• जोधपुर, जैसलमेर और बीकानेर के लिए 1100 क्यूसेक अतिरिक्त पानी
  • केंद्रीय जलशक्ति मंत्री ने राज्य सरकार के प्रस्ताव को दी मंजूरी
  • 2054 तक पेयजल की आवश्यकता को पूरा करेंगे ये रिजरवायर
  • इंदिरा नहर परियोजना के तहत 6707 गांवों के लिए 42 परियोजनाएं तैयार
  • 20.87 लाख घरों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध करा सकेंगे

नई दिल्ली, जल संकट से जूझने वाले पश्चिमी राजस्थान को केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय ने बड़ी सौगात दी है। अगले 33 साल तक जलापूर्ति सुनिश्चित हो सके, इसके लिए केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने 1275 करोड़ रुपए की योजना को स्वीकृति प्रदान की है। योजना के तहत बीकानेर,जोधपुर और जैसलमेर में 4 रिजरवायर बनाए जाएंगे, जिससे वर्ष 2054 तक पेयजल आपूर्ति की आवश्यकता को पूरा किया जा सकेगा।

सोमवार को केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि पिछले दिनों राज्य सरकार के जलदाय मंत्री बीडी कल्ला एवं अधिकारियों ने दिल्ली आकर एक प्रजेंटेशन दिया था कि वर्तमान में जल जीवन मिशन के लिए 1031 क्यूसेक पानी स्टोर किया जा रहा है, लेकिन इस हेतु 2132 क्यूसेक पानी की आवश्यकता होगी, जो वर्ष 2054 तक की पेयजल आवश्यकताओं की पूर्ति करेगी। इस प्रकार राज्य को 1100 क्यूसेक अतिरिक्त पानी की ज़रूरत है। जिसके लिए राज्य सरकार ने इंदिरा गांधी नहर परियोजना के समीप बीकानेर आरडी 507, बीकानेर आरडी 750, जोधपुर आरडी 1121 और जैसलमेर आरडी 1356 पर इन रिजरवायर के निर्माण की मांग की, ताकि मानसून सीजन या जब खेती के लिए पानी की कम आवश्यकता होती है, तब सरप्लस पानी को स्टोर किया जा सके।

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इन चार रिजर्ववॉयर की अनुमानित लागत 1275 करोड़ रुपए होगी, जिसे मंजूर कर लिया गया है। राज्य सरकार ने अपने प्रजेंटेशन में बताया था कि इंदिरा गांधी नहर परियोजना के तहत 6707 गांवों के लिए 42 परियोजनाएं तैयार की गई हैं, जिनसे 20.87 लाख घरेलू कनेक्शन को शुद्ध पेयजल उपलब्ध होगा। जिसके बाद शेखावत ने राज्य सरकार के प्रस्ताव पर सहमति दे दी है। उन्होंने राज्य सरकार को निर्देश दिए कि इन योजनाओं को योजनाबद्ध तरीके से समय से पूरा करें, जिससे राज्य की जनता को लाभ मिले और हर घर नल से जल पहुंचाने के लक्ष्य को राजस्थान में वर्ष 2024 तक पूरा किया जा सके।

इन रिजरवायर से हमेशा पीने के पानी की कमी से जुझने वाले पश्चिमी राजस्थान के लोगों को बड़ी राहत मिलेगी और दशकों तक जलसंकट और अकाल की त्रासदी झेल चुके राज्य के इस रेगिस्तानी इलाके के लिए ये एक बड़ी राहत लेकर आएगा।

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राज्य के लिए नहीं आने देंगे धनराशि की कमी

केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि राजस्थान के 101.32 लाख ग्रामीण घरों में से केवल 21 लाख (20.7 प्रतिशत) में नल से जल की सुविधा उपलब्ध है। 2020-21 में करीब 6.77 लाख नए कनेक्शन लगाए गए। अब 2021-22 में राज्य सरकार ने 30 लाख नए कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि 2020-21 में राजस्थान को 2,522 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे। वर्ष 2021-22 में इसे बढ़ाकर 10,180.50 करोड़ रुपए किया गया है, जिसकी पहली किश्त राज्य सरकार को दी जा चुकी है।

