें तथा मरीज को कभी भी अकेला न छोडें और परिजनों को ध्यान रखना होगा कि मरीज समय पर और सही मात्रा में दवाईयों लेवें। किसी भी व्यक्ति में अवसाद,तनाव या इसी प्रकार के कोई भी लक्षण दिखने पर तुरन्त ईलाज करवायें।

वर्तमान मे भारत सरकार द्वारा टेली मानस नामक ऑनलाईन हेल्पलाईन संचालित कि जा रही है,जिसका टोलफीनम्बर 14416/1800- 8914416 है जिस पर मानसिक स्वास्थ्य से संबधित हर प्रकार के समस्या पर 24 घण्टे कांउसलिग की जाती है।

कार्याक्रम में मुख्य अतिथि डॉ.नवीन किशोरिया मथुरा दास माथुर चिकितसालय ने कहा कि आज का वातावरण तनावपूर्ण हो गया है, महाविद्यालय मे आने वाले अधिकतर छात्र छात्रा अन्य शहरों के होते हैं और उन्हें सामन्जस्य की समस्या,घर की याद आना, भावनात्मक रूप से कमजोर होना और शिक्षा का तनाव के कारण युवाओं में आत्महत्या की प्रवृति बढने के साथ जहां पर अत्यधिक प्रतिस्पर्धा के साथ साथ आज का युग ई यूग हो गया है,जहां पर लोग अपना ज्यादातर समय फेसबुक वॉट्सएप जैसे साइटस पर काल्पनिक दोस्तों के साथ अधिकतर समय बिताते हैं, जहां पर सामाजिक संबंधों,अनुभुतियों और सवेंदनाओं का कोई महत्व नही होता है। इसलिये जरूरी है कि हम कोई न कोई सच्चा दोस्त या अभिभावक रखें जिससे हम अपनी छोटी छोटी समस्याओं पर बात कर उनका निवारण कर सकें। ज्यादातर लोग आत्महत्या से पहले इतने निराश हो जाते हैं कि उन्हें चारों ओर अंधेरा ही नजर आता है। वे अपने आपको निराश,निःसहाय व बेकार समझने लगते हैं।

सहायक आचार्य डॉ सृष्टि देथा ने बताया कि अकेललापन,अवसाद और आत्महत्या चिंता का विषय है, यह दिवस 2003 से मनाया जा रहा है। उन्होन कहा कि आत्महत्या एक वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती है,जिससे हर साल लाखों लोग प्रभावित होते हैं।बढती हुई आत्महत्या के प्रमुख कारणों में पारिवारिक परिस्थतियां (तलाक,रिश्तों में तनाव), वित्तीय कारण (पैसो की तंगी,बेरोजगारी), मानसिक रोग (तनाव व अवसाद, नशे की आदत,आदि) अन्य कारणों मे (बचपन में अत्यधिक मारपीट तथा शारिरीक एवं मानसिक शोषण, और परिवार में पूर्व में आत्महत्या का इतिहास और अकेलापन आदि।

आत्महत्या जैसे विचार आने पर मरीज अपने आप को अन्य लोगों से मिलना जुलना कम कर देते हैं, उनकी बातों मे भविष्य को लेकर नकारात्मक विचार प्रकट होते हैं,हर समय उदास रहते हैं आदि सामान्य लक्षण हैं। आत्महत्या रोकने के लिये अपने आसपास के व्यक्तियों में आत्महत्या के लक्षणो की पहचान कर उनकी मदद तथा ईलाज हेतु प्रोत्साहित करना चाहिये। उन्होंने बताया कि आत्महत्या से जुडे स्टीगमा को कम करना और एक ऐसे समाज को बढावा देना है जहां लोग मदद लेने मे हिचकिचाये नहीं। इन छोट-छोटे कदमों से इस मामले मे बहुत फर्क पड सकता है और आत्महत्या के मामलों को कम किया जा सकता है। अंत में डॉ सृष्टि देथा ने सभी को धन्यावाद ज्ञापित कर कार्यक्रम का समापन किया। इस अवसर पर सभी प्रतिभागीयों ने आत्महत्या मुक्त राजस्थान की शपथ ली।

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महात्मा गांधी अस्पताल
विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के महात्मा गाधी अस्पताल में भी मनाया गया।महात्मा गाधी अस्पताल के अधीक्षक डॉ फतेह सिंह भाटी ने बताया कि अस्पताल के अधिकारियों एवं कर्मचारीयों ने अधीक्षक कार्यालय प्रागण में एकत्रित होकर राजस्थान को आत्महत्या मुक्त प्रदेश बनाने के लिये शपथ ली।

उन्होंने बताया कि सहकर्मियों, परिवारजनों, पडोसियों व निवासियों को जीवन में कभी आत्महत्या का प्रयास न करने,आत्महत्या से संबंधित मिथकों व तथ्यों के प्रति जागरूक करने, आत्महत्या के प्रयास, जोखिम और घटनाओं को कम करने में सहायता करने,आत्म हत्या से संबंधित भ्रातियां और भेदभाव मिटाने के निरंतर प्रयास करने की शपथ ली।

इस शपथ सामारोह में डॉ.नरेन्द्र सक्सेना,उप अधीक्षक,कैलाश चन्द्र शर्मा प्राचार्य स्कूल ऑफ नर्सिंग, जितेन्द्र गहलोत नर्सिंग अधीक्षक, अनिल गौड कार्यालय अधीक्षक, अशोक चौधरी नर्सिग टयेटर, अरविन्द अपूर्वा नर्स प्रभारी ओपरेशन थियेटर एवं अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों ने भाग लिया।