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सत्संग ही जीवन का मूल धन है-आचार्य पुरुषोत्तम

हाथी घोड़ा पालकी,जय कन्हयालाल की

जोधपुर,शहर के डालीबाई चौराहा स्थित नव निर्मित सूर्य नारायण मंदिर में मंदिर विकास समिति के तत्वाधान में चल रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन मंगलवार को धूमधाम और उल्लास के साथ नन्दोत्सव मनाया गया। मंदिर समिति सदस्य भंवरलाल बाहेती ने बताया कि श्रीमद्भागवत कथा में व्यासपीठ की पूजा अंदाराम,दिलीप गहलोत,ढलाराम गहलोत सपत्नीक कर व्यासपीठ पर विराजमान महंत डॉ रामप्रसाद का तिलक व माल्यार्पण कर उनका स्वागत किया।

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नंदोत्सव में गोकुल में बधाइयां बांटी गई, जय कन्हैया लाल की हाथी घोड़ा पालकी के जयकरो से पंडाल गूंज उठा और पूरा पंडाल कृष्ण भक्तिमय हो गया। गोवर्धन की लीला का वर्णन करते हुए महंत ने कहा कि जैसे भगवान गिरिराज पर्वत उठाया वैसे ही अपने हर दास का कष्ट जीवन भर अपने हाथों में उठा लेते हैं। भंवर बाहेती ने बताया कि गीता क्लास के बच्चों ने गीता को अपने जीवन में अभिन्न अंग बनाने का आह्वान किया। कथा प्रसंग के दौरान खेड़ापा आचार्य पुरुषोत्तम ने आशीर्वचन दिये। उन्होंने कहा ने सत्संग ही जीवन का मूल धन है।

सूर्य मंदिर अध्यक्ष भंवरलाल सांखला, संत महात्माओं,जसवंतसिंह पूर्व सांसद, लूणी उप प्रधान सेलाराम सारण का माल्यार्पण व स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत किया। इस अवसर पर शालूराम चौधरी, डालाराम सियाग, पुखराज सांखला,नरसिंह सांखला, चेनाराम गहलोत सहित सैकड़ों की तादाद में श्रोता उपस्थित थे।

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