उन्होंने एक बार फिर भरोसा दिलाया कि प्रधानमंत्री के इस ड्रीम प्रोजेक्ट के लिए बजट की कमी नहीं आने दी जाएगी। शेखावत ने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत निष्पादन प्रोत्साहन के रूप में कार्यान्वयन की प्रगति के आधार पर अतिरिक्त धनराशि भी प्रदान की जा सकती है। राज्य को मासिक योजना बनाने और उपलब्ध धनराशि के लिए विवेकपूर्ण वित्तीय प्रबंधन की आवश्यकता है।

पंचायतीराज संस्थाओं के धन का भी करें इस्तेमाल

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 15 वें वित्त आयोग के तहत राजस्थान में पंचायतीराज संस्थाओं को 2021-22 में 1,712 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं, जिसमें से 50 प्रतिशत धनराशि जलापूर्ति और स्वच्छता पर खर्च की जानी है। अगले पांच वर्षों तक इस कार्य के लिए 9,032 करोड़ रुपए की धनराशि की व्यवस्था है।

उन्होंने कहा कि राज्य द्वारा ग्राम स्तर मनरेगा, जेजेएम, एसबीएम (जी), पीआरआई को 15वें वित्त आयोग के अनुदान, जिला खनिज विकास कोष, सीएएमपीए, सीएसआरकोष, स्थानीय क्षेत्र विकास निधि आदि जैसे विभिन्न कार्यक्रमों के तहत अभिसरण योजना बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पेयजल सुरक्षा के लिए जल स्रोतों को मजबूत बनाने के लिए जल संरक्षण संबंधी गतिविधियों के लिए इन सभी निधियों का क्रमवेशन करते हुए प्रत्येक गांव के स्तर पर ग्राम कार्य योजना (वीएपी) तैयार की जाएगी।

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जल की गुणवत्ता सर्वोच्च प्राथमिकता

शेखावत ने कहा कि जल की गुणवत्ता प्रभावित बस्तियों में पीने योग्य पानी की आपूर्ति को जेजेएम के तहत सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है। राजस्थान को दिसंबर, 2021 से पहले 1,333 आर्सेनिक और 10,105 लवणता प्रभावित बस्तियों में सभी घरों में पाइप से जलापूर्ति सुनिश्चित करनी है।

यदि दिसंबर 2021 से पहले पीने योग्य पानी के पाइप कनेक्शन सुनिश्चित नहीं किए जा सकते हैं तो अंतरिम उपाय के तौर पर सामुदायिक जल शोधन संयंत्र (सीडब्ल्यूपीपी) स्थापित करने के माध्यम से पीने और खाना पकाने के उद्देश्य के लिए 8-10 एलपीसीडी की दर पर पेयजल प्रदान किया जाना है।

गांवों में चलाएं आईईसी अभियान

उन्होंने कहा कि जेजेएम को सही मायने में जन आंदोलन बनाने के लिए सभी गांवों में सामुदायिक भागीदारी के साथ सूचना, शिक्षा और संचाल (आईईसी) अभियान चलाया जाना है। राज्य, ग्रामीण समुदाय को गांव में जलापूर्ति के बुनियादी ढांचे के निर्माण के साथ-साथ उनके संचालन और रख-रखाव के लिए जुटाने को सामाजिक क्षेत्र तथा प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन में काम कर रहे महिला स्वयं सहायता समूहों और स्वैच्छिक संगठनों को संलग्न करना है।

शेखावत ने कहा कि मिशन के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक बस्ती,गांव में प्रत्येक ग्रामीण परिवार को लंबी अवधि तक कि उपादेयता बनी रहे इसके आधार पर नल कनेक्शन प्रदान करने के लिए, चिनाई, नलसाजी, फिटिंग, बिजली आदि जैसे क्षेत्रों में कुशल जनशक्ति की आवश्यकता होगी। प्रत्येक गांव/आबादी में जलापूर्ति योजनाओं और उनके संचालन और रख-रखाव तथा ऐसी जनशक्ति की आवश्यकता होगी। ऐसे लोगों को बड़े पैमाने पर कौशल प्रशिक्षण करने की भी आवश्यकता है।

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