मेडिक्लेम बीमा पॉलिसी के दो महत्वपूर्ण फैसले से राहत

राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग

जोधपुर,मेडिक्लेम बीमा पॉलिसी के दो महत्वपूर्ण फैसले से राहत। राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के स्वास्थ्य बीमा के तहत करवाई गई मेडिक्लेम बीमा पॉलिसी के बाबत दो अत्यंत महत्वपूर्ण फैसले से उपभोक्ताओं के लिए राहत भरी खबर है।

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पहले फैसले में राज्य आयोग ने अपील मंजूर करते हुए यह व्यवस्था दी है कि अस्पताल भर्ती के दौरान चिकित्सक अपना रोबोटिक सर्जरी उपकरण लाकर सर्जरी करता है तो चिकित्सक द्वारा वसूली राशि का दावा देने से बीमा कंपनी इनकार नहीं कर सकती है। दूसरे निर्णय में यह प्रतिपादित किया है कि सुपर टॉप अप मेडिक्लेम बीमा पॉलिसी में अस्पताल से छुट्टी के बाद 90 दिन तक के चिकित्सकीय व्यय बीमा कंपनी को अदा करने होंगे।

युनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के वरिष्ठ सेवानिवृत्त अधिकारी विजय मल पटवा ने अधिवक्ता अनिल भंडारी के माध्यम से अपील दायर कर कहा कि उनकी फोर्टिज एस्कॉर्ट अस्पताल में घुटनों की रोबोटिक सर्जरी डॉक्टर अनूप झुरानी ने की, लेकिन युनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी ने रोबोटिक सर्जरी उपकरण के दावे के 40 हजार रुपए का भुगतान यह कहकर नहीं दिया कि इस राशि का भुगतान अस्पताल को नहीं कर सीधे ही सम्बन्धित डॉक्टर को किया गया है। अधिवक्ता भंडारी ने कहा कि बीमा पॉलिसी में ऐसी कोई बाध्यता नहीं है कि मेडिक्लेम बीमा पॉलिसी में अस्पताल के बिल ही देय होंगे। बीमा कंपनी की ओर से कहा गया कि जिला आयोग ने परिवाद सही खारिज किया है।

राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष देवेंद्र कच्छवाहा और न्यायिक सदस्य निर्मल सिंह मेड़तवाल तथा सदस्य संजय टाक ने जिला आयोग के निर्णय को अपास्त कर अपील मंजूर करते हुए यह निर्धारित किया कि अस्पताल से इत्तर खर्च दवाइयां आदि भी जब देय है तो अस्पताल का बिल नहीं होने पर भी रोबोटिक सर्जरी उपकरण के 40 हजार रुपए मय 9 फीसदी ब्याज और वाद व्यय दस हजार रुपए 45 दिन में अदा करें अन्यथा 12 फ़ीसदी ब्याज दर देय होगी।

दूसरी अपील में युनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी ने कहा कि जिला उपभोक्ता आयोग ने सुपर टॉप अप बीमा पॉलिसी में अस्पताल से छुट्टी के बाद के 90 दिन के चिकित्सकीय व्यय भी देने का जो निर्देश दिया है वह पॉलिसी प्रावधानों के विपरीत है। चंदन कुमारी देवड़ा की ओर से बहस करते हुए अधिवक्ता अनिल भंडारी ने कहा कि जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद मंजूर करते हुए दावा राशि का निर्धारण बीमा कंपनी पर छोडक़र गलत किया है,जबकि उन्हें स्पष्ट रूप से दावा राशि 3 लाख 27 हजार 605 रुपए अदा करने का निर्देश देना था।

राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष देवेंद्र कच्छवाहा और न्यायिक सदस्य अतुल कुमार चटर्जी और सदस्य लियाकत अली ने बीमा कंपनी की अपील खारिज कर और परिवादी की अपील मंजूर करते हुए व्यवस्था दी कि सुपर टॉप अप मेडिक्लेम बीमा पॉलिसी व्यक्ति इसीलिए करवाता है कि चिकित्सकीय व्यय अधिक होने पर सामान्य मेडिक्लेम बीमा पॉलिसी में निर्धारित दावा देय हो जाने पर बकाया राशि का दावा सुपर टॉप अप मेडिक्लेम पॉलिसी में ले सके।

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उन्होंने कहा कि बीमा कंपनी यह साबित करने में असफल रही कि सुपर टॉप अप मेडिक्लेम बीमा पॉलिसी में अस्पताल से छुट्टी के बाद 90 दिन तक के चिकित्सकीय व्यय देय नहीं हो। उन्होंने कहा कि जिला उपभोक्ता आयोग ने दावा राशि का निर्धारण बीमा कंपनी पर छोडक़र सही नहीं किया। उन्होंने बीमा कंपनी को निर्देश दिए कि परिवादी को 45 दिन में दावा राशि 3 लाख 27 हजार 605 रुपए मय 9 फीसदी ब्याज और वाद व्यय पांच हजार रुपए अदा करें।