जो माँ का न हुआ वो मौसी का क्या होगा?
आज की बात- राष्ट्रप्रथम
-पार्थसारथि थपलियाल
दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे
जब कभी हम दोस्त हो जाएं तो शर्मिंदा न हों (बशीर बद्र)
टीवी पर एक डिबेट सुन रहा था, व यूक्रेन से भारतीय छात्रों की सुरक्षित वापसी को लेकर यह आयोजन था। एक वक्ता बोले यह सरकार की विफलता है कि देश के छात्रों को मेडिकल की पढ़ाई के लिए विदेशों में जाना पड़ता है। बात तो उनकी सही है कि सरकार मेडिकल की पढ़ाई की समुचित व्यवस्था नही कर पाई। वक्ता यह स्पष्ट नही कर पाए कि वे किस सरकार की बात कर रहे हैं। इसी विषय पर चिंता करते हुए मेरे एक सेकुलरिये मित्र का फोन आया। कहने लगे भाई साहब यूक्रेन में इतने भारतीय लड़के मारे जा रहे हैं, मोदी सरकार कुछ नही कर रही। मैंने जानना चाहा कि क्या करना चाहिए। कहने लगे मोदी, योगी अमित शाह यू पी चुनाव में व्यस्त हैं, हिन्दू-मुसलमान की नफरत फैला रहे हैं, इन्हें किसी भी तरह चुनाव जीतना है, छात्र मरें या कुछ भी हो।
बड़ी विचित्र बात है। दुनिया के छात्र भारतीय तिरंगे के तले अपनी जान बचा रहे हैं, और इन श्रीमान को मालूम ही नही है कि भारत ने यूक्रेन से अपने नागरिकों को सुरक्षित भारत लाने के क्या क्या उपाय किये हैं? चाणक्य नीति में लिखा है-
न पश्यति च जन्मान्धः कामान्धो नैव पश्यति।।
मदोन्मत्ता न पश्यन्ति अर्थी दोषं न पश्यति।।
जो जन्म से ही अंधा होता है उसे दिखाई नही देता। जो व्यक्ति कामांध (यौनेच्छा) होता है उसे भी और कुछ नही दिखाई देता। जो मद में मस्त हो, (मद पद का भी हो सकता है,धन दौलत का भी, ताकत का भी, मादक द्रव्यों का भी) उसे भी दिखाई नही देता और स्वार्थी इंसान भी अपने मतलब के अनुसार ही अर्थ समझता है। मीडिया चैनल सायरन बजा बजा कर युद्धोन्माद फैला रहे हैं, ऐसे लगता है कि परमाणु बम की एक चाबी इन्ही के पास है। इनको अपनी टीआरपी की चिंता है। वैसे भी न्यूज़ शो का अर्थ है खबरों का तमाशा। इसके अलावा कुछ नही। रही बात सेकुलरियों की, इनके लिए अंगूर खट्टे वाली कहावत ठीक है। ये भ्रम फैलाकर राष्ट्र सेवा का नाटक कर रहे है!
पहले सेकुलरी यह नही बता पाए कि मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए किस सरकार को दोषी बता रहे हैं? 2014 तक देश में 387 मेडिकल कॉलेज थे। एक एम्स था। 2014 के बाद सरकारी क्षेत्र में 157 मेडिकल कॉलेज खुले हैं। 2014 तक देश में 7 एम्स थे अब यह संख्या 23 हो गई। सरकारी और निजी संस्थानों को मिलाकर लगभग 900 मेडिकल कॉलेज देश मे हो गए है। सरकार की योजना है कि देश के हर एक जिले में एक मेडिकल कॉलेज खोला जाय। इसके लिए कार्य चल रहा है। वर्तमान में 83125 MBBS की सीट्स भारतीय मेडिकल कॉलेजों में है। अधिकतर विदेश जाने वाले वे छात्र होते हैं जो निर्धारित स्तर तक पात्रता के अंक से उत्तीर्ण नही होते अथवा जिन अभिभावकों के पास आर्थिक संपन्नता है वे अपने बच्चों को मेडिकल की पढ़ाई के लिए बाहर भेजते हैं।
यद्यपि उनमे से बहुत ही काम भारत में सफल हो पाते हैं। खैर ये मसला अलग है। भारत सरकार ने 16 फरवरी को एक एडवाइजरी जारी की थी कि यूक्रेन से छात्र शीघ्र निकल जाएं। लेकिन स्टूडेंट्स ने ध्यान नही दिया। मोदी जी ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन से बात की, भारतीय छात्रों को निकाला जाने लगा पहले एयर इंडिया परिवहन कर रही थी बाद में एयरफोर्स के विमान लगाए गए जो छात्रों को निःशुल्क ला रहे हैं। आधे छात्र लौट आये हैं। चार मंत्री निकटवर्ती चार देशों में सारी व्यवस्थाओं को देख रहे हैं। पाकिस्तान और कई अन्य देशों के छात्र भारतीय ध्वज के सहारे बॉर्डर तक आ रहे हैं। भूतों न भविष्यति।
राजनीतिक विरोध विपक्षी पार्टियों का स्वभाव होता है, लेकिन कभी अच्छे कामों की सराहना कर ली जाय तो दुनिया मे एक संदेश जाता है कि भारत संकट में एक हो जाता है।
सेकुलरियों से उम्मीद करना बेकार है। इनका दाना पानी बंद होने से ये बीते साल के कलेंडर की भांति फड़फड़ा रहे हैं। यूपी चुनाव परिणाम आने के बाद स्वयं ही फट जाएंगे।
ध्यान रहे जो माँ का न हुआ वो मौसी का क्या होगा?
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