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स्क्रिजोफ्रेनिया गंभीर बीमारी,जिसका वर्तमान में उपचार संभव-डॉ नवीन

डॉ.एसएन मेडिकल कॉलेज में विश्व स्क्रिजोफ्रेनिया दिवस के अवसर पर मरीजों व परिजनों के लिए विशेष कार्यक्रम

जोधपुर,स्क्रिजोफ्रेनिया गंभीर बीमारी,जिसका वर्तमान में उपचार संभव-डॉ नवीन।डॉ एसएन मेडिकल कॉलेज द्वारा मनोविकार केन्द्र सेमीनार हॉल में विश्व स्क्रिजोफ्रेनिया दिवस के अवसर पर शुक्रवार को मरीजों व उनके परिजनों के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एमडीएम अस्पताल के अधीक्षक डॉ नवीन किशोरिया ने कहा कि स्क्रिजोफ्रेनिया भी एक गंभीर मानसिक बीमारी है,जिसका वर्तमान समय में अच्छा उपचार संभव है।

उन्होंने कहा कि व्यक्ति की पूर्णता के लिए शारीरिक स्वास्थ्य के साथ साथ मानसिक स्वास्थ्य भी उतना ही महत्वपूर्ण है।उन्होंने कहा कि मानसिक संतुलन से ही कोई व्यक्ति प्रभावी एवं सार्थक जीवन जी सकता है। मानसिक रोगों की वास्तविकता के संबंध में जागरूकता फैलाई जानी चाहिए।

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आचार्य एवं विभागाध्यक्ष मनोविकार केन्द्र डॉ संजय गहलोत ने कहा कि वर्तमान में विश्व में लगभग 2 करोड़ से ज्यादा व्यक्ति स्क्रिजोफ्रेनिया बीमारी से ग्रसित हैं,इस विभाग में उपचाराधीन मरीजों में लगभग 20 से 25 प्रतिशत व्यक्ति इस बीमारी से ग्रसित हैं। उन्होंने बताया कि यह एक ऐसी बीमारी है जो आदमी के सोचने, समझने और काम करने की शक्ति को बुरी तरह प्रभावित करती है,रोगी वास्तविक व काल्पनिक अनुभव में फर्क नहीं कर पाता है व समाज में उचित व्यवहार नहीं कर पाता है। उन्होंने बताया कि सौ में से एक व्यक्ति अपने जीवनकाल में स्क्रिजोफ्रेनिया से पीड़ित हो सकता है।

उन्होंने कहा कि यह रोग किसी को भी हो सकता है।यह बीमारी तंत्र-मंत्र, काले जादू,बुरे ग्रहों के प्रभाव या देवी देवताओं के प्रकोप से नहीं होती है। इस रोग का सही कारण निश्चित रूप से मालूम नहीं है फिर भी इस रोग को बहुत से घटक प्रभावित करते हैं, जैसे मनौवैज्ञानिक घटक,जेनेटिक घटक, न्यूरोट्रांसमीटर बाधाएं मुख्यतः डोपाइन।सहायक आचार्य डॉ सुरेन्द्र कुमार ने बताया कि सामाजिक पुनर्वास रोगी के लिए महत्वपूर्ण होता है। सहायक आचार्य डॉ अशोक सीरवी ने बताया कि स्क्रिजोफ्रेनिया रोग में स्वास्थ्य लाभ धीमी गति से हो सकता है व परिवार के सदस्य रोगी से व्यवहार के समय अत्यंत धैर्य का परिचय दें। उन्होंने कहा कि आज चिकित्सा विज्ञान तेजी से उन्नति कर रहा है। आमजन को चाहिए कि वह झूठ,अंधविश्वास,जादू-टोने, झाड- फूंक से बचकर उचित चिकित्सा कराएं।

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यह है रोग के लक्षण

सामान्यतः स्क्रिजोफ्रेनिया का रोगी शक,वहम एवं उसे काल्पनिक आवाज सुनायी देती है जो दूसरे नहीं सु न पाते हैं, काल्पनिक व्यक्तियों से बाते करता है,अजीब हरकते व हाव भाव करता है,अपनी ही दुनिया में व ख्यालों में रहता है,अर्थहीन व असंगत बाते करता है। रोगी को ऐसा लग सकता है कि लोग मेरे दिल की बात जान जाते हैं,वह भयभीत रहता है, आसानी से चिडचिड़ाहट,आसानी से उत्तेजित,आक्रामक व उग्र व्यवहार करने लगता है। उसको नींद में कमी, अपनी देखभाल में कमी व कार्य करने की इच्छा में कमी होती है। उपचार के संबंध में बताया कि उपचार का सबसे उत्तम तरीका बहुमुखी आघात है जिससे चिकित्सालय उपचार या मनोरोग उपचार व सामाजिक पुनर्वास शामिल है। दवाई से उपचार इस का महत्वपूर्ण अंग है।