रावजी गेर पर जमी होली की मस्ती

भीतरी शहर में दिनभर श्लील गायन पर झूमे गेरिए

जोधपुर, शहर में होली पर रंगोत्सव के साथ-साथ जोधपुर में चंग की थाप पर पारंपरिक गीतों, गेर नृत्यों आदि की धूम रही है। सूर्यनगरी के परकोटे के अंदर जहां श्लील गाळी गायन का आयोजन हुआ । वहीं परकोटे के बाहर मंडोर क्षेत्र में हजारों लोग रावजी की गेर में शरीक हुए।  परम्परागत व एतिहासिक गेर मेले में इस बार सैकड़ों की तादाद में लोग जुटे। कोरोना काल के बाद इस बार त्योहार पर लोगों में भारी उत्साह नजर आया।

श्लील गाळी गायन को लेकर भी खासा उत्साह नजर आया। इस बार श्लील गाळी गायन के मैदान में गूंदेश्वर फाग के बबलू व्यास अपनी प्रथम बार गेर आयोजित की। इस आयोजन को लेकर गूंदेश्वर फाग में उत्साह था। प्रथम गेर नवचौकिया में शाम 5 बजे और दूसरी गेर भीमजी का मोहल्ला में शाम सवा सात बजे आयोजित हुई। इस गेर के गीतकार डॉ. रोबिन पुरोहित, संगीतकार दीपक जोशी व संयोजक हरिगोपाल व्यास सहित कइयों की भूमिका सराहनीय रही।

रावजी गेर पर जमी होली की मस्ती

दोपहर बाद में रावजी की गेर का ऐतिहासिक मेला लगा

शहर में लोक पर्व होली के अवसर पर जोधपुर के मंडोर क्षेत्र में माली समाज की ओर से निकाली जाने वाली ऐतिहासिक रावजी की गेर का दोपहर 2.15 बजे मंडोर क्षेत्र के मण्डावता बेरा मंदिर चौक से पूजा अर्चना कर शुभारंभ किया गया।

यातायात व्यवस्था में किया गया बदलाव

रावजी गेर के आयोजन को लेकर यातायात भी प्रभावित रहा। दोपहर 2 बजे से सांय 6.30 बजे तक गोपी का बेरा नदी वाली रोड़ से यातायात आवागमन बंद रहा। फूलबाग से आमली बेरा वाली रोड, आमली बेरा से मण्डोर ओवरब्रिज के नीचे वाले रास्ते और मण्डोर उद्यान तक सभी तरह के वाहनों का आवागमन बंद रहा। मण्डोर ओवरब्रिज पर दर्शकों की भीड़ को लेकर बैरियर व्यवस्था थी।

छह सौ साल पुरानी है परंपरा, हजारों लोग जुटते है गेर में

630 वर्ष पुरानी परम्पराओं को संजोए मेले में इस बार भी मेले में हजारों लोग जुटे। काफी संख्या में दर्शकों के आने पर इसके चलते पूरी व्यवस्था चाक चौबंद की गई। रावजी की गेर में इस बार कोविड का असर कम होने से गेर समूह में भी भारी उत्साह था। दो वर्ष से कोविड के चलते गेर का आयोजन नहीं हुआ था।

राव राजा को तैयार किया गया

गेर में पुरुष रंगीन पोशाक के साथ फूल-पत्तियों सुशोभित कर पांव में घुंघरू, गले में माला, सिर पर रंगीन साफा पहना कर राव राजा को तैयार किया गया। इसके बाद देव भोग घुघरी प्रसाद राव-राजा को देकर रवाना किया गया। मार्ग में फूलबाग बेरा, नागौरी बेरा, मण्डोर बेरा, पदाला बेरा आदि बेरे की गेरें भी शामिल हुई। करीब तीन किमी का सफर तय करने के बाद रावजी की गेर मण्डोर उद्यान स्थित संग्रहालय में बने नाग-गंगा (राव कुण्ड) पहुंचकर विसर्जित हुई।

पुलिस मौजूद, सुरक्षा बढ़ाई गई

इस गेर को लेकर पुलिस ने कुछ दिनों पहले ही सुरक्षा की दृष्टि से व्यवस्था कर ली थी। पारंपरिक गेर में शामिल होने के लिए काफी संख्या में लोगबाग जुटे। इसके साथ ही पार्किंग की अलग से व्यवस्था रखी गई। पार्किंग व्यवस्था को भी निःशुल्क थी।

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