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तीन दिवसीय राजस्थान साहित्य उत्सव शनिवार से

  • मुख्यमंत्री अशोक गहलोत करेंगे शुभारंभ
  • 7 मनीषियों को अकादमी पुरस्कारों से सम्मानित करेंगे
  • कवि सम्मेलन में शामिल होंगे डॉ. कुमार विश्वास,डॉ.प्रभा ठाकुर,सम्पत सरल,इकराम राजस्थानी
  • उम्मेद उद्यान के जनाना बाग में होगा उत्सव,सभी तैयारियां पूर्ण

जोधपुर,रआजस्थान साहित्य उत्सव (साहित्य कुंभ-2023) का तीन दिवसीय आयोजन जोधपुर में उम्मेद उद्यान स्थित जनाना बाग में शनिवार 25 मार्च को शुरू होगा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत शनिवार को शाम 4.30 बजे इसका उद्घाटन करेंगे। इसकी व्यापक स्तर पर तैयारियां की गई हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के मुख्य आतिथ्य में आयोजित शुभारंभ समारोह की अध्यक्षता कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ.बीडी कल्ला करेंगे। इस दौरान सीताराम लालस पुस्तक मेले का उद्घाटन भी होगा।

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इस अवसर पर कला एवं संस्कृति राज्यमंत्री ज़ाहिदा खान एवं राज्य मेला प्राधिकरण उपाध्यक्ष रमेश बोराणा विशिष्ट अतिथि तथा प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय और वरिष्ठ शायर एवं साहित्यकार शीन काफ़ निज़ाम विशिष्ट वक्ता होंगे।

समारोह में कला एवं संस्कृति विभाग की प्रमुख शासन सचिव और जवाहर कला केन्द्र की महानिदेशक गायत्री राठौड़,साहित्य उत्सव की नोडल अधिकारी और जवाहर कला केन्द्र की अति.महानिदेशक प्रियंका जोधावत, राजस्थान संस्कृत अकादमी की अध्यक्ष डॉ.सरोज कोचर,राजस्थान भाषा,साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के अध्यक्ष शिवराज छंगाणी,पं. जवाहरलाल नेहरू बाल साहित्य अकादमी के अध्यक्ष इकराम राजस्थानी,राजस्थान उर्दू अकादमी के अध्यक्ष हुसैन रज़ा,राजस्थान संगीत नाटक अकादमी की अध्यक्ष बिनाका मालू,राजस्थान साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ.दुलाराम सहारण एवं राजस्थान ललित कला अकादमी के अध्यक्ष लक्ष्मण व्यास सहित जन प्रतिनिधि,साहित्यकार,अधिकारी, गणमान्यजन एवं साहित्यानुरागी उपस्थित रहेंगे।

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मुख्यमंत्री इन्हें करेंगे पुरस्कृत

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समारोह में विभिन्न अकादमियों की ओर से उल्लेखनीय कृतित्व तथा विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान के लिए 7 मनीषीयों/साहित्यकारों को विभिन्न पुरस्कारों से विभूषित करेंगे। इनमें राजस्थान संस्कृत अकादमी जयपुर की ओर से जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली में संस्कृत एवं प्राच्य विद्या संस्थान में एसोसिएट प्रोफेसर प्रमोद कुमार शर्मा को अखिल भारतीय माघ पुरस्कार तथा आयुर्वेद एवं संस्कृत के मनीषी प्रो. वैद्य बनवारी लाल गौड़ को अम्बिकादत्त व्यास पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।

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राजस्थान उर्दू अकादमी,जयपुर की ओर से डॉ. अशरद अब्दुल हमीद(टोंक) को प्रो. महमूद शिरानी अवॉर्ड और आदिल रजा मन्सूरी (जयपुर) को अख्तर शिरानी अवॉर्ड से नवाजा जाएगा। प्रख्यात बाल साहित्यकार डॉ. दिविक रमेश (दिल्ली) एवं डॉ. प्रबोध कुमार गोविल(जयपुर) तथा कलाधर्मी एवं बहुआयामी सृजनात्मक रचनाकार चांद मोहम्मद घोसी(मेड़ता) को पंडित जवाहरलाल नेहरू बाल साहित्य अकादमी जयपुर के बाल साहित्य मनीषी अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा।

शनिवार शाम को होगा कवि सम्मेलन

शाम 7 बजे से रात्रि 9.30 बजे तक डॉ.कुमार विश्वास के संचालन में कवि सम्मेलन होगा,जिसमें डॉ.प्रभा ठाकुर- अजमेर,इकराम राजस्थानी,सम्पत सरल-जयपुर,डॉ.आईदान सिंह भाटी- जोधपुर,दुर्गादान सिंह एवं जगदीश सोलंकी-कोटा की कविताओं को सुनने का मौका मिलेगा।

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तीन दिवसीय उत्सव में होंगे विभिन्न आयोजन

साहित्य उत्सव में तीन दिन तक विभिन्न आयोजन होंगे। इनमें कला संवाद,विभिन्न विषयों पर संवाद सत्र, मुशायरा,राजस्थानी कवि सम्मेलन, सीताराम लालस पुस्तक मेला, हस्तशिल्प मेला,कला मेला,कोमल कोठारी कला शिविर एवं सांस्कृतिक संध्या आदि शामिल हैं। इस दौरान फूड स्टॉल्स की व्यवस्था भी रहेगी जिनमें विभिन्न व्यंजनों का स्वाद ले सकेंगे। तीन दिवसीय उत्सव में प्रदेश एवं देश के सुविख्यात साहित्य चिन्तक एवं विभिन्न विधाओं के विशेषज्ञ साहित्यकार एवं लोक संस्कृतिकर्मी,साहित्यानुरागी आदि हिस्सा लेंगे।

कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ.बीडी कल्ला ने कहा कि राजस्थान की साहित्यिक परम्परा में जहां एक ओर मीरा,सूर्यमल्ल मिश्रण,सीताराम लालस,विजयदान देथा,कन्हैयालाल सेठिया जैसे साहित्य मनीषी ​वैश्विक साहित्यिक परम्परा के दैदीप्यमान नक्षत्र हैं। वहीं चन्द वरदाई,लज्जाराम मेहता,विजय सिंह पथिक,रांगेय राघव, यादवेन्द्र शर्मा (चन्द्र) जैसे विद्वानों ने हिन्दी लेखन में नये प्रतिमान स्थापित कर एक कीर्तिमान बनाया है।

उत्सव में प्रदेश के साहित्यिक अवदान को वैश्विक पटल पर स्थापित करने वाले साहित्यकारों पर एक सार्थक चर्चा होगी और विमर्श के साथ नये और युवा साहित्यकारों को एक प्रभावी और सशक्त मंच उपलब्ध करवाया जाएगा। गायत्री राठौड़, प्रमुख शासन सचिव, कला एवं संस्कृति विभाग और महानिदेशक जवाहर कला केन्द्र, जयपुर ने बताया कि उत्सव का मुख्य उद्देश्य प्रदेश की समृद्ध साहित्यिक परम्परा से नई पीढ़ी को अवगत कराना एवं साहित्यकारों को एक प्रभावी और सशक्त मंच प्रदान करना है।

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