राज्य सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण की स्थाई पीठ स्थापित करें-हाईकोर्ट
जोधपुर, राजस्थान उच्च न्यायालय की खंडपीठ के वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता और न्यायाधीश कुलदीप माथुर ने जोधपुर क्षेत्राधिकार में बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि राज्य सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण की स्थाई पीठ जोधपुर में स्थापित करें। उन्होंने राज्य के प्रमुख विधि सचिव को निर्देश दिए हैं कि राज्य के अधिकारियों से सामंजस्य कर स्थाई पीठ गठित करने पर तत्काल कार्रवाई प्रारंभ करें। उन्होंने कहा कि इसके वास्ते आधारभूत ढांचा,संसाधन,स्टाफ आदि की कार्रवाई जल्द से जल्द पूर्ण की जाए और जोधपुर पीठ के वास्ते अतिरिक्त सदस्यों की नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ करें। उन्होंने निर्देश दिए कि जोधपुर में जब तक स्थाई पीठ गठन की प्रक्रिया पूर्ण नहीं होती है, तब तक अंतरिम रूप से जोधपुर में अधिकरण की चलपीठ प्रति माह 8 प्रभावी दिन न्यायिक कार्रवाई करे।
राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नाथूसिंह राठौड़ ने अधिवक्ता अनिल भंडारी के माध्यम से दायर जनहित याचिका पर पैरवी करते हुए कहा कि गत 8 दिसंबर को खंडपीठ ने अधिकरण अध्यक्ष को निर्देश दिए थे कि चलपीठ जोधपुर में प्रतिमाह 5 दिन कार्य करे। अतिरिक्त महाधिवक्ता संदीप शाह द्वारा जनवरी 2004 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिए जाने पर खंडपीठ ने 8 अप्रैल को 5 दिन का आदेश वापिस ले लिया। इस पर एसोसिएशन की ओर से प्रार्थना पत्र पेश कर बताया गया कि अधिकरण सदस्य जोधपुर चल पीठ के दौरान मंगल,बुध और गुरुवार को कार्य करते हैं और सोमवार तथा शुक्रवार को कहीं पर भी न्यायिक कार्रवाई नहीं करते हैं। इस पर खंडपीठ ने अधिकरण अध्यक्ष को हलफनामा पेश करने के निर्देश पर उन्होंने शपथ पत्र पेश कर कहा कि गत 30 अप्रैल तक जयपुर पीठ में 6272 और जोधपुर में महज 747 प्रकरण ही लंबित है और इस साल के पहले चार माह में जयपुर में 535 और जोधपुर में 25 प्रकरण ही दर्ज हुए हैं। इस पर खंडपीठ ने 26 मई को अधिकरण अध्यक्ष को जिलावार प्रकरण बाबत हलफनामा पेश करने का निर्देश दिया।
राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ के वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता और न्यायाधीश कुलदीप माथुर ने अपने आदेश में कहा कि अधिकरण अध्यक्ष ने 25 मई का हलफनामा अपनी विशिष्ट शैली में दिया है और 19 जुलाई के शपथ पत्र से यह इंगित हो रहा है कि कुल 7019 लंबित प्रकरण में से जोधपुर मुख्य पीठ के क्षेत्राधिकार में 2655 और जयपुर में 4364 प्रकरण हैं सो जोधपुर में एक माह में तीन दिन ही न्यायिक कार्रवाई करने को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि एसोसिएशन का यह कहना सही है कि अधिकरण न्याय आपके द्वार सिद्धांत के अनुरूप कार्रवाई नहीं कर रही है।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के वर्ष 2004 के आदेश के बाद हालात काफी बदल गए हैं। अब प्रकरणों की तादाद में अत्यधिक वृद्धि होने से माह में तीन दिन ही न्यायिक कार्रवाई किया जाना फरीकों और वकीलों के लिए असुविधाजनक होगा और न्याय आपके द्वार उद्देश्य के खिलाफ होगा। उन्होंने कहा कि न्याय हित में यह अत्यावश्यक है कि जोधपुर में अधिकरण की स्थाई पीठ गठित की जाए।उन्होंने राज्य सरकार को निर्देश दिए कि जोधपुर में राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण की स्थाई पीठ गठित करें। उन्होंने राज्य के प्रमुख विधि सचिव को निर्देश दिए कि इस बाबत राज्य के अधिकारियों से सामंजस्य स्थापित कर त्वरित कार्रवाई प्रारंभ करें और आधारभूत ढांचा, संसाधन, स्टाफ आदि कार्रवाई जल्द ही पूर्ण हो और साथ ही जोधपुर स्थाई पीठ के वास्ते अतिरिक्त सदस्यों की नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ करें। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि स्थाई पीठ गठित किए जाने तक अंतरिम तौर पर जोधपुर में अधिकरण की चल पीठ प्रति माह 8 प्रभावी दिन न्यायिक कार्रवाई करे।
भारत सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल मुकेश राजपुरोहित,हाईकोर्ट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ सचिन आचार्य और अन्य की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता सुनील बेनीवाल ने पैरवी की।
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