पेटेंट फ़ोरामेन ओवेल को डिवाइस से बंद कर मरीज को दी राहत
पश्चिमी राजस्थान में पहली बार हुआ
जोधपुर,पेटेंट फ़ोरामेन ओवेल को डिवाइस से बंद कर मरीज को दी राहत। शहर के मथुरादास माथुर अस्पताल में लकवाग्रस्त महिला के हृदय रोग विभाग में पेटेंट फ़ोरामेन ओवेल को डिवाइस से बंद किया गया।
नागौर की रहने वाली 34 साल की महिला को पिछले दो साल में चार बार लकवे के एपिसोड हो गए थे। मरीज के ब्रेन की एमआरआई और एमआर एंजियो में ब्रेन की धमनियॉ सामान्य पायी गई। बार बार होने वाले लकवे से पीडि़त इस महिला के घर वाले उसे हृदय रोग के प्राचार्य तथा विभागाध्यक्ष डॉ रोहित माथुर के पास ले कर आए,जहाँ इको जाँच में मरीज के हार्ट में पेटेंट फोरामेन ओवेल पाया गया।
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फोरामेन ओवल हृदय में एक बहुत छोटा छेद होता है जिस से गर्भावस्था में शिशु का खून सर्कुलेट होता है। जन्म के बाद स्वाभाविक रूप से यह छिद्र बंद हो जाता है। करीब 8-12 प्रतिशत लोगों में ये फोरामेन ओवेल बंद नहीं होता जिसे पेटेंट फोरामेन ओवल कहा जाता है और कम उम्र के मरीजों में होने वाले लकवों के करीब एक चौथाई केस में ये लकवे का कारण बन सकता है।
पूरी जांच करने के बाद मरीज को कैथ लैब में बिना बेहोशी व चीर फाड़ के एंजियोग्राफिक विधि द्वारा बटन डिवाइस से पेटेंट फोरामेन ओवल बंद किया गया जिस से अब मरीज को बारबार होने वाले लकवे से राहत मिलेगी। इस तरह का प्रोसीजर पश्चिमी राजस्थान में पहली बार किया गया है। इस प्रक्रिया में डॉ रोहित माथुर,डॉ अनिल बारूपाल, डॉ राकेश कर्णावत,डॉ भरत,योगेश, मैना डोबर,प्रीति,इला,जितेंद्र तथा राकेश का योगदान रहा।
फोर्टिस एस्कॉर्ट अस्पताल दिल्ली के विशेषज्ञ डॉ नीरज अवस्थी ने इस प्रोसीजर में अपनी विशेष सेवाएं दी। मथुरा दास माथुर अस्पताल के अधिक्षक डॉ नवीन किशोरिया ने बताया कि ये पूरा प्रोसीजर एमएए योजना के तहत फ्री किया गया। प्रधानाचार्य डॉ बीएस जोधा ने इस तरह के एडवांस प्रोसीजर जोधपुर में किए जाने पर हृदय रोग विभाग को बधाई दी।