स्वर कोकिला स्वर की देवी में समाहित
संगीत किसलय संस्थान में हुई श्रद्धांजलि
जोधपुर,भारत रत्न लता मंगेशकर के निधन का समाचार मिलते ही मानो जैसे स्वर,लय,ताल ठहर गई हो ऐसा प्रतीत होने लगा संगीत साधकों से लेकर संगीत श्रोताओं तक हर वर्ग में एक शोक की लहर यकायक बहने लगी। स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर जी हमारे बीच से अपने पांच तत्व के शरीर को त्याग के चली गई और यादों में हमारे लिए अनेकों प्रकार का संगीत छोड़ गई। श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए सांस्कृतिक संस्था संगीत किसलय ने शोक सभा का आयोजन किया और सभी नव साधकों ने पुष्पांजलि अर्पित कर मोन सभा आयोजित की।
पुष्पांजलि से पूर्व पंडित सतीश बोहरा ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इंदौर में जन्मी स्वर की देवी इस दौर से चली गई, देश के हृदय मध्य प्रदेश कि यह लाडली विश्व के समस्त संगीत प्रेमियों के हृदय से अनंत काल तक ना जा पाएगी। 28 सितंबर जिस वक्त मां सरस्वती अपने शयन कक्ष में रहती है यह चुपचाप पृथ्वी लोक में आकर के कितने वर्षों तक संगीत की स्वर लहरी बिखेरती गई,जब स्वर की देवी मां सरस्वती को पता चला कि हमारे यहां से देव लोग से एक साधक पृथ्वी लोक में अपनी स्वर लहरी बिखेर रहा है तो मां सरस्वती स्वयं बसंत पंचमी पर आकर स्वर की लाड़ली को अपने साथ ले गई।

यह एक संजोग भी हो सकता है और यह मेरी बात सत्य भी हो सकती है। जहां तक मेरा मन कहता है कि यह बात एकदम सत्य है। उनकी गायन शैली का तो क्या बखान करें शास्त्रीय संगीत हो, उप शास्त्रीय संगीत हो या भक्ति संगीत हो, गजल संगीत हो या लोक संगीत हर प्रकार के संगीत में इस प्रकार से गायन करती, उस विधा में वह पूर्ण रुप से पारंगत थी। ऐसा ही एक गीत उन्होंने हमारी राजस्थानी भाषा में वीर दुर्गादास फिल्म सन 1960 में लेखक भरत व्यास संगीत निर्देशक एसएन त्रिपाठी थाने काजलियो बना लूं म्हारे नैना में रमालूं.. यह गीत गाया। इस गीत को सुनकर ऐसा लगता ही नहीं कि लताजी मध्य प्रदेश की है ऐसा लगता है कि वह राजस्थान की है हूबहू राजस्थानी भाषा में यह गायन किया, यह उनकी एक बड़ी विशेषता थी। पुष्पांजलि अर्पित करने में अखिल बोहर, मोती लाल बिश्नोई, कार्तिक कुमावत, शिवम सिंह, कोमल जैन, नंदिनी मालपानी शामिल थी।
दूरदृष्टिन्यूज़ की एप्लिकेशन डाउनलोड करें – http://play.google.com/store/apps/details?id=com.digital.doordrishtinews
