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माथुरादास माथुर अस्पताल में हुई हृदय ट्यूमर की दुर्लभ सर्जरी

जोधपुर,पश्चिमी राजस्थान के जोधपुर संभाग के डॉ.एसएन मेडिकल कॉलेज के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल माथुरादास माथुर के कार्डियोथोरेसिक विभाग में हुई हृदय ट्यूमर की दुर्लभ सर्जरी। डॉएसएन मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल एवं कंट्रोलर डॉ दिलीप कछवाहा तथा एमडीएम हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ विकास राजपुरोहित ने सीटीवीएस टीम को बधाई दी। कॉलेज प्रवक्ता डॉ जयराम रावतानी ने बताया कि यह ऑपरेशन मुख्य मंत्री चिरंजीवी चिकित्सा योजना के अंतर्गत निःशुल्क किया गया।

सीटीवीएस के विभागाध्यक्ष डॉ सुभाष बलारा ने बताया कि नागौर निवासी 30 वर्षीय अंकिता गत 5 माह से सांस की तकलीफ तथा धड़कन की अनियमितता से जूझ रही थी जिसके लिए उसने अपने क्षेत्र में इलाज लिया परंतु लाभ न मिलने पर वह जोधपुर के मथुरादास माथुर अस्पताल के उत्कर्ष सीटीवीएस वार्ड में भर्ती हुई। जहां जांचों में महिला के हृदय के दाहिने हिस्से में ट्यूमर की पुष्टि हुई। जिसे सर्जरी द्वारा ट्यूमर को निकालने का निर्णय लिया गया। इस ऑपरेशन को बाईपास मशीन पर किया गया।

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इस ऑपरेशन में डॉ सुभाष बलारा सहायक आचार्य,डॉ अभिनव सिंह तथा डॉ देवाराम,निश्चेतन विभाग के सीनियर प्रोफेसर डॉ राकेश कर्णावट, सहआचार्य डॉ शिखा सोनी,सहायक आचार्य डॉ गायत्री शामिल थे।ऑपरेशन के पश्चात मेडिकल पैरामीटर के नॉर्मल होने पर मरीज को वेंटिलेटर से हटाया गया और वह अब पूर्णता स्वस्थ है। सहायक आचार्य डॉ अभिनव सिंह ने बताया कि हृदय के ट्यूमर (मिक्सोमा) एक अत्यंत ही दुर्लभ बीमारी है,जिनका इंसिडेंट नॉर्मल पॉपुलेशन में 0.0017 प्रतिशत होता है। यह बीमारी 30 से 60 वर्ष की आयु में पुरुषो की अपेक्षा महिलाओं में ज्यादा पाई जाती है।75 प्रतिशत मिक्सोमा हार्ट के बाईं तरफ होते हैं परंतु यह एक रेयर केस था क्योंकि इस मरीज का ट्यूमर हृदय के दाहिने हिस्से में था। यह ट्यूमर इंटरऎट्रियल सैप्टम से निकलता हुआ हॉट के ट्राईकस्पीड वैलव के अंदर घुसा हुआ था जिसके कारण वैलव में लिकेज शुरू हो गया था तथा इसका कुछ भाग हृदय के कोरोनरी साइनस को भी बंद कर रखा था,जिसके कारण मरीज को सांस की काफी तकलीफ थी। ऑपरेशन को अत्यंत सावधानी से किया गया है क्योंकि इनमें एंबोलाइजेशन यानी ट्यूमर का टूट के फेफड़ों,दिमाग तथा शरीर के अन्य हिस्सों में जाना कॉमन है। जिससे मरीज को लकवा भी हो सकता है। ट्यूमर की रिकरेंस रेट काफी ज्यादा है जिसके लिए इंटरऎट्रियल सेप्टम को पूरा निकाला गया और हार्ट की झिल्ली से पुनः बनाया गया।मरीज अब ऑपरेशन के बाद पूर्णता स्वस्थ है और उसका इलाज सीटीवीएस वार्ड में हो रहा है।

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