सर्वपितृ अमावस्या के साथ श्राद्ध पक्ष का समापन
शहर के पवित्र जलाशयों ने सुबह से दोपहर तक चलता रहा तर्पण कार्यक्रम
जोधपुर,सर्वपितृ अमावस्या के साथ श्राद्ध पक्ष का समापन। आश्विन कृष्ण अमावस्या दो अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या के रूप में मनाई गई। आज शहर के पवित्र जलाशयों में सुबह से दोपहर तक यजमानों की तरफ से सर्व पितृ का तर्पण ब्राह्मणों द्वारा करवाया गया।
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वैदिक मंत्रोचारण के साथ तर्पण कार्यक्रम पूर्ण करवाया गया। आज ही आंशिक सूर्यग्रहण भी रहा,मगर उसका जोधपुर में कोई असर नहीं था।
इस दिन भूले-बिसरे पितरों या जिनकी मुत्यु की तिथि याद न हो, उन पितरों का श्राद्ध किया गया। सर्वपितृ अमावस्या पर सर्वार्थ सिद्धि योग का शुभ संयोग भी बना। सर्वार्थ सिद्धि योग का समापन तीन अक्टूबर को सुबह 6.15 बजे हुआ।
इस प्रकार दुर्लभ ब्रह्म योग का भी संयोग बना रहा।
श्राद्ध पक्ष का अंतिम दिन
सर्व पितृ अमावस्या श्राद्ध पक्ष का अंतिम दिन होता है। इस दिन पितरों को विदाई दी जाती है इसकी वजह से इसे पितृ विसर्जन अमावस्या भी कहा जाता है। पितृ अमावस्या के दिन बड़ी संख्या में लोग तर्पण करते हैे। इस दिन उन पितरों का भी श्राद्ध किया जाता है। जिनकी मृत्यु की तिथि याद नहीं हो। ऐसे लोग भी पितृ अमावस्या के दिन उनका तर्पण और श्राद्ध करते हैं।
इस दिन भोजन बनाकर कोए,गाय और कुत्ते के लिए निकाला जाता है। ऐसा माना जाता है कि अमावस्या तिथि पर किए गए श्राद्ध कर्म से पितरों को तृप्ति मिलती है और वे प्रसन्न होकर अपने पितृ लोक लौट जाते हैं। जो लोग श्राद्ध कर्म नहीं करते हैं, उनके पितर दुखी होते हैं और अपने वंश के लोगों को शाप देते हैं। पितरों की प्रसन्नता के लिए सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर श्राद्ध और दान-पुण्य जरूर करना चाहिए।