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आगामी बारिश के दिनों में हादसों का इंतजार

रविवार की आंधी ने बरपाया कहर

जोधपुर,शहर में रविवार की शाम चली तूफानी आंधी के बीच कई पेड़ पौंधे, होर्डिंग आदि परखच्चों की तरह उड़ गए। कई जर्जर इमारतों को भी नुकसान पहुंचा। सबसे बड़ी बात है इन इमारतों के मालिकों को नोटिस दिए जाने के बावजूद आज तक कार्रवाई नहीं की जा सकी। ऐसे में आगामी दिनों में मानसून में कोई बड़ा हादसा भी हो सकता है। दो सौ से ज्यादा जर्जर मकानों की जानकारी नगर निगम को है,जिसमें ज्यादातर इमारतें उत्तर निगम में ही हैं।
शहर में जर्जर मकानों की स्थिति मानसून से पहले ही डराने लगी है।

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नगर निगम के पास 200 से ज्यादा जर्जर मकानों की लिस्ट है जिन्हें हर साल सिर्फ नोटिस देकर ही इतिश्री कर ली जाती है। रविवार देर शाम करीब 1 घंटे की तूफानी बारिश ने फिर से इस व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी। शहर परकोटा में एक बार फिर दो मकान क्षतिग्रस्त हुए। ये सभी मकान जर्जर अवस्था में थे जो नगर निगम की सूची में हैं, जिन्हें हर साल नोटिस भी जारी होते हैं। गनीमत रही की इन क्षति ग्रस्त मकानों के कारण किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई।

कई स्थानों पर गिरे पेड़ और होर्डिंग

कई स्थानों पर पेड़ गिरे और बिजली के खंभे भी उखड़ गए। कुड़ी भगतासनी हाउसिंग बोर्ड में बिजली के पोल उखडऩे से पूरी रात बिजली गुल रही। डिस्कॉम भी इन आपात परिस्थितियों में स्थिति नहीं संभाल पाया। सरदारपुरा मुख्य सडक़ पर पेड़ गिरने से कारें क्षतिग्रस्त हो गई। पुराने शहर में एक मीनार मस्जिद के पहाड़ जर्जर मकान का हिस्सा भरभरा कर गिर गया। पीपली चौक में भी एक पेड़ जड़ सहित उखड़ कर मकान पर गिर गया। प्रताप नगर, चौपासनी हाउसिंग बोर्ड और कुड़ी भगतासनी में कई जगह बिजली के पोल धराशाई हो गए। गोशाला मैदान के वॉकिंग ट्रैक पर भी पेड़ धराशाई हो गया।

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कई बरसों से बंद पड़े है मकान 

जर्जर मकानों पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं होना आपसी विवाद का भी हिस्सा है। कई मकान ऐसे है। बरसों से बंद पड़े हैं और पुश्तैनी बंटवारे को लेकर कोर्ट में भी लंबित है। नगर निगम इनको हर साल नोटिस देता है, मगर न तो इन मकानों की कोई कोई सुध लेने वाला है और न ही कोर्ट केस के कारण निगम इनको धराशाही कर सकता है।

गत साल मानसून में गिरी जर्जर इमारतें

पिछले मानसून सीजन में भी करीब 5 मकान गिर गए थे। 2 साल पहले इसी प्रकार मकान का हिस्सा गिरने से दो जानें भी जा चुकी हैं।

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