त्याग-अनुशासन व संयम ही संन्यास है-नारायण गिरि
जोधपुर,त्याग,अनुशासन व संयम ही संन्यास है। जीवन में सभी को साथ लेकर चलना,राष्ट्र,समाज व समाज के प्रत्येक व्यक्ति के कल्याण के लिए सोचना और कल्याण के लिए प्रयास करना ही संन्यास है। यह विचार माउंट आबू के अधिष्ठाता स्वामी संवित नारायण गिरि ने परमहंस परिव्राजकाचार्य स्वामी ईश्वरानंद गिरि द्वारा स्थापित दईजर लाच्छा बासनी स्थित संवित धाम आश्रम में आयोजित धर्म सभा में व्यक्त किए। उन्होंने कहा की प्रत्येक भारतीय संन्यासी है,गृहस्थी संन्यासी जो अपने जीवन में त्याग,बलिदान,संयम, अनुशासन के साथ अपना जीवन यापन करता है। हमें अपनी आने वाली पीढ़ी व बच्चों को भी भारतीय संस्कारों से अवगत कराना है। संचालन भरत जोशी ने किया।
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संवित साधनायन कार्यकारिणी गठित
संवित धाम आश्रम में गंगा दशहरा पर संवित साधनायन संस्थान की वार्षिक साधारण सभा आयोजित की गई जिसमें उपस्थित समस्त संवित साधकों ने सर्वसम्मति से संवित नारायण गिरि को मुख्य संरक्षक,रानी उषा देवी को अध्यक्ष तथा भरत जोशी को सचिव पद पर मनोनीत किया। उपाध्यक्ष दिनेश चंद्र सिंघल व डॉ सी एस कल्ला,संयुक्त सचिव शेखर थानवी व लक्ष्मी सोनी, कोषाध्यक्ष श्यामकिशन बोहरा,सह कोषाध्यक्ष रामराज पुरोहित, कार्यकारिणी सदस्य ब्रजेश हर्ष,महेश हर्ष,अग्निहोत्री पंडित नवरतन व्यास,गोविंदलाल बोहरा, अश्विनी व्यास,नेमाराम गहलोत,अनिल रागवानी पुरोहित,शशिबाला कल्ला, अनुज अवस्थी व शरद जोशी मनोनीत किए गए। चुनाव अधिकारी अजय शर्मा के निर्देशन में सारी प्रक्रिया सम्पन्न हुई।
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