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  • मंडियां और एमएसपी बनी रहेगी
  • कृषि क्षेत्र की खुशहाली के लिए काम कर रही मोदी सरकार 

जोधपुर, केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने दो टूक कहा कि जिन्होंने शायद कभी खेत में हल चलाना तो दूर, जिनको धान और गेहूं की बाली में फर्क पता नहीं चलता, वो किसान के नाम पर राजनीति कर रहे हैं। किसान आंदोलन को ऐसे लोग अपनी राजनीति चमकाने के लिए टूल के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। शेखावत ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर दोहराया है कि हम कृषि क्षेत्र की दीवारों को समाप्त कर रहे हैं, ताकि कृषि क्षेत्र खुशहाल हो सके। शनिवार को शेखावत ने कहा कि पहले जो सरकारें थीं, पॉलिसी पैरालिसिस ही उनकी यूएसपी हुआ करती थी। अटलजी की जब सरकार बनी तो उन्होंने स्वामीनाथन के नेतृत्व में कृषि आयोग बनाया, लेकिन उनकी सरकार चली गई। स्वामीनाथ ने यूपीए सरकार को रिपोर्ट दी। आज जो लोग किसान हितैषी बनने का स्वांग और ढोंग कर रहे हैं, क्यों 8 साल तक उनकी सरकार इस रिपोर्ट को तकिया बनाकर सो रही थी। बेशक उन्होंने अपने घोषणा पत्रों में उनका उल्लेख किया। अब मोदी सरकार ने उन्हें लागू कर दिया है तो वो अपने घोषणा पत्र से उल्ट राजनीति करने के लिए किसान के कंधे पर बंदूक चलाने की कोशिश कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मैं एक प्रश्न पूछना चाहता हूं, क्या देश में किसान केवल पंजाब और हरियाणा के कुछ हिस्से में ही हैं, या किसान केवल इतने ही है, जो सड़क पर बैठा दिखाई दे रहे हैं, या किसान इतना ही है, जो लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं को धूमिल करने का प्रयास कर रहा है, या किसान वही लोग हैं जो ऐसे सारे प्रायोजित आंदोलनों में अपनी खोई राजनीतिक जमीन को वापस हरा करने के लिए दिखाई देते हैं। शेखावत ने कहा कि देशभर में 14 करोड़ से ज्यादा किसान परिवार रहते हैं। अभी राजस्थान में पंचायतीराज चुनाव हुए हैं। चुनाव में ग्रामीण क्षेत्र के दो-ढाई करोड़ मतदाताओं ने मतदान किया। मतदान ऐतिहासिक रूप से भाजपा के पक्ष में हुआ। यदि देश का किसान नाराज होता तो यह परिणाम नहीं मिलता। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि किसानों को बेवजह नॉन इश्यू को इश्यू बनाकर भड़काया और गुमराह किया गया है। शाहीन बाग और सीएए के खिलाफ धरना-प्रदर्शन करते हुए दिखाई देने वाले चेहरे इस आंदोलन में भी दिख रहे हैं। उन्होंने यहां तक कहा कि जो लोग किसानों को भड़काने काम कर रहे हैं, ये जब पंजाब में सत्ता में थे तो सब्जियों को मंडी से डिनोटिफाइड किया था। हमने तो कानून में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि मंडियां रहेंगी, आगे भी बनी रहेंगी।

छह साल में  एमएसपी और सरकारी खरीद बढ़ी
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश के किसान के समग्र हितों से कोई समझौता किए बिना बातचीत के जो भी रास्ते हैं, उन सब पर हम चलने के लिए तैयार थे, तैयार हैं और तैयार रहेंगे। सरकार बातचीत के जरिए इस मुद्दे को सुलझाना चाहती है। सरकार किसानों के कोई भ्रम हैं तो उनको समाप्त करना चाहती है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह प्रश्न ही गलत है कि किसानों को एमएसपी नहीं मिलने वाला है। छह साल में मोदी सरकार में एमएसपी और सरकारी खरीद बढ़ी है। पिछले पांच साल में एमएसपी और सरकारी खरीद बढ़ने से 3.25 लाख करोड़ से ज्यादा धनराशि किसानों के खातों अतिरिक्त गई है।

